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अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization : ILO)

प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में, भारत ने 35 वर्षों बाद अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के शासी निकाय (Governing Body) की अध्यक्षता ग्रहण की है। आई.एल.ओ. के शासी निकाय का अध्यक्ष पद अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पद माना  जाता है।
  • श्रम व रोजगार सचिव श्री अपूर्व चंद्रा को अक्तूबर 2020 से जून 2021 तक की अवधि के लिये इस पद हेतु चुना गया है। श्री अपूर्व चंद्रा नवम्बर 2020 में होने वाली शासी निकाय की बैठक की अध्यक्षता करेंगे।

कार्य

शासी निकाय आई.एल.ओ. का शीर्ष कार्यकारी निकाय है, जो नीतियों, कार्यक्रमों और एजेंडे के साथ-साथ बजट का निर्धारण करता है। साथ ही यह महानिदेशक के चुनाव का कार्य भी करता है।

महत्त्व

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन संगठित या असंगठित क्षेत्र में सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के सार्वभौमिकरण के बारे में भारत की मंशा स्पष्ट करेगा।

साथ ही, यह संगठन श्रम बाजार की कठोरता और कठिनाई दूर करने के लिये सरकार द्वारा की गई परिवर्तनकारी पहलों के प्रतिभागियों को भी एक मंच प्रदान करेगा।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन : एक नज़र में

  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना वर्ष 1919 में हुई थी। वर्ष 1946 में आई.एल.ओ. नवगठित संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी बन गई।
  • वर्तमान समय में आई.एल.ओ. के 187 सदस्य हैं। आई.एल.ओ. के वर्तमान महानिदेशक गाय राइडर हैं। इस संगठन को वर्ष 1969 में इसकी 50वीं वर्षगांठ पर नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था।
  • यह संगठन सदस्य देशों की सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को एक साथ लाता है। यह श्रम मानकों को निर्धारित करने, नीतियों को विकसित करने और सभी महिलाओं व पुरुषों के लिये सभ्य कार्य संस्कृति को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों का विकास करता है।
  • वर्ष 2019 में आई.एल.ओ. ने ‘कार्य के भविष्य हेतु आई.एल.ओ. शताब्दी घोषणा, 2019’ जारी किया।
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