(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: विषय- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह, भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।)
- हाल ही में, इज़राइल और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा अब्राहम समझौते (Abraham Accords) पर सहमती व्यक्त की गई है। यह समझौता दोनों देशों के मध्य पूर्णतः सामान्य राजनयिक सम्बंधों को स्थापित करने में सहायक साबित होगा।
- अमेरिका द्वारा मध्यस्थता करने की वजह से इसे वाशिंगटन-ब्रोकर्ड समझौता (Washington-brokered Deal) भी कहा जा रहा है।ऐसा माना जा रहा है कि इस समझौते की वजह से ईरान से लेकर फिलिस्तीन तक पश्चिमी एशिया की राजनीति एक नया रूप लेगी।
- ध्यातव्य है कियू.ए.ई. और इज़रायल दोनों पश्चिम एशिया में संयुक्त राज्य अमेरिका के करीबी सहयोगी हैं।
प्रमुख बिंदु:
- यह त्रिपक्षीय समझौता हाल के समय में इज़रायल, संयुक्त अरब अमीरात तथा अमेरिका के मध्य हुई लम्बी वार्ताओं का नतीज़ा है।
- इस समझौते के तहत इज़रायल नेवेस्ट बैंक (West Bank) के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा करने की अपनी पूर्व योजना को निलम्बित करने पर सहमती व्यक्त की है।
- यू.ए.ई. ऐसा करने वाला पहला खाड़ी देश बन गया है और इज़रायल के साथ सक्रिय राजनयिक सम्बंध रखने वाला मात्र तीसरा अरब/खाड़ी देश है।
- पूर्व में वर्ष1979 में मिस्र ने तथा उसके बाद वर्ष1994 में जॉर्डन ने इज़रायल के साथ शांति समझौता किया।
- समझौते के तहत इज़राइल वेस्ट बैंक के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा करने की अपनी योजना को विराम देगा।
- वेस्ट बैंक पश्चिमी एशिया के भूमध्य सागरीय तट के पास स्थित एक स्थल-अवरुद्ध क्षेत्र है। पूर्व में यह जॉर्डन से तथा दक्षिण, पश्चिम और उत्तर में यह‘ग्रीन-लाइन’ द्वारा इज़राइल से जुड़ा हुआ है। वेस्ट बैंक के अंतर्गत पश्चिमी मृत सागर (Dead Sea) तट का काफी हिस्सा भी आता है। इसका एक प्रमुख शहर ‘रामल्लाह’ (Ramallah) फिलिस्तीन की वास्तविक प्रशासनिक राजधानी है।
- वर्ष 1948 के अरब-इज़रायल युद्ध के पश्चात् वेस्ट बैंक पर जॉर्डन ने कब्ज़ा कर लिया था। इज़रायल ने छह-दिवसीय अरब-इज़राइली युद्ध-1967 के दौरान इसे अपने नियंत्रण में ले लिया था और बाद के वर्षों में वहाँ पर अपनी कई छोटी, अनौपचारिक बस्तियाँ स्थापित कीं।
- वेस्ट बैंक क्षेत्र में लगभग 4 लाख से ज़्यादा इज़राइली लोग निवास करते हैं। इसी क्षेत्र में 26 लाख के करीब फिलिस्तीनी लोग भी निवास करते हैं।
- इज़राइल ने छह-दिवसीय अरब-इज़राइली युद्ध, 1967 में इस जगह को अपने नियंत्रण में ले लिया था और बाद में वहाँ अपनी बस्तियाँ स्थापित की थीं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात और इज़राइल का एक संयुक्त बयान जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि दोनों देशों के प्रतिनिधि आने वाले हफ्तों में नागरिक उड्डयन, सुरक्षा, दूरसंचार, ऊर्जा, पर्यटन और स्वास्थ्य देखभाल से जुड़े विषयों पर सौदों पर हस्ताक्षर करेंगे।
- दोनों राष्ट्र एक-साथ कोविड-19 महामारी से लड़ने में भी भागीदारी करेंगे।
- हालाँकि यह स्पष्ट नहीं है कि इज़रायल और यू.ए.ई. ने यह घोषणा इस वक़्त क्यों की।
- जून 2020 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत ने चेतावनी दी थी कि इज़रायल के जॉर्डन घाटी और वेस्ट बैंक के अन्य भागों को अपने शासित क्षेत्रों में शामिल करने की योजना अरब देशों से इज़राइल के सम्बंधों को और खराब कर देगी।
पृष्ठभूमि:
- संयुक्त अरब अमीरात मध्यपूर्व एशिया में स्थित एक देश है। सन 1873 से 1947 तक यह ब्रिटिश भारत के अधीन रहा। उसके बाद इसका शासन लंदन के विदेश विभाग से संचालित होने लगा। वर्ष 1971 में फारस की खाड़ी के साथ शेख राज्यों आबू धाबी, शारजाह, दुबई, अलकुवैन, अजमान, फुजैराह तथा रस अल खैमा को मिलाकर संयुक्त अरब अमीरात की स्थापना हुई। रास अल खैमा इसमें 1972 में शामिल हुआ।
- ये हमेशा से अमेरिका के सहयोगी रहे व इन्होने फिलस्तीन के क्षेत्रों पर इज़राइल को कभी मान्यता नहीं दी।
- संयुक्त अरब अमीरात ने हमेशा से फिलिस्तीन को अपना समर्थन दिया हैऔर 1967 के युद्ध में इज़राइल द्वारा जीते हुए क्षेत्रों पर फिलिस्तीन देश के निर्माण की हमेशा वकालत की है।
- हाल के वर्षों में, खाड़ी देशों और इज़राइल के बीच सम्बंध मज़बूत हुए हैं, जिसका एक कारण ईरान के साथ सबकी साझा शत्रुता और लेबनान के आतंकी समूह हिज़बुल्लाह के खिलाफ उनके प्रयास को माना जा सकता है।
- संयुक्त अरब अमीरात भी इस्लामी आतंकी समूहों ‘मुस्लिम ब्रदरहुड तथा अन्य के प्रति इज़राइल के अविश्वास का समर्थन करता है और उन्हें क्षेत्र में अशांति के लिये ज़िम्मेदार मानता है।
संयुक्त अरब अमीरात पर समझौते का प्रभाव:
- शासकों द्वारा शासित होने के बावजूद यू.ए.ई.द्वारा किया गया यह समझौता सहिष्णुता से जुड़े यू.ए.ई.के अंतर्राष्ट्रीय अभियान के रूप में देखा जा सकता है।
- इस समझौते के बाद संयुक्त अरब अमीरात पड़ोसी खाड़ी देशों के बीच क्षेत्रीय मान्यता दौड़ में प्रथम स्थान पर आ सकता है।
इज़राइल पर समझौते का प्रभाव:
- यह घोषणा इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साल भर से प्रस्तुत किये जा रहे सभी दावों को सही ठहराती है जिसमें वो लगातार कह रहे थे कि इस दौरान इज़राइल के खाड़ी देशों से सम्बंध घनिष्ठ हुए हैं।
- यह सौदा नेतन्याहू को एक प्रकार की घरेलू बढ़त देता है विशेषकर,जब इज़रायल की गठबंधन सरकार को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और जल्द ही चुनाव होनेकी सम्भावना है।
संयुक्त राज्य अमेरिका पर समझौते का प्रभाव:
- यह समझौता नवम्बर के चुनाव से पहले संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को एक राजनयिक बढ़त अवश्य देगा।
- ध्यातव्य है कि अफगानिस्तान में युद्ध को समाप्त करने के लिये और इज़रायल और फिलिस्तीनियों के बीच शांति लाने के लिये ट्रम्प द्वारा किये गए सभी प्रयास अभी तक असफल ही रहे हैं।
आगे की राह:
- यह एक ऐतिहासिक समझौता है एवं मध्य पूर्व में शांति के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित होगा।
- मध्य पूर्व की दो सबसे उन्नत अर्थव्यस्थाओं के बीच सीधे सम्बंध स्थापित होने से आर्थिक विकास में तेज़ी आएगी, तकनीकी नवाचार की साझेदारी भी बढ़ेगी और नागरिकों के बीच सम्बंधों को बढ़ावा मिलेगा।