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जल ही अमृत कार्यक्रम

(प्रारंभिक परीक्षा: सरकारी योजनाएं एवं कार्यक्रम)

चर्चा में क्यों 

केंद्र सरकार ने नई सरकार के गठन के पहले 100 दिनों में एक नई योजना ‘जल ही अमृत’ को मंजूरी दी है। 

जल ही अमृत कार्यक्रम के बारे में 

  • क्या है : अमृत (अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन) 2.0 मिशन के तहत राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा जल के कुशल पुन: उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु 'जल ही अमृत' कार्यक्रम शुरू किया गया है। 
  • संबंधित मंत्रालय: केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय। 
  • उद्देश्य : शहरी क्षेत्रों में उपचारित अपशिष्ट जल की गुणवत्ता में सुधार करना और उपचारित जल के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना।
  • लक्ष्य: शहरों के मध्य प्रतिस्पर्धा के लिए एक मंच के रूप में काम करना, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उपचारित जल निरंतर आधार पर पर्यावरण मानकों को पूरा करे और सहकर्मियों के सीखने की क्षमता को विकसित करता रहे।
  • प्रमुख प्रावधान 
    • स्वच्छ जल क्रेडिट प्रणाली: स्वच्छ जल क्रेडिट का उद्देश्य शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा का निर्माण करना, क्षमता विकसित करना और उपचारित जल की सर्वोत्तम गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना है।
    • स्टार रेटिंग: अपशिष्ट जल सयंत्रों को स्टार-रेटिंग (3 स्टार से 5 स्टार के बीच) प्रमाण पत्र के रूप में स्वच्छ जल क्रेडिट प्रदान किया जाएगा जो 6 माह के लिए वैध होगा।
    • प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन: स्टार रेटिंग/स्वच्छ जल क्रेडिट के आधार पर शहरों एवं अपशिष्ट जल सयंत्रों को प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।

अमृत 2.0 योजना

  • क्या है: जून 2015 में हर घर जल और सीवरेज कनेक्शन पहुँच को सुनिश्चित करने के लिये प्रारंभ अमृत मिशन के अगले चरण के रूप में शुरू पहल; अमृत ​​मिशन को अमृत 2.0 के अंतर्गत शामिल कर लिया गया है।
  • प्रारंभ तिथि: 1 अक्टूबर, 2021
  • समयावधि : 05 वर्ष (वित्तीय वर्ष 2021-22 से वित्तीय वर्ष 2025-26 तक)
  • संबंधित मंत्रालय: केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय।
  • उद्देश्य : इसे देश के सभी वैधानिक शहरों में सभी घरों में कार्यात्मक नल के माध्यम से जल की आपूर्ति की सार्वभौमिक कवरेज और अमृत योजना के पहले चरण में शामिल 500 शहरों में सीवरेज/सेप्टेज प्रबंधन की कवरेज प्रदान करना है।
  • महत्वपूर्ण क्षेत्र
    • जलापूर्ति।
    • सीवरेज सुविधाएं और सेप्टेज प्रबंधन।
    • बाढ़ को कम करने के लिए तीव्र जल निकासी।
    • पैदल यात्री, गैर-मोटर चालित और सार्वजनिक परिवहन सुविधाएं, पार्किंग स्थल।
    • हरित स्थानों, पार्कों और मनोरंजन केंद्रों का निर्माण एवं  उन्नयन करके शहरों के सुविधा मूल्य में वृद्धि करना।
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