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अंतर्राष्ट्रीय बायोस्फीयर रिज़र्व दिवस

(प्रारंभिक परीक्षा : पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।)

संदर्भ 

3 नवंबर, 2022 को पहले अंतर्राष्ट्रीय बायोस्फीयर रिज़र्व दिवस का आयोजन किया गया। 

प्रमुख बिंदु

  • इस दिवस की घोषणा यूनेस्को द्वारा 2021 में आयोजित आम सभा के 41वें सत्र में की गई थी।
  • इस दिवस को मनाए जाने का उद्देश्य आधुनिक जीवन के लिये सतत् विकास के दृष्टिकोण और यूनेस्को के बायोस्फीयर रिज़र्व के विश्व नेटवर्क (World Network of Biosphere Reserves) की अग्रणी एवं अनुकरणीय भूमिका को प्रस्तुत करना है।

क्या है बायोस्फीयर रिज़र्व

  • बायोस्फीयर रिज़र्व 'सतत् विकास के प्रेरक स्थान' होते हैं। इनके अंतर्गत स्थलीय, समुद्री और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र को शामिल किया जाता हैं। 
  • ये स्थल सतत् उपयोग के साथ जैव विविधता के संरक्षण से संबंधित समाधानों को बढ़ावा देते हैं। 
  • ये रिज़र्व स्थानीय समुदायों और इच्छुक हितधारकों को शामिल करते हुए तीन मुख्य कार्यों को एकीकृत करते हैं-
    • जैव विविधता और सांस्कृतिक विविधता का संरक्षण करना, 
    • सामाजिक-सांस्कृतिक और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ आर्थिक विकास करना, 
    • अनुसंधान, निगरानी, ​​​​शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से विकास को रेखांकित करना।

Biosphere

  • इन तीन कार्यों को बायोस्फीयर रिज़र्व के तीन मुख्य क्षेत्रों के माध्यम से संपन्न किया जाता है-

कोर क्षेत्र (Core Areas)

यह बायोस्फीयर रिज़र्व का मुख्य क्षेत्र होता है, जो परिदृश्य, पारिस्थितिक तंत्र, प्रजातियों और आनुवंशिक भिन्नता के संरक्षण में योगदान देता है।

बफर जोन (Buffer Zones)

  • यह जोन कोर क्षेत्र के चारों ओर स्थापित होता है और इसका उपयोग पूर्णतया नियंत्रित व गैर-विध्वंशक गतिविधियों के लिये किया जाता है। ये गतिविधियाँ पारिस्थितिक प्रथाओं के अनुकूल होती है। 
  • ये गतिविधियाँ वैज्ञानिक अनुसंधान, निगरानी, ​​​​प्रशिक्षण और शिक्षा को प्रोत्साहित करते हैं।

संक्रमण क्षेत्र (Transition Area)

यह रिज़र्व का सबसे बाह्य हिस्सा होता है। यह वह क्षेत्र है जहाँ समुदाय सामाजिक-सांस्कृतिक और पारिस्थितिक रूप से स्थायी आर्थिक और मानवीय गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।

मैन एंड बायोस्फीयर (MAB) कार्यक्रम

  • यह यूनेस्को का एक अंतर सरकारी वैज्ञानिक कार्यक्रम है। इसे वर्ष 1971 में शुरू किया गया था।
  • इसका उद्देश्य लोगों और उनके वातावरण के मध्य संबंधों को बढ़ाने के लिये एक वैज्ञानिक आधार स्थापित करना है।
  • यह मानव आजीविका में सुधार लाने और पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा के लिये प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञान को जोड़ती है।
  • विदित है कि वर्तमान में इस कार्यक्रम के तहत बायोस्फीयर रिज़र्व के विश्व नेटवर्क में 134 देशों के 738  बायोस्फीयर रिज़र्व शामिल है, जिसमें से 22 ट्रांसबाउंड्री साइट हैं। इस नेटवर्क में स्पेन के 53 बायोस्फीयर रिज़र्व शामिल है, जो विश्व में सर्वाधिक है। 

दक्षिण एशिया में बायोस्फीयर रिज़र्व

  • वर्तमान में एम.ए.बी. कार्यक्रम के तहत दक्षिण एशिया में 30 से अधिक बायोस्फीयर रिज़र्व स्थापित किये जा चुके हैं।
  • यूनेस्को द्वारा वर्ष 1977 में स्थापित दक्षिण एशिया का पहला बायोस्फीयर रिज़र्व श्रीलंका का ‘हुरुलु’ था। यहाँ लगभग 25,000 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत उष्णकटिबंधीय शुष्क सदाबहार वन पाए जाते हैं।      
  • इस नेटवर्क में भारत का पहला बायोस्फीयर रिज़र्व वर्ष 2000 में शामिल किया गया था। यह तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में विस्तृत ‘नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़र्व’ है। वर्तमान में भारत में स्थापित 18 बायोस्फीयर रिज़र्व में से 12 को यूनेस्को के विश्व नेटवर्क में शामिल किया जा चुका हैं।
  • इस नेटवर्क में श्रीलंका के 4 और मालदीव के 3 रिज़र्व शामिल हैं। जबकि बांग्लादेश, भूटान और नेपाल में अभी तक कोई अधिसूचित बायोस्फीयर नहीं है।

विश्व नेटवर्क में भारत के बायोस्फीयर रिज़र्व

बायोस्फीयर रिज़र्व

संबंधित राज्य

नीलगिरि

तमिलनाडु, केरल एवं कर्नाटक

मन्नार की खाड़ी

तमिलनाडु

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नंदा देवी

उत्तराखंड

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