प्रारंभिक परीक्षा
(समसामयिक घटनाक्रम)
मुख्य परीक्षा
(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय)
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संदर्भ
प्रत्येक वर्ष 3 दिसंबर को वैश्विक स्तर पर‘अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस’ (International Day of Persons with Disabilities) मनाया जाता है।यह दिवस दुनिया भर में दिव्यांग व्यक्तियों (PwD) की सहनशीलता, सामर्थ्य, समाज में नेतृत्व एवंयोगदान का जश्न मनाता है। यह दिन समावेशिता को बढ़ावा देने, PwD के अधिकारों की वकालत करने और सभी के लिए समान अवसर बनाने की वैश्विक प्रतिबद्धता पर जोर देता है।
अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस 2024 के बारे में
- स्थापना: संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 47/3 द्वारा वर्ष 1992 में ‘अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस’ की घोषणा की गई थी।
- उद्देश्य: समाज एवं विकास के सभी क्षेत्रों में PwD के अधिकारों व कल्याण को बढ़ावा देना तथा राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में उनकी स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
- वर्ष 2024 का विषय : "समावेशी और टिकाऊ भविष्य के लिए दिव्यांग व्यक्तियों के नेतृत्व को बढ़ाना"।
- दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन : संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2006 में ‘दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन’ को अपनाया गया।
- इसने सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा और अन्य अंतर्राष्ट्रीय विकास ढांचे को लागू करने में PwD के अधिकारों व कल्याण को आगे बढ़ाया है।
- भारत द्वारा 30 मार्च 2007 को इस कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किये गए।
भारत सरकार द्वारा PwD सशक्तिकरण हेतु विभिन्न पहल
भारत ने विभिन्न नीतियों और अभियानों के माध्यम से PwD के अधिकारों और समावेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इनमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण पहल शामिल हैं:
दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग
- स्थापना:12 मई, 2012 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से अलग दिव्यांगता मामलों का विभाग स्थापित किया गया।
- उद्देश्य: नीतिगत मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करने तथा PwD के कल्याण और सशक्तिकरण के उद्देश्य से गतिविधियों को सार्थक बल देने हेतु।
- नामकरण: 8 दिसंबर, 2014 को विभाग का नाम बदलकर ‘दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग’ कर दिया गया।
- प्रमुख कार्य : यह विभाग दिव्यांगता और PwD से संबंधित मामलों के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
सुगम्य भारत अभियान
- प्रारंभ: 3 दिसंबर, 2015
- उद्देश्य: पूरे भारत में PwD के लिए सार्वभौमिक सुगम्यता प्राप्त करना।
- प्रमुख फोकस क्षेत्र :
- सार्वजनिक स्थानों में निर्मित पर्यावरण सुगम्यता में सुधार
- स्वतंत्र गतिशीलता के लिए परिवहन सुगम्यता में वृद्धि
- एक सुगम्य सूचना और संचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण
- दुभाषिया प्रशिक्षण
- मीडिया समर्थन के माध्यम से सांकेतिक भाषा तक पहुंच का विस्तार करना
दीनदयाल दिव्यांगजन पुनर्वास योजना
- क्या है : वर्ष 1999 में प्रारंभ यहएक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
- कार्य:PwD के पुनर्वास से संबंधित परियोजनाओं के लिए गैर-सरकारी संगठनों को अनुदान सहायता प्रदान करना।
- उद्देश्य :
- PwD के लिए समान अवसर, समानता, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाना।
- दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए स्वैच्छिक कार्रवाई को प्रोत्साहित करना।
जिला दिव्यांगता पुनर्वास केंद्र
- प्रारंभ: वर्ष 1999-2000 से
- उद्देश्य:बहुआयामी दृष्टिकोण के माध्यम से PwD की आवश्यकताओं को पूरा करना।
- लक्ष्य:
- दिव्यांगता की प्रारंभिक पहचान और हस्तक्षेप
- जागरूकता बढ़ाना
- सहायक उपकरणों की आवश्यकता का आकलन एवं फिटमेंट करना
- स्वरोजगार के लिए ऋण की व्यवस्था करना
- इसके अतिरिक्त, यह राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए एक आउटरीच केंद्र के रूप में कार्य करता है और PwD के लिए बाधा-मुक्त वातावरण को बढ़ावा देने के लिए काम करता है।
PwD को सहायक उपकरणों की खरीद/फिटिंग हेतु सहायता योजना
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों (राष्ट्रीय संस्थान/संयुक्त क्षेत्रीय केन्द्र/भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को)/जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र/राज्य दिव्यांग विकास निगम/अन्य स्थानीय निकाय/एनजीओ) को अनुदान सहायता प्रदान करना है।
- ताकि वे जरूरतमंद PwDको टिकाऊ, परिष्कृत और वैज्ञानिक रूप से निर्मित, आधुनिक, मानक सहायता उपकरण खरीदने में सहायता कर सकें।
- जिससे दिव्यांगता के प्रभाव को कम करके उनके शारीरिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पुनर्वास को बढ़ावा दिया जा सके और साथ ही उनकी आर्थिक क्षमता में वृद्धि हो सके।
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के कार्यान्वयन हेतु योजनाएं
- दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के कार्यान्वयन के लिए योजना (Schemes For Implementation of Rights of Persons With Disabilities Act 2016 : SIPDA) एक व्यापक ‘केंद्रीय क्षेत्र योजना’ है।
- इसमेंवर्ष 2021 में10 उप-योजनाएँ शामिल की गई।
- इस संशोधित योजना को 2021-22 से 2025-26 तक संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इन घटकों का सामूहिक उद्देश्य PwD को सशक्त बनाना, सुलभता, समावेशिता और समग्र विकास सुनिश्चित करना है।
SIPDA के अंतर्गत आने वाली प्रमुख योजनाएं:
- PwD के लिए बाधा मुक्त वातावरण का सृजन।
- सुगम्य भारत अभियान सुगम्यता बढ़ाने के लिए।
- PwD के कौशल विकास के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना।
- विशिष्ट दिव्यांगता पहचान कार्ड जारी करने के लिए परियोजना।
- जागरूकता सृजन और प्रचार का सेवाकालीन प्रशिक्षण के साथ समावेश।
- प्रमुख सरकारी अधिकारियों, स्थानीय निकायों और अन्य हितधारकों को संवेदनशील बनाना।
- दिव्यांगता क्षेत्र के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर अध्ययन और अनुसंधान के लिए वित्तीय सहायता।
- PwD के सशक्तिकरण के लिए उपयुक्त उत्पाद, सहायता एवं उपकरणों का अनुसंधान एवं विकास।
- दिव्यांगताओं की प्रारंभिक अवस्था में ही समस्या का समाधान करने के लिए क्रॉस डिसेबिलिटी अर्ली इंटरवेंशन सेंटर की स्थापना।
दिव्य कला मेला
- दिव्य कला मेला PwD को समर्पित एक राष्ट्रीय स्तर का मेला है।
- यह PwD की समावेशिता और सशक्तिकरण की दिशा में भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
पीएम-दक्ष
- पीएम-दक्ष (प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता संपन्न हितग्राही) योजना PwD, कौशल प्रशिक्षण संगठनों और भारत भर के नियोक्ताओं के लिए एक वन-स्टॉप पोर्टल है।
- यह पोर्टल PwD के सशक्तीकरण विभाग द्वारा कार्यान्वित PwD के कौशल विकास के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना का हिस्सा बनने के लिए है।
- इस पोर्टल के अंतर्गत दो मॉड्यूल हैं:
- दिव्यांगजन कौशल विकास: देश भर में पोर्टल के माध्यम से PwD के लिए कौशल प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है।
- दिव्यांगजन रोजगार सेतु: इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य PwD एवं PwD को रोजगार देने वाले नियोक्ताओं के बीच सेतु का काम करना है और रोजगार/आय के अवसरों के बारे में जियो-टैग आधारित जानकारी प्रदान करना है।
निष्कर्ष
‘अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस’वैश्विक स्तर परराष्ट्रों के लिए एक आह्वान है कि वे समाज में सक्रिय योगदानकर्ता के रूप में दिव्यांग व्यक्तियों की क्षमता को पहचानें। भारत द्वारा की गई विभिन्न पहलें एक समावेशी और न्यायसंगत भविष्य की ओर प्रगति का उदाहरण है।