New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 5 May, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 11 May, 5:30 PM Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back GS Foundation (P+M) - Delhi: 5 May, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 11 May, 5:30 PM Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back

अंतरराज्यीय गिरफ्तारी के नियम

(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन-2 : संविधान, शासन प्रणाली, विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।)  

संदर्भ

हाल ही में, पंजाब पुलिस द्वारा बिना वारंट तेजिंदर पाल सिंह बग्गा की दिल्ली में गिरफ़्तारी और उसमें न्यायालय के हस्तक्षेप से देश में अंतरराज्यीय गिरफ्तारी एवं संबंधित नियमों को लेकर सवाल पैदा हो गए हैं। वर्तमान घटना शासन और प्रशासन के बीच सहयोग, सामंजस्य व समन्वय के आभाव को भी प्रदर्शित करती है।

अंतरराज्यीय गिरफ्तारी की प्रक्रिया

  • ध्यातव्य है कि पुलिस, राज्य सूची का विषय है। इस प्रकार ‘राज्य पुलिस’ का अधिकार क्षेत्र राज्य तक ही सीमित है।
  • सामान्यतया विधि के अनुसार, किसी विशेष राज्य में अपराधी को उस राज्य की पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाना चाहिये। हालाँकि, कानून कुछ परिस्थितियों में एक राज्य की पुलिस को दूसरे राज्य में आरोपी को गिरफ्तार करने की अनुमति देता है। 
  • यह गिरफ़्तारी किसी सक्षम न्यायालय द्वारा जारी वारंट के कार्यान्वयन द्वारा या बिना वारंट के भी की जा सकती है। हालाँकि, बिना वारंट के की जाने वाली गिरफ़्तारी के मामले में संबंधित राज्य पुलिस द्वारा स्थानीय पुलिस को गिरफ्तारी के बारे में सूचित करना आवश्यक होता है।
  • देश भर में राज्य पुलिस बल नियमित रूप से अन्य राज्यों में गिरफ्तारियाँ करती रहती हैं। सामान्य स्थिति में ये गिरफ्तारियाँ स्थानीय पुलिस बल की सहायता से की जाती है। हालाँकि, कई मामलों में स्थानीय पुलिस को गिरफ्तारी से पूर्व या बाद में मात्र सूचित किया जाता है।

अंतरराज्यीय गिरफ्तारी के विधिक प्रावधान

  • उल्लेखनीय है कि बिना वारंट गिरफ्तारी के संबंध में अन्य राज्य में किसी आरोपी को गिरफ्तार करने की पुलिस की शक्तियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। 
  • यद्यपि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 48 पुलिस को गिरफ्तार करने की शक्तियां प्रदान करता है, किंतु प्रक्रिया को परिभाषित नहीं किया गया है।
  • धारा 48 के अनुसार, 'कोई पुलिस अधिकारी, बिना वारंट किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के उद्देश्य से, जिसे वह गिरफ्तार करने के लिये अधिकृत है, भारत में किसी भी स्थान पर ऐसे व्यक्ति का पीछा कर (Pursue) सकता है’, हालाँकि प्रक्रिया में स्पष्टता का आभाव है।
  • इस बात पर बहस हो चुकी है कि क्या इस खंड में ‘पीछा करना’ शब्द का अर्थ पीछा करते हुए अन्य राज्य में प्रवेश करना है या किसी ऐसे आरोपी पर यह लागू होता है जो दूसरे राज्य में रह रहा है और जांचकर्ताओं के साथ सहयोग नहीं कर रहा है।
  • सी.आर.पी.सी. की धारा 79 सक्षम अदालतों द्वारा जारी वारंट के आधार पर अंतरराज्यीय गिरफ्तारी से संबंधित है। यह धारा ऐसी गिरफ्तारियों के लिये विस्तृत प्रक्रिया निर्धारित करती है।
  • पुलिस का दायित्व है कि वह गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश करे।

संवैधानिक प्रावधान

  • संविधान के अनुच्छेद 22(2) के अनुसार – ‘प्रत्येक गिरफ्तार और हिरासत में रखे गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के चौबीस घंटे की अवधि में निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना होगा, जिसमें गिरफ्तारी के स्थान से मजिस्ट्रेट के न्यायालय तक की यात्रा के लिये आवश्यक समय शामिल नहीं है।
  • ऐसे किसी भी व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के प्राधिकार के बिना उक्त अवधि के बाद हिरासत में नहीं रखा जाएगा। सी.आर.पी.सी. की धारा 56 और 57 में भी यह निर्धारित है।

अंतरराज्यीय गिरफ्तारी के लिये जारी दिशानिर्देश

संदीप कुमार मामला 

  • वर्ष 2019 में 'संदीप कुमार बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र दिल्ली सरकार)' मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंतर-राज्यीय गिरफ्तारी से संबंधित कुछ दिशानिर्देश जारी किये थे।
  • इसके अनुसार किसी पुलिस अधिकारी द्वारा किसी अपराधी को गिरफ्तार करने के लिये दूसरे राज्य का दौरा करने के लिये अपने वरिष्ठ अधिकारी से लिखित या फोन पर अनुमति लेनी होगी।

अन्य राज्य में जाने से पूर्व की स्थिति 

  • साथ ही, उसे इसके लिये कारणों को लिखित रूप में दर्ज करना होगा और 'आकस्मिक मामलों' को छोड़कर पहले किसी न्यायालय से गिरफ्तारी वारंट प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिये।
  • दूसरे राज्य में जाने से पूर्व उसे 'अपने पुलिस स्टेशन की दैनिक डायरी (DD) में एक व्यापक प्रस्थान प्रविष्टि' भी दर्ज करनी होगी।
  • दूसरे राज्य में जाने से पूर्व उस पुलिस अधिकारी को उस स्थानीय पुलिस स्टेशन से संपर्क स्थापित करने का प्रयास करना चाहिये जिसके अधिकार क्षेत्र में जांच का संचालन करना है। 
  • उसे अपने साथ शिकायत/प्राथमिकी और अन्य दस्तावेजों की अनुवादित प्रतियाँ संबंधित राज्य की भाषा में अवश्य ले जानी चाहिये।

पहुँचने के बाद की स्थिति 

  • दूसरे राज्य में पहुँचने के बाद सहायता और सहयोग लेने के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन को सूचित करने के बाद संबंधित एस.एच.ओ. (SHO) को सभी प्रकार की कानूनी सहायता प्रदान करने का प्रयास करना चाहिये। इसके कार्यान्वयन की एंट्री उक्त पुलिस स्टेशन में अवश्य करनी होगी।
  • राज्य से लौटते समय उस पुलिस अधिकारी को स्थानीय पुलिस स्टेशन पर जाने और राज्य से लेकर जा रहे व्यक्ति (व्यक्तियों) का नाम व पता निर्दिष्ट करते हुए दैनिक डायरी में एक प्रविष्टि अवश्य दर्ज़ करानी चाहिये।
  • पुलिस गिरफ्तार व्यक्ति को निकटतम मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के बाद ट्रांजिट रिमांड प्राप्त करेगी और सी.आर.पी.सी. की धारा 56 और 57 के तहत 24 घंटे के भीतर व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR