New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 20 Jan, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 5 Jan, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

जातर देउल मंदिर

प्रारंभिक परीक्षा - जातर देउल मंदिर
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1- भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप

सन्दर्भ 

  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने जातर देउल मंदिर के क्षरण को रोकने के लिए इस मंदिर में एक सुरक्षात्मक उपाय के रूप में क्षतिग्रस्त ईंटों को बदलने और इसके आस-पास पेड़ लगाने की योजना बनाई है।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, विशेष रूप से हवा की लवणता में वृद्धि के कारण धीरे-धीरे जातर देउल मंदिर की बाहरी ईंट की दीवार का क्षरण हो रहा है तथा ईंटों के किनारे लगातार जंग खा रहे हैं। 

जातर देउल मंदिर

jatar-deul-temple

  • जातर देउल मंदिर पश्चिम बंगाल में दक्षिण 24 परगना जिले में मोनी नदी के तट पर के कनकन दिघी गांव में एक छोटी सी पहाड़ी स्थित है।
  • यह एक हिंदू मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है।
  • 1875 में मंदिर से प्राप्त एक तांबे की प्लेट के विवरण के अनुसार मंदिर का निर्माण राजा जॉयचंद्र द्वारा 975 ईस्वी कराया गया था।
  • जातर देउल मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

मंदिर की संरचना 

  • यह मंदिर वास्तुकला की कलिंग शैली का अनुसरण करता है।
  • मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना है।
  • इसमें एक धनुषाकार प्रवेश द्वार है जो गर्भगृह की ओर जाता है।
  • गर्भगृह भूतल के नीचे स्थित हैन तथा गर्भगृह में विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र और मूर्तियाँ हैं।
  • मंदिर की दीवारों को सजावटी ईंटों से जटिल रूप से सजाया गया था, लेकिन इसका अधिकांश हिस्सा क्षरित हो चुका है।

वास्तुकला की कलिंग शैली

Kalinga-style-of-architecture

  • यह मंदिर निर्माण की नागर वास्तुकला शैली का एक प्रकार है जिसका विकास आठवीं से तेरहवीं सदी के बीच प्राचीन कलिंग क्षेत्र (ओडिशा) में हुआ।
  • कलिंग शैली में तीन अलग-अलग प्रकार के मंदिर शामिल हैं – 

1. रेखा देउला
2. पिढा देउला।
3. खाखरा देउला। 

    • रेखा देउल तथा पिढा देउल मुख्य रूप से विष्णु, सूर्य और शिव के मंदिरों से संबंधित हैं, जबकि खाखरा देउल का संबंध मुख्य रूप से चामुंडा और दुर्गा के मंदिरों से है।
  • कलिंग वास्तुकला में मंदिर को दो भागों में बनाया जाता है, एक मीनार और एक हॉल। 
    • मीनार को देउला तथा हॉल को जगमोहन कहा जाता है।
    • देउला और जगमोहन दोनों की दीवारों पर भव्य रूप से वास्तुशिल्प रूपांकनों और आकृतियों का निर्माण किया गया है।
    • जगमोहन के निकट 'नटमंडप' और 'भोगमंडप' का निर्माण भी किया जाता है।
  • कलिंग शैली में मंदिर की बाह्य दीवारें आमतौर पर भव्य सजावट लिये होती है, जबकि भीतरी दीवारों को बिना नक्काशी के रखा जाता है।
  • इस शैली में मंदिर की जमीनी योजना वर्गाकार है और ऊपर की ओर यह गोलाकार हो जाता है।
  • इस शैली के मंदिर द्रविड़ शैली के मंदिरों के समान चारदीवारी से घिरे होते हैं। 
  • कलिंग वास्तुकला के उदाहरण हैं- कोणार्क का सूर्य मंदिर, लिंगराज मंदिर, पुरी का जगन्नाथ मंदिर राजा-रानी मंदिर आदि। 
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR