(मुख्य परीक्षा ; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 , विषय – सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियां एवं उनका प्रबंधन –संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच सम्बंध)
पृष्ठभूमि
हाल ही में इस्लामिक स्टेट (आई.एस.) ने स्थानीय सहयोगी संगठनों को संगठित करके पुनः वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज की है, चाहे वह श्रीलंका में ईस्टर संडे का हमला हो या हाल ही में अफगानिस्तान के गुरुद्वारे पर हमला। विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आई.एस के स्लीपर सेल मौजूद हैं और ये कभी भी भारत में बड़े हमले कर सकते हैं।
भारत और दक्षिण एशिया को आई.एस.से खतरा
- एक रिपोर्ट के मुताबिक, 9/11 हमले के तुरंत बाद अल-कायदा भारत में भी घुसने की लगातार कोशिश कर रहा था। उस समय वैश्विक स्तर पर वह सबसे बड़ा आतंकी संगठन था।
- हाल के वर्षों में, आई.एस. केंद्रीय भूमिका में आ गया है और सम्पूर्ण विश्व का ध्यान उसकी गतिविधियों पर ही रहता है।
- 2015 की शुरुआत में अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान में आई.एस.-खोरासन (आई.एस-के.) की उपस्थिति से यह स्पष्ट है कि यह संगठन अब दक्षिण एशिया को लक्ष्य बना रहा है।
- हाल ही में काबुल में एक गुरुद्वारे पर हुए आतंकी हमले की ज़िम्मेदारी भी आई.एस. ने ली थी। इसके साथ ही आई.एस. ने केरल के कासरगोड के एक निवासी की तस्वीर जारी की थी, जिसे इस हमले में शामिल बताया गया था।
- आतंकवाद जैसे मुद्दे पर भारत को सलाह देने वाले प्रमुख थिंक-टैंक, साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (SATP) के अनुसार, भारत के 99 लोगों के इराक, सीरिया और अफगानिस्तान में आई.एस. में शामिल होने की पुष्टि हो चुकी है और यह संख्या इससे कहीं ज़्यादा होने का अनुमान है।
दक्षिण एशिया में आई.एस. का नेटवर्क
- अक्तूबर 2019 में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) ने खुलासा किया था कि 2014 के बाद से पूरे देश से 127 ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया गया है जो आई.एस. से जुड़े हुए थे और इनमें सबसे अधिक, 33 तमिलनाडु से थे।
- ध्यातव्य है कि एन.आई.ए. द्वारा गिरफ्तारियाँ पूरे देश से की गई थीं, न कि किसी विशिष्ट क्षेत्र से। निश्चित रूप से यह चिंता का विषय है, जिस तरह से पूरे भारत से मामले सामने आ रहे हैं।
- यह स्पष्ट है कि आई.एस. दक्षिण एशिया और आस-पास के क्षेत्रों में सम्भावित तौर पर बहुत से लोगों और संगठनों से खुफिया तौर पर जुड़ा हुआ है।
- आई.एस-के. की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिये श्रीलंका, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों ने अपने खुफिया सैन्य/असैन्य संगठनों को सचेत कर दिया है।
आई.एस. का सम्भावित प्रसार
- आई.एस. ने दक्षिण एशिया के लगभग सभी विश्वसनीय आतंकी सहयोगियों के साथ समूह बनाने की पहल की है, भले ही उनके बारे में जानकारी कम हो, आई.एस. उन्हें अपने साथ जोड़ रहा है ताकि वो अपना जाल और ज़्यादा फैला सके।
- अफगानिस्तान में आई.एस. ने नृजातीय संघर्षों को भी हथियार बनाया है।
- अफगानिस्तान-पकिस्तान क्षेत्र में इस्लामी आतंकवादी समूहों को प्राप्त समर्थन की वजह से आई.एस. की नज़र में यह एक हॉटस्पॉट है जिसे वो हर हाल में इस्तेमाल करना चाहता है।
- ध्यातव्य है कि काबुल गुरुद्वारे के हमले का मुख्य आरोपी असलम फारुकी एक पाकिस्तानी नागरिक है।
निष्कर्ष
- इस्लामिक स्टेट की वैश्विक पहुँच निश्चित रूप से बढ़ रही है और बहुत से देशों में अपने कई स्लीपर सेल होने का दावा भी वह करता आया है।
- सम्पूर्ण विश्व ने देखा है किस प्रकार पूरे मध्य एशिया में आई.एस. ने आतंक फैला रखा है। अब इसका निशाना दक्षिण एशिया है और जाहिर तौर पर भारत भी सम्भावित लक्ष्यों में से है।
- जाँच एजेंसियों ने कई ऐसे लोगों को पकड़ने की पुष्टि की है जिनका सम्बंध प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस संगठन से है। भारत को सचेत होकर पुख्ता तरीके से इसकी गतिविधियों को फैलने से रोकना होगा, अन्यथा भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया बनने में देर नहीं लगेगी।