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अंतर्राष्ट्रीय खाद्य संकट और भारत की प्रतिक्रिया

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 व 3 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप, भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव, सामान्य बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय)

संदर्भ

  • जलवायु संकट, कोविड-19 महामारी, गरीबी और असमानता से प्रेरित वैश्विक भुखमरी बढ़ रही है। लाखों लोग भुखमरी का शिकार हैं और कई लोगों के पास पर्याप्त भोजन की उपलब्धता नहीं है। 
  • वर्ष 2015 की तुलना में भुखमरी से अधिक लोग पीड़ित हैं, इसी वर्ष भारत सहित संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के लिये सहमत हुए, जो वर्तमान और भविष्य में लोगों तथा ग्रह की शांति व समृद्धि के लिये एक साझा खाका प्रदान करते हैं। वर्ष 2019 में विश्व भर में 650 मिलियन लोग भूख से पीड़ित थे, जो वर्ष 2014 की तुलना में 43 मिलियन अधिक हैं। 

‘वसुधैव कुटुंबकम’ की प्रासंगिकता 

वर्ष 2014 में भारतीय प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत का पारंपरिक दृष्टिकोण संपूर्ण पृथ्वी को एक परिवार के रूप में देखता है। इसकी प्रासंगिकता न केवल वैश्विक शांति, सहयोग, पर्यावरण संरक्षण के लिये बल्कि बढ़ती वैश्विक भुखमरी के विरुद्ध मानवीय प्रतिक्रिया के लिये भी है।

वर्तमान वैश्विक संकट 

  • महामारी के कारण वर्ष 2021 में 270 मिलियन लोगों को तत्काल खाद्य सहायता की आवश्यकता का अनुमान है, जो अफ़ग़ानिस्तान संकट और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के साथ महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ेगा। युद्ध के चलते भोजन और ईंधन की कीमतों में वृद्धि से संघर्ष कर रहे लाखों लोगों (विशेषकर गरीब और हाशिए पर रहने वाले) पर बोझ बढ़ जाएगा।
  • कुपोषण का वैश्विक बोझ बहुत अधिक है। लगभग 150 मिलियन बच्चे बौनेपन तथा 50 मिलियन अल्पवजन से पीड़ित हैं। साथ ही लगभग 2 बिलियन वयस्क सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का सामना कर रहे हैं।

अफ़ग़ानिस्तान को सहायता 

  • संयुक्त राष्ट्र खाद्य कार्यक्रम के माध्यम से अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को भारत की हालिया और पहले से दी जा रही मानवीय खाद्य सहायता मानवीय संकटों के प्रति इसकी प्रतिबद्धता और सराहनीय कदमों का एक उदाहरण है। 
  • भारत द्वारा गेहूँ के रूप में 50,000 मीट्रिक टन खाद्य सहायता पाकिस्तान के रास्ते अफ़ग़ानिस्तान के जलालाबाद भेजी जा रही है। संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम में भारत के अपनी तरह के योगदान के रूप में पहली खेप फरवरी माह में अमृतसर के अटारी सीमा पार एक समारोह के दौरान अफ़ग़ानिस्तान भेजी गई।
  • इस सहायता को अफ़ग़ानिस्तान की आवश्यकता के संदर्भ में देखना महत्त्वपूर्ण है। वर्ष 2022 में 22.8 मिलियन से अधिक लोगों (लगभग आधी आबादी) के खाद्य असुरक्षित होने का अनुमान है; जिसमें 8.7 मिलियन लोग अकाल जैसी स्थितियों का सामना कर रहे हैं।
  • वर्ष 2022 में लगभग 4.7 मिलियन बच्चे, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को तीव्र कुपोषण का खतरा है। सभी 34 प्रांत गंभीर खाद्य असुरक्षा के संकट या आपातकालीन स्तरों का सामना कर रहे हैं।
  • अफ़ग़ानिस्तान में डब्ल्यू.एफ.पी. के तहत एक विशाल आपूर्ति श्रृंखला और रसद बुनियादी ढाँचा मौजूद है, जिसमें सैकड़ों ट्रक और कर्मचारियों के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाता है कि खाद्य सहायता उन लोगों तक पहुँचे जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है तथा कोई भी इससे बाहर नहीं है।
  • यह भारत सरकार के साथ प्रत्येक योगदान और साझेदारी को बच्चों, महिलाओं और जरूरतमंद पुरुषों के लिये एक जीवनरक्षक बनाता है।
  • भारत परंपरागत रूप से अफगान लोगों का एक मजबूत सहयोगी रहा है तथा इसने पिछले वर्ष डब्ल्यू.एफ.पी. के साथ साझेदारी में 75,000 मीट्रिक टन के साथ अतीत में एक मिलियन मीट्रिक टन से अधिक का विस्तार किया है। पिछले दो वर्षों में, भारत ने प्राकृतिक आपदाओं और कोविड-19 महामारी से उबरने के लिये अफ्रीका और मध्य पूर्व/पश्चिम एशिया के कई देशों को सहायता प्रदान की है। 

पर्याप्तता से सहायता तक

  • भारत के कृषि क्षेत्र को खाद्य आयात पर निर्भर से ‘आत्मनिर्भर’ में बदलना और अब खाद्य निर्यातक राष्ट्र की ओर बढ़ने तक का सफ़र अत्यंत सराहनीय रहा है। वर्ष 2020 में भारत में 300 मिलियन टन अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन व 100 मिलियन टन का बफर स्टॉक और वर्ष 2021 में 20 मिलियन टन चावल और गेहूँ का निर्यात अनाज उत्पादन में वृद्धि को इंगित करता है।
  • जैसे-जैसे भारत का खाद्यान्न अधिशेष बढ़ रहा है, एक प्रमुख मानवीय खाद्य सहायता प्रदानकर्ता  के रूप में अपने पदचिह्न तथा डब्ल्यू.एफ.पी. के साथ अपनी साझेदारी को रेखांकित करते हुए ज़रूरतमंद लोगों को खाद्य सहायता प्रदान करने में भारत का प्रयास महत्त्वपूर्ण है।
  • पुरानी खाद्य कमी से अधिशेष खाद्य उत्पादक तक की भारत की लंबी यात्रा एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के अन्य विकासशील देशों के लिये भूमि सुधार, सार्वजनिक निवेश, संस्थागत बुनियादी ढाँचे, नई नियामक प्रणाली, सार्वजनिक समर्थन और कृषि बाजारों और कीमतों में हस्तक्षेप तथा कृषि अनुसंधान में कई मूल्यवान सबक प्रदान करती है। 

खाद्य सुरक्षा जाल

  • ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013’ भारत में भोजन में समानता के सबसे बड़े योगदानों में से एक है, जो लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS), मध्याह्न भोजन (MDM) और एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) का आधार है। वर्तमान में भारत के खाद्य सुरक्षा जाल की पहुँच सामूहिक रूप से एक अरब से अधिक लोगों तक है।
  • खाद्य सुरक्षा जाल और समावेशन, सार्वजनिक खरीद और बफर स्टॉक नीति से जुड़े हुए हैं। इसे वर्ष 2008-12 के वैश्विक खाद्य संकट तथा कोविड-19 महामारी के दौरान देखा गया, जिससे भारत में कमजोर और हाशिए पर चले गए परिवारों को टी.पी.डी.एस. द्वारा बफर करना जारी रखा गया, जो खाद्यान्न के एक मज़बूत स्टॉक के साथ एक जीवन रेखा बन गया।
  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) कोविड-19 के कारण आर्थिक कठिनाइयों के चलते एन.एफ.एस.ए. के तहत कवर किये गए 800 मिलियन लाभार्थियों को राहत प्रदान करने के लिये वर्ष 2020 में शुरू की गई थी, जिसे सितंबर 2022 तक छह महीने के लिये और बढ़ा दिया गया है। इस योजना का कुल परिव्यय अब तक 2.6 ट्रिलियन हो गया है।
  • खाद्य आपात स्थिति तथा खाद्य असुरक्षा से जूझ रहे अपने पड़ोसियों व अन्य देशों को भारत का समर्थन जारी रखा जाना चाहिये। उदाहरण के लिये, अफ़ग़ानिस्तान में ही इसकी अत्यधिक आवश्यकता है। कुल अफ़ग़ान आबादी में से आधे से अधिक लोगों को अब आपातकालीन खाद्य सहायता की आवश्यकता है। नवीनतम डब्ल्यू.एफ.पी. खाद्य सुरक्षा डाटा से पता चलता है कि 95% अफ़ग़ान परिवारों में भोजन की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है, महिलाओं के नेतृत्व वाले परिवारों में यह संख्या लगभग 100% तक बढ़ जाती है।
  • मानवीय खाद्य सहायता और भागीदारी जो खाद्य सुरक्षा जाल और लचीली आजीविका के माध्यम से मज़बूत नीतिगत नवाचारों को बनाने में मदद करती है, वैश्विक शांति की दिशा में योगदान देगी। इस प्रकार, संघर्षों से प्रभावित समुदायों की भूख और खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करना अति महत्वपूर्ण है।

शांति उत्प्रेरक के रूप में 

  • स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) द्वारा किये गए शोध डब्ल्यू.एफ.पी. कार्यक्रमों की ओर संकेत करते हैं, जो चार क्षेत्रों में शांति को स्थापित करने में योगदान करते हैं। इसमें सामाजिक एकजुटता को मज़बूत करना, नागरिक और राज्य के मध्य संबंधों को सुदृढ़ करना तथा समुदायों के भीतर और मध्य की शिकायतों को हल करना शामिल है।
  • हालाँकि, भारत वैश्विक स्तर पर ज़ीरो हंगर और समानता के लक्ष्य को पूरा करने के लिये और अधिक प्रयास कर रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी मानवीय एजेंसी के रूप में डब्ल्यू.एफ.पी. और सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत इस साझेदारी का लाभ उठाकर खाद्य आपात स्थिति को संबोधित करने और मानवीय प्रतिक्रिया को मजबूत करने में योगदान दे सकते हैं। इसमें सर्वोदय, सर्वसमावेशी और वसुधैव कुटुंबकम की भावना शामिल है।
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