(प्रारंभिक परीक्षा के लिए - इजरायल के अपने पड़ोसी देशों से सीमा संबंधी विवाद)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - द्विपक्षीय समूह और समझौते)
चर्चा में क्यों
- इजरायल तथा लेबनान लंबे समय से विवादित अपनी समुद्री सीमा के विवाद को सुलझाने के लिए अमेरिका की मध्यस्थता में एक समझौते पर पहुंच गये हैं।
- इसे एक ऐतिहासिक समझौते के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच साझा समुद्री सीमा को लेकर चला आ रहा विवाद खत्म हो जाएगा।
- साथ ही दुश्मन माने जाने वाले इन दोनों देशों के बीच प्राकृतिक गैस उत्पादन का रास्ता साफ होगा, और युद्ध का खतरा कम होगा।
- 1948 में इज़राइल के अस्तित्व में आने के बाद से ही इज़राइल तथा लेबनान के बीच समुद्री सीमा को लेकर विवाद है। दोनों देश भूमध्य सागर में लगभग 860 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर परस्पर दावा करते हैं।
इजरायल - लेबनान सीमा मुद्दे
- समझौते का उद्देश्य क्षेत्र में अपतटीय गैस क्षेत्रों पर इजरायल और लेबनान के प्रतिस्पर्धी दावों को निपटाना है।
- भूमध्य सागर में 2011 में दोनों देशों द्वारा अतिव्यापी सीमाओं की घोषणा के बाद से यह मुद्दा एक दशक से भी ज्यादा पुराना है।
- एक दशक पहले इजरायल द्वारा अपने तट पर दो गैस क्षेत्रों की खोज के बाद इस मुद्दे को महत्व मिला, जिसको लेकर विशेषज्ञों का मानना था कि यह ऊर्जा निर्यातक बनने में इस्राइल की मदद कर सकता है।
- संघर्ष का एक प्रमुख क्षेत्र करिश गैस क्षेत्र था, इजरायल के अनुसार यह पूरी तरह से उसकी सीमा के अन्दर है, जबकि लेबनान भी इस पर दावा करता है।
- चूंकि दोनों देश तकनीकी रूप से युद्ध में सलग्न हैं, इसलिए संयुक्त राष्ट्र को मध्यस्थता करने के लिए कहा गया था।
समझौते की प्रमुख शर्तें
- अमेरिका की मध्यस्थता में महीनों चली वार्ता के बाद हुए इस समझौते को इजराइल और लेबनान के बीच संबंधों के लिहाज से बड़ी सफलता माना जा रहा है।
- यह समझौता पूर्वी भूमध्य सागर में एक ऐसे क्षेत्र में क्षेत्रीय विवाद को हल करता है, जो प्राक्रतिक गैस के भंडार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- समझौते के तहत, विवादित जलक्षेत्र को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण “काना” प्राकृतिक गैस क्षेत्र के निकट एक रेखा के साथ विभाजित किया जाएगा।
- लेबनान को उस क्षेत्र से गैस का उत्पादन करने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन इजराइल की ओर से गैस निकाले जाने पर इजराइल को ‘रॉयल्टी’ का भुगतान करना होगा।
- यह पहली बार लेबनान और इस्राईल के समुद्री जल के बीच सीमा भी तय करता है।
- समझौते के तहत ऊर्जा क्षेत्र का विकास किया जाएगा, जिससे दोनों देशों को लाभ होगा। साथ ही इससे क्षेत्र में और अधिक स्थिरता व समृद्धि लाने का मंच तैयार होगा
समझौते की आवश्यकता
- आतंकी खतरों को टालना- इस समझौते से इजरायल और लेबनान में हिजबुल्लाह के आतंकवादियों के बीच संघर्ष के तत्काल खतरे को टालने की उम्मीद है।
- ऊर्जा स्रोत - इस समझौते से दोनों देशों के लिए ऊर्जा और आय के नए स्रोत पैदा होंगे।
- यह समझौता लेबनान के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो एक वित्तीय संकट का सामना कर रहा है।
- यूरोप के लिए वैकल्पिक ऊर्जा - यह यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के कारण उत्पन्न हुई ऊर्जा की कमी के बीच यूरोप को गैस का नया संभावित स्रोत प्रदान करेगा।
समझौते से संबंधित चुनौतियाँ
- इजरायल और लेबनान के बीच साझा भूमि सीमा के बारे में समझौते में कोई चर्चा नहीं की गयी है, जो अभी भी विवादित है तथा जहां दोनों देश युद्धविराम के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- इस सीमा को ब्लू लाइन भी कहा जाता है, इस सीमा को संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2000 में दक्षिणी लेबनान से इजरायल के हटने के बाद निर्धारित किया गया था।
- इस स्थल सीमा पर इस समय संयुक्त राष्ट्र की सेना गश्त करती है।
- इस समझौते को अब भी कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें इजराइल से जुड़ी कानूनी और राजनीतिक चुनौतियां शामिल हैं।