प्रारंभिक परीक्षा – INSAT-3DS सैटेलाइट मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी |
संदर्भ
17 फरवरी,2024 को इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने INSAT-3DS सैटेलाइट को लॉन्च किया।
प्रमुख बिंदु
- इस सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया।
- 1 जनवरी 2024 को PSLV-C58/EXPOSAT मिशन की लॉन्चिंग के बाद 2024 में इसरो का यह दूसरा मिशन है।
- INSAT-3DS सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस लॉन्च वाहन F14 (GSLV-F14) द्वारा पर लॉन्च किया गया।
- यह INSAT-3D सीरीज की 7वीं उड़ान है।
- इस सीरीज का आखिरी सैटेलाइट INSAT-3DR 8 सितंबर, 2016 को लॉन्च किया गया था।
INSAT-3DS उपग्रह
- इस सैटेलाइट का वजन 2,274 किलोग्राम है।
- इसे 37000 किलोमीटर ऊंचाई पर जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) यानी पृथ्वी की ऊपरी कक्षा में स्थापित किया गया है ।
- इस रॉकेट में इमेजर पेलोड, साउंडर पेलोड, डेटा रिले ट्रांसपोंडर और सैटेलाइट एडेड सर्च एंड रेस्क्यू ट्रांसपोंडर लगाया गया।
- यह सैटेलाइट 10 वर्ष तक भारत को मौसम की सटीक जानकारी देगा।
- INSAT-3DS सैटेलाइट तीसरी पीढ़ी का उपग्रेडेड, डेडिकेटेड मौसम विज्ञान उपग्रह है।
- इस उपग्रह का उद्देश्य पृथ्वी की सतह और समुद्री अवलोकनों के अध्ययन को बढ़ावा देना है।
- यह भारत की मौसम और जलवायु निगरानी सेवाओं को बढ़ावा देने में मदद करेगा।
- यह उपग्रह भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) सहित पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, NIOT, मौसम पूर्वानुमान केंद्र और भारतीय राष्ट्रीय केंद्र के तहत विभिन्न विभागों को सेवा प्रदान करेगा।
- इसका इस्तेमाल बादल, कोहरे, वर्षा, बर्फ और उसकी गहराई, आग, धुआं, जमीन और समुद्र का अध्ययन करने के लिए किया जाएगा।
- INSAT-3DS मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में मदद करेगा।
- यह साइक्लोन के बारे में पहले से ही जानकारी दे देगा। इससे तूफान से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकेगा।
INSAT-3DS में प्रयुक्त तकनीकी
- इसमें कुल 6 चैनल इमेजर लगें हैं जो किसी भी सैटेलाइट में मौजूद चैनल इमेजर धुंध और धूल को डिटेक्ट करता है।
- इसमें 19 चैनल साउंडर भी लगें है जो किसी इलाके के हिसाब से तापमान और नमी को माप कर उसे यूजर तक 3D डायग्राम बनाकर भेजता है।
- इस सैटेलाइट में कम्यूनिकेशन पेलोड्स(Communication Payloads) के साथ डेटा रिले ट्रांसपोंडर भी मौजूद है।
- कम्युनिकेशन पेलोड का काम डेटा रिसीव करना और पहुंचाना होता है
- वहीं डेटा रिले ट्रांसपोंडर नदी, नहर में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखकर डाटा जमा करता है।
- SAS&R ट्रांसपोंडर का फुल फॉर्म- एडवांस एडेड सर्च एंड रेस्क्यू है। इसका काम मुश्किल में पड़े यूजर्स से डिस्ट्रेस सिग्नल्स को रेस्क्यू सेंटर्स तक पहुंचाना है।
इनसैट (INSAT) सीरीज
- इनसैट या इंडियन नेशनल सैटेलाइट सिस्टम को भारत की कम्युनिकेशन, टेलिकास्ट, मौसम विज्ञान और सर्च एंड रेस्क्यू की जरूरतों को पूरा करने के लिए इसरो ने बनाया है।
- यह जियो स्टेशनरी सैटेलाइट्स की सीरीज है।
- इसकी शुरुआत वर्ष 1983 में की गई।
- इनसैट एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़ा लोकल कम्युनिकेशन सिस्टम है।
- सैटेलाइट्स की निगरानी और कंट्रोल कर्नाटक के हासन और मध्य प्रदेश के भोपाल में स्थित मेन कंट्रोल सेंटर्स से किया जाता है।
- इस सीरीज के अब तक छह सैटेलाइट्स लॉन्च किए जा चुके हैं।
- आखिरी सैटेलाइट INSAT-3DR है। यह अभी भी काम कर रहा है।
INSAT-3DR
- इनसैट सीरीज का आखिरी सैटेलाइट INSAT-3DR था।
- इसे वर्ष 2016 को लॉन्च किया गया।
- इस मिशन का मुख्य उद्देश्य जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए एक ऑपरेशनल इन्वायर्नमेंट और साइक्लोन अलर्ट सिस्टम देना है।
- यह सैटेलाइट अभी पृथ्वी की सतह, समुद्र से की जाने वाली लॉन्चिंग की निगरानी कर रहा है।
- यह डेटा टेलीकास्ट सेवाएं भी देता है।
- डेटा प्रोसेसिंग के लिए फैसिलिटी अहमदाबाद में स्थापित की गई है।
जीएसएलवी(GSLV)
- GSLV का अभिप्राय भू- समकालिक (जियोसिंक्रोनस) प्रक्षेपण वाहन है।
- जीएसएलवी एक तीन चरणों वाला रॉकेट है, जिसकी लंबाई 51.7 मीटर है।
- यह 10,000 कि.ग्रा. के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा तक ले जा सकता है।
- जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) एक अधिक शक्तिशाली रॉकेट है, जो भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में अधिक ऊँचाई तक ले जाने में सक्षम है।
- जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट जैसे-जैसे पृथ्वी घूमती है वैसे-वैसे ही घूमते हैं। इसी वजह से ये सैटलाइट हमेशा एक जगह पर रुके हुए लगते हैं।
- इसी वजह से कम्यूनिकेशन सैटलाइट, टेलीविजन सैटलाइट और कई अन्य सैटलाइट GSLV से ही भेजे जाते हैं।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- 17 फरवरी,2024 को इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने INSAT-3DS सैटेलाइट को लॉन्च किया।
- INSAT-3DS सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस लॉन्च वाहन F14 (GSLV-F14) पर लॉन्च किया गया।
- इनसैट या इंडियन नेशनल सैटेलाइट सिस्टम को भारत की कम्युनिकेशन, टेलिकास्ट, मौसम विज्ञान और सर्च एंड रेस्क्यू की जरूरतों को पूरा करने के लिए इसरो ने बनाया है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : INSAT-3DS सैटेलाइट की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
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स्रोत:the hindu