(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन एवं कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय)
संदर्भ
हाल ही में, एक निजी एजेंसी द्वारा किये गए एक ऑडिट के अनुसार भारत में लगभग 62% ग्रामीण परिवारों के परिसर में नल से पानी (Tap Water) के पूरी तरह से क्रियाशील कनेक्शन हैं।
योजना का मूल्यांकन
- उपरोक्त आंकड़ों की सटीकता को लेकर प्रश्नचिह्न है। यदि आंकड़ें सटीक हैं तो यह पीने योग्य नल के जल की पहुंच में प्रभावशाली वृद्धि को रेखांकित करता है। साथ ही, यह माना जा सकता है कि वर्ष 2024 तक जल जीवन मिशन अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के रास्ते पर है।
- हालाँकि, सरकार का दावा है कि वर्ष 2019 में इस योजना की घोषणा के बाद से इसमें 37% की वृद्धि हुई है।
- सरकार इस योजना की सफलता का मूल्यांकन करने के लिये वार्षिक सर्वेक्षण करती है। इसके अतिरिक्त समय-समय पर निजी एजेंसियों द्वारा भी योजना का मूल्यांकन किया जाता है।
- जल शक्ति मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर मार्च में जल संसाधन पर संसदीय स्थायी समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 46% घरों में पूरी तरह कार्यात्मक नल के पानी के कनेक्शन हैं।
जल जीवन मिशन
- वर्ष 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पाइप से पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना वर्तमान सरकार की महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताओं में से एक है।
- जल जीवन मिशन का घोषित उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति प्रति दिन कम-से-कम 55 लीटर पीने योग्य पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
- पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के नेतृत्व में जल जीवन मिशन के तहत 10.2 करोड़ ग्रामीण परिवार या लगभग 53% पात्र आबादी के पास अब नल से जल तक पहुँच की सुविधा है।
- इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक परिवार के लिये केवल एक कनेक्शन पर्याप्त नहीं है।
मिशन से संबंधित मुद्दे
राज्यवार असमानता
- तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, गोवा और पुदुचेरी में 80% से अधिक घरों में पूरी तरह कार्यात्मक कनेक्शन हैं।
- जबकि राजस्थान, केरल, मणिपुर, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मिजोरम और सिक्किम में आधे से भी कम घरों में ऐसे कनेक्शन उपलब्ध हैं।
जल उपलब्धता की स्थिति
- लगभग 75% घरों में सप्ताह के सभी दिन पानी की आपूर्ति होती है और केवल 8% घरों को सप्ताह में केवल एक बार पानी मिल पाता है।
- औसतन घरों में प्रतिदिन तीन घंटे पानी की आपूर्ति होती है।
जल संदूषण की समस्या
- रिपोर्ट में क्लोरीन संदूषण की समस्या का उल्लेख किया गया है। हालांकि, पानी के 93% नमूने कथित तौर पर बैक्टीरियोलॉजिकल (जीवाणु संबंधी) संदूषण से मुक्त थे।
- अधिकांश आंगनवाड़ी केंद्रों और स्कूलों में जल में अवशिष्ट क्लोरीन अनुमेय सीमा से अधिक थी।
आगे की राह
- कोविड-19 महामारी ने इस योजना की प्रगति को बाधित कर दिया है किंतु अर्थव्यवस्था अब पूर्व-महामारी स्तर के करीब है, अत: अब योजना की प्रगति की संभावना है।
- केंद्र सरकार को इस योजना के लक्ष्य प्राप्ति में पिछड़ रहे राज्यों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही, इस योजना के अंतर्गत निर्मित बुनियादी ढांचा दीर्घकालिक होना चाहिये।