चर्चा में क्यों?
वस्तु एवं सेवा कर परिषद् ने कपड़ा उद्योग के लिये जी.एस.टी. दर में वृद्धि को प्रभावी होने से पूर्व अस्थायी रूप से वापस ले लिया है।
प्रमुख बिंदु
- जी.एस.टी. परिषद् ने ‘व्युत्क्रम कर संरचना’ (Inverted Duty Structure) में सुधार के लिये फुटवियर और वस्त्रों पर कर की दर में संशोधन की सिफारिश की थी। वर्तमान में मानव निर्मित रेशे, सूत और वस्त्रों पर कर की दर क्रमश: 18, 12 और 5 प्रतिशत है।
- परिषद् ने कपड़ा क्षेत्र के लिये कर की दर को 5 से बढ़ाकर 12 फीसदी करने का फैसला लिया था, जिसे 1 जनवरी से लागू किया जाना था। हालाँकि, गुजरात, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सहित कई राज्यों की मांग के बाद इस निर्णय को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है।
व्युत्क्रम कर संरचना
- ‘व्युत्क्रम कर संरचना’ से तात्पर्य ऐसी शुल्क संरचना से है जब उत्पादन या अंतिम उत्पाद पर लगाए गए कर की दर आगतों (इनपुट) पर लगाए गए दर से कम हो। इसका इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) संचयन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और इसे ज़्यादातर मामलों में वापस करना पड़ता है।
- इससे सरकारी राजस्व के बहिर्वाह में वृद्धि हुई है, जिससे सरकार कर संरचना पर पुन: विचार करने के लिये प्रेरित हुई है। उदाहरणस्वरुप सरकार को फुटवियर क्षेत्र में एक वर्ष में लगभग 2,000 करोड़ रुपए वापस करना पड़ता है।
- वस्त्रों पर जी.एस.टी. दर को 12 प्रतिशत करने का निर्णय कपड़ा उद्योग को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मांग में गिरावट तथा मंदी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
जी.एस.टी. परिषद्
जी.एस.टी. परिषद् भारतीय संविधान के अनुच्छेद 279A के तहत स्थापित एक संवैधानिक निकाय है। यह वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित मुद्दों पर केंद्र व राज्य सरकार को सिफारिशें करता है। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा की जाती है।