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‘आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम’

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 3 : सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ, आंतरिक सुरक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग)

संदर्भ

इज़रायल तथा फिलिस्तीन ने आपसी संघर्ष के दौरान एक-दूसरे पर हवाई हमले किये। गाज़ा पट्टी से फिलिस्तीन द्वारा दागे गए रॉकेट को ‘इज़रायली आयरन डोम वायु रक्षा प्रणाली’ द्वारा बीच में ही रोक दिया गया। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो रॉकेट किसी अदृश्य ढाल से टकरा रहे हों।

‘आयरन डोम’

  • यह एक कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली ‘वायु रक्षा प्रणाली’ है। यह प्रणाली अपनी ओर आने वाले किसी रॉकेट या मिसाइल को ट्रैक करके बेअसर कर देती है। ऐसा करने के लिये इस रक्षा प्रणाली को ‘रडार’ तथा ‘तामीर’ इंटरसेप्टर मिसाइल से लैस किया गया है।
  • इसका उपयोग रॉकेट, तोपखाने तथा मोर्टार (Countering Rockets, Artillery & Mortars: C-RAM) के साथ-साथ विमान, हेलीकॉप्टर एवं ड्रोन से निपटने के लिये भी किया जाता है।
  • इस प्रणाली को वर्ष 2011 में तैनात किया गया था। राफेल के अनुसार, इसकी सफलता दर 90% से अधिक है। इसमें 2,000 से अधिक अवरोधनों (Interception) को शामिल किया गया है।
  • वर्ष 2006 में इज़रायल-लेबनान युद्ध के दौरान हिजबुल्लाह ने इज़रायल पर हजारों रॉकेट दागे। ऐसे में, इज़रायल ने एक ऐसी रक्षा प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता महसूस की, जिससे कि वह अपना अस्तित्व बचा सके। इसी के परिणामस्वरूप ‘आयरन डोम’ के विकास की परिकल्पना की गई।
  • तत्पश्चात् इज़राइल ने राज्य द्वारा संचालित ‘राफेल एडवांस सिस्टम’ के तहत एक नई वायु रक्षा प्रणाली विकसित करने की घोषणा की और अंततः ‘इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज’ के सहयोग से ‘आयरन डोम वायु रक्षा प्रणाली’ का विकास किया।
  • यह प्रणाली सुरक्षा के लिये तैनात एवं युद्धाभ्यासरत सैन्य बलों, शहरी क्षेत्र तथा फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (Forward Operating Base) को हवाई हमलों से बचाने में सक्षम है।

कार्यप्रणाली

  • ‘आयरन डोम’ में तीन प्रमुख प्रणालियों का प्रयोग किया जाता है। ये तीनों प्रणालियाँ विभिन्न खतरों से निपटने के लिये एक साथ कार्य करती हैं। ‘आयरन डोम प्रणाली’ दिन, रात व प्रत्येक मौसम में कार्य करने में सक्षम है।
  • इस प्रणाली में ‘युद्ध प्रबंधन एवं हथियार नियंत्रण प्रणाली’ (Battle Management And Weapon Control System – BMC) का उपयोग किया गया है, ताकि किसी भी खतरे का पता लगाया जा सके, उसे ट्रैक किया जा सके तथा रडार एवं हथियारों को नियंत्रित किया जा सके। इसके अलावा, मिसाइल फायर को नियंत्रित करने के लिये ‘मिसाइल फायरिंग यूनिट’ का प्रयोग भी किया गया है। बी.एम.सी. मूल रूप से रडार तथा इंटरसेप्टर मिसाइल के मध्य सामंजस्य स्थापित करने का कार्य करती है।
  • नई दिल्ली स्थित ‘सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज’ (CAPS) के अनुसार, किसी भी वायु रक्षा प्रणाली में दो मुख्य तत्त्व होते हैं, पहला– ‘रडार’ तथा दूसरा– ‘प्रोक्सिमिटी फ्यूज’। इनमें से ‘राडार’ वस्तुओं की सटीक पहचान करने तथा उन्हें ट्रैक करने में सक्षम होता है। भावी खतरों को पहचानने तथा उन्हें ट्रैक करने के लिये वायु रक्षा प्रणाली में सामान्यतः 2-3 रडारों का उपयोग किया जाता है। ‘ट्रैकिंग रडार’ लक्ष्य की पहचान कर, उसे कुशलतापूर्वक भेदने में मिसाइल की मदद करता है।
  • ‘प्रोक्सिमिटी फ्यूज’ को ‘लेजर-नियंत्रित फ्यूज’ भी कहा जाता है। चूँकि प्रत्येक बार लक्ष्य को सीधे भेदना संभव नहीं हो पाता है, अतः जब मिसाइल लक्ष्य के लगभग 10 मीटर करीब से गुजरती है तो यह उपकरण मिसाइल को सक्रिय कर देता है और वारहेड में इस तरह से विस्फोट होता है कि मिसाइल तथा लक्ष्य पूर्णतः नष्ट हो जाते हैं।

भारत के पास उपलब्ध प्रणालियाँ

  • रक्षा प्रणालियों के विकास की दृष्टि से इज़रायल, अमेरिका तथा रूस एक-दूसरे के समकक्ष हैं। ‘भारत’ रूस से लगभग 5 अरब डॉलर मूल्य की एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के लिये प्रयासरत है। इसके अलावा, भारत इज़रायल से ‘आयरन डोम रक्षा प्रणाली’ खरीदने के लिये भी वार्ता कर रहा है।
  • ‘S-400 रक्षा प्रणाली’ रॉकेट तथा क्रूज़ मिसाइल सहित अन्य मिसाइलों से निपटने में सक्षम है, किंतु इनकी रेंज काफी अधिक होती है। सतह से हवा में मार करने वाली S-400 रक्षा प्रणाली 300-400 कि.मी. की दूरी से दागी गई मिसाइलों व विमानों को मार गिराने में सक्षम होती है।
  • ‘बराक-8’ मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने में भारत तथा इज़रायल का सहयोग महत्त्वपूर्ण है। भारत ने इज़रायल के सहयोग से ‘वायु रक्षा रडार’ के विकास में भी कार्य किया है।
  • वर्तमान में भारत के पास सतह से हवा में मार करने वाली कम दूरी की मिसाइल ‘आकाश’ तथा रूसी रक्षा प्रणाली ‘पिकोरा’ (Pechora) उपलब्ध हैं। इन प्रणालियों को अधिक उन्नत बनाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही, ‘भारत’ अमेरिका से भी दो अत्याधुनिक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणालियाँ खरीदने की प्रक्रिया में है।
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