उत्तर प्रदेश के संभल शहर में स्थित जामा मस्जिद अपनी उत्पत्ति को लेकर विवाद में बनी हुई है।
हालिया विवाद
- संभल के सिविल जज की अदालत में दायर याचिका में यह दावा किया गया है कि जामा मस्जिद मूलतः हरिहर मंदिर था, जिसे वर्ष 1529 में ध्वस्त कर मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था।
- अपनी याचिका में दो ऐतिहासिक पुस्तकों बाबरनामा (बाबर की आत्मकथा) एवं आइन-ए-अकबरी (अबुल फ़जल द्वारा रचित) और 1874-76 में अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा की गई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) रिपोर्ट को आधार बनाया है।
- हरिहर का संबंध हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि से है।
- इस मामले में अदालत ने मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है। इस सर्वेक्षण की निगरानी जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक सहित स्थानीय अधिकारियों द्वारा की जानी है।
- वर्तमान में यह मामला न्यायालय के समक्ष विचारधीन है।
संभल की जामा मस्जिद के बारे में
- निर्माण : वर्ष 1526 से वर्ष 1530 के मध्य बाबर के शासनकाल में।
- यह इस काल खण्ड में निर्मित तीन मस्जिदों में से एक है, जिनमें अन्य पानीपत की मस्जिद और अयोध्या की बाबरी मस्जिद (अब ध्वस्त हो चुकी) हैं।
- वास्तुकला शैली : इस मस्जिद का निर्माण मुग़ल शैली में किया गया है।
- विशेषताएँ : प्रसिद्ध विद्वान हॉवर्ड क्रेन ने ‘द पैट्रोनेज ऑफ़ बाबर एंड द ऑरिजिंस ऑफ़ मुगल आर्किटेक्चर’ में लिखा है कि-
- जामा मस्जिद संभल के केंद्र में एक पहाड़ी पर स्थित है।
- यह अपने बड़े, चौकोर मेहराब हॉल और गुंबद के लिए प्रसिद्ध है।
- मेहराब में एक छंदबद्ध फ़ारसी शिलालेख में कहा गया है कि बाबर ने दिसंबर 1526 में हिंदू बेग कुसीन (Hindu Beg Qucin) को इस मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया था।