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क्या  ऐप पर आंशिक प्रतिबंध संभव है?

प्रारंभिक परीक्षा के लिए - TRAI, VPN
सामान्य अध्ययन - पेपर, 3  -  इंटरनेट शटडाउन , VPN

चर्चा में क्यों-

हाल ही में 'भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण' (TRAI) ने इस बारे में सुझाव मांगा था कि क्या संपूर्ण लॉकडाउन के प्रभाव को कम करने के लिए इंटरनेट शटडाउन के बजाय "चयनात्मक" ऐप पर प्रतिबंध लगाना संभव होगा।

 भारत में इंटरनेट शटडाउन का इतिहास -

  1. भारत सरकार इंटरनेट शटडाउन को कानून और व्यवस्था बनाए रखने का एक वैध उपकरण मानती है।
  2. सांप्रदायिक घटनाओं  के दौरान उत्तेजक सामग्री के तेजी से प्रसार को रोकने के लिए समय-समय पर भारत के राज्यों और जिलों में इंटरनेट शटडाउन लगाया जाता है।
  3. शटडाउन लंबे समय तक चल सकता है, जिससे शिक्षा, बैंकिंग, सूचना आदि तक पहुंच बाधित हो सकती है।
  4.  सरकार ने प्रतिबंध  पर रोक लगाने की मांग की है, लेकिन शटडाउन के पैमाने पर नहीं। 
  5. जम्मू और कश्मीर के साथ-साथ मणिपुर में अधिकारियों और अदालतों ने वायर्ड इंटरनेट कनेक्शन और सीमित वायरलेस इंटरनेट एक्सेस की अनुमति देकर धीरे-धीरे दीर्घकालिक प्रतिबंधों को ढीला कर दिया है।

TRAI के दिशा-निर्देश -

  • TRAI द्वारा दिए गए सुझाव  के लिए दूरसंचार ऑपरेटरों और व्हाट्सएप जैसी मैसेजिंग ऐप फर्मों को एक-दूसरे के साथ सहयोग करने और शटडाउन के दौरान सेवाओं तक पहुंच बंद करने की आवश्यकता होगी।
  • TRAI ने भारत में मैसेजिंग ऐप्स को लाइसेंस देने पर सुझाव मांगा है, जिसके तहत कंपनियों को निगरानी और ब्लॉकिंग आवश्यकताओं के अधीन रहने की आवश्यकता हो सकती है।

TRAI के ऐप विनियमन संबंधी कार्य-

  • 2015 और 2018 में TRAI ने मैसेजिंग ऐप्स को विनियमित करने पर परामर्श दिया था।
  • टेलीकॉम ऑपरेटरों ने तब विनियमन की मांग की थी क्योंकि उनका तर्क था कि मैसेजिंग ऐप कम्पनियाँ टेलीकॉम ऑपरेटरों द्वारा किए जाने वाले कड़े सुरक्षा और निगरानी नियमों से गुज़रे बिना अवांछित सेवा भी प्रदान करते हैं।
  • टेलीकॉम कंपनियाँ ऑनलाइन कॉल और संदेशों(SMS) के कारण अपने राजस्व में कटौती से भी सावधान थीं, जो उस समय कॉलिंग और SMS दरों से सस्ती थीं। 
  • हालाँकि, 2016 के बाद से, दूरसंचार विभाग (DoT) और TRAI ने इस तर्क को खारिज कर दिया है, यह मानते हुए कि दूरसंचार कंपनियां उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले डेटा की श्रेणियों के बीच भेदभाव नहीं कर सकती हैं।
  • उसी समय से मैसेजिंग ऐप्स को विनियमित करना सुरक्षा और पुलिसिंग का मामला बन गया है।
  • ऑनलाइन फैल रही सांप्रदायिक अफवाहों और उत्तेजक सामग्री के खिलाफ रोकथाम की मांग करते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आई.टी. नियम, 2021 में 'ट्रेसेबिलिटी'(Traceability) की अपेक्षा की थी, जिससे किसी भी अग्रेषित संदेश के मूल प्रेषक का पता लगाया जा सकता है।
  • हालाँकि, नागरिक समाज समूहों और तकनीकी फर्मों ने कहा कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़े बिना ऐसी आवश्यकताएँ असंभव हैं।

वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) के बारे में -

  • टेलीकॉम ऑपरेटरों को आदेश देकर वेबसाइटों और कुछ ऐप्स को ब्लॉक करना संभव है। हालाँकि VPN इन ब्लॉक ऐप्स को बायपास करना आसान बना देते हैं।
  • VPN एक उपयोगकर्ता के इंटरनेट ट्रैफ़िक को दूसरे सर्वर के माध्यम से जोड़ते हैं।
  • हालाँकि इन उपकरणों का उपयोग अधिकतर पूरी तरह से हानिरहित उद्देश्यों के लिए किया जाता है,किंतु  सरकार VPN के प्रति बढ़ते अविश्वास को दर्शा रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि VPN अक्सर एन्क्रिप्टेड होते हैं, जिससे सरकार को उपयोगकर्ताओं के कनेक्शन में क्या चल रहा है, इसकी बहुत कम जानकारी मिलती है।
  • VPN कंपनियां आम तौर पर दूसरे देश में स्थित सर्वरों के माध्यम से डेटा रूट करती हैं और पहचान और ब्लॉकिंग से बचने के लिए इन सर्वरों द्वारा उपयोग किए जाने वाले आईपी पते को अक्सर चक्रित करती हैं।
  •  कुछ VPN कंपनियां दावा करती हैं कि वे अपने ग्राहकों के उपयोग का लॉग नहीं रखती हैं। 
  • चूँकि सरकार ने सार्वजनिक रूप से यह नहीं बताया है कि उपयोगकर्ताओं के वेब ट्रैफ़िक को रोकते समय वह क्या प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय अपनाती है।
  • सरकार का तर्क है कि इन सेवाओं का उपयोग गोपनीयता के प्रति जागरूक उपयोगकर्ताओं के अतिरिक्त आतंकवादियों और साइबर अपराधियों  द्वारा भी किया जाता है।
  • जब 'भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम' (CERT-IN) ने 2022 में VPN कंपनियों को भारत के उपयोगकर्ताओं के रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए निर्देश प्रकाशित किए, तो अधिकांश बड़े VPN प्रदाताओं ने भारत में भौतिक रूप से स्थित सर्वर को बंद कर दी। हालाँकि, इन कंपनियों ने भारत में उपयोगकर्ताओं को सेवा देना जारी रखा, जिससे लोगों को एन्क्रिप्टेड कनेक्शन के माध्यम से विदेशी सर्वर से जुड़ने और अवरुद्ध साइटों तक पहुंचने की अनुमति मिली।

क्या वीपीएन (VPN) को ब्लॉक किया जा सकता है-

  • VPN को ब्लॉक करना आसान नहीं है, क्योंकि इन्हें संचालित करने वाली कंपनियां अपने सर्वर से जुड़े आईपी पते को बार-बार बदलती रहती हैं। 
  • जबकि VPN सेवाओं की वेबसाइटें अवरुद्ध हो जाती हैं, तब इंस्टाल्ड  फ़ाइलें ऑनलाइन कहीं और पाई जा सकती हैं। 
  • टेलीकॉम ऑपरेटरों ने मणिपुर उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि VPN को अवरुद्ध करना तकनीकी रूप से असंभव था।
  • हालाँकि, इंटरनेट अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि VPN को ब्लॉक करना ऑनलाइन गोपनीयता के लिए हानिकारक कदम होगा।
  • इंटरनेट फ़्रीडम फ़ाउंडेशन के अनुसार, 'VPN... भारत के संविधान के तहत विशेष रूप से पत्रकारों, व्हिसिल-ब्लोअर और कार्यकर्ताओं के लिए डिजिटल अधिकारों को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।'

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-

  1. भारत सरकार इंटरनेट शटडाउन को कानून और व्यवस्था बनाए रखने का एक वैध उपकरण मानती है।
  2. भारत में मैसेजिंग ऐप्स को विनियमित करना सुरक्षा और पुलिसिंग का मामला है।

नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए-

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर - (c)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न - वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क किस प्रकार भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है? इससे निपटने में  इंटरनेट शटडाउन और ऐप पर आंशिक प्रतिबंध दोनों में से कौन-सा बेहतर उपाय है? आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।

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