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लौह अयस्क नीति, 2021

संदर्भ

रेल मंत्रालय द्वारा नई लौह अयस्क नीति की घोषणा की गई है, इसे ‘लौह अयस्क नीति, 2021’ नाम दिया गया है तथा यह 10 फरवरी से लागू होगी।

लौह अयस्क नीति, 2021

  • यह नीति रेल बोगियों के आवंटन और लौह अयस्क की ढुलाई का नियमन करती है। इस नीति का उद्देश्य ग्राहकों की लौह अयस्क की ढुलाई से संबंधित आवश्यकताओं को पूरा करना तथा इस्पात उद्योग में माल ढुलाई से जुड़ी सभी सुविधाएँ उपलब्ध करवाना है।
  • रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक रेक मूवमेंट (EDRM) कार्यालय (कोलकाता), जो लौह-अयस्क यातायात के आवागमन के लिये कार्यक्रमों को मंजूरी देता है, की नई नीति में कोई नियामक भूमिका नहीं होगी। साथ ही, रेलवे द्वारा प्रलेखन की जांच को भी समाप्त कर दिया गया है।
  • नई नीति के प्रावधानों को रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (CRIS) द्वारा रेक अलॉटमेंट सिस्टम मॉड्यूल में अपडेट किया जाएगा। इसके तहत ग्राहकों को प्राथमिकता दिये जाने की व्यवस्था ग्राहक की प्रोफाइल के आधार पर सिस्टम द्वारा स्वतः तैयार की जाएगी।
  • ग्राहक माल ढुलाई के लिये अपनी आवश्यकता के अनुसार अपनी प्राथमिकताओं का चयन करने के लिये स्वतंत्र होंगे। इसके लिये अब उन्हें अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।
  • अब ग्राहक को किसी भी प्राथमिकता श्रेणी में अपने माल की ढुलाई के लिये वचन पत्र देना होगा, जिसमें यह उल्लेखित होगा कि माल की खरीद से लेकर उसकी ढुलाई और उसके इस्तेमाल में केंद्र तथा राज्य सरकारों के नियमों और क़ानूनों का अनुसरण किया गया है।
  • घरेलू विनिर्माण से जुड़ी गतिविधियों के लिये लौह अयस्क की ढुलाई को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
  • देश के अंदर लौह-अयस्क परिवहन ढुलाई में उन स्टील, पिग आयरन, स्पंज आयरन, पेलेट, या सिंटर प्लांट मालिकों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिनके पास लोडिंग और अनलोडिंग दोनों की अपनी निजी साइडिंग भी हो।
  • लौह अयस्क की प्राथमिकता के आधार पर ढुलाई की व्यवस्था में बदलाव किया गया है। अब लौह अयस्क की ढुलाई की प्राथमिकता का निर्धारण ग्राहकों द्वारा विकसित लोडिंग और अनलोडिंग की बुनियादी ढाँचागत व्यवस्था की उपलब्धता के आधार पर किया जा जाएगा ताकि लौह अयस्क की ढुलाई में तेजी आ सके।
  • आवंटन तथा माल ढुलाई के संदर्भ में नए और पुराने संयंत्रों को एक समान महत्त्व दिया जाएगा।
  • विदित है कि रेलवे के कुल माल परिवहन में लौह अयस्क दूसरा सबसे प्रमुख उत्पात है। वर्ष 2019-2020 में भारतीय रेलवे के कुल 1210 मिलियन टन माल ढुलाई में लगभग 17% हिस्सेदारी लौह अयस्क और इस्पात (53.81 मिलियन टन स्टील और 153.35 मिलियन टन लौह अयस्क) की रही।
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