एडवांटेज असम 2.0 शिखर सम्मेलन के दौरान असम की ‘चाय जनजातियों’ (Tea Tribes) ने ‘झुमोइर नृत्य’ (Jhumur Dance) का प्रदर्शन किया।
झुमोइर नृत्य के बारे में
- झुमोइर (झुमुर) सदान जातीय भाषाई समूह का लोक नृत्य है जो अपनी उत्पत्ति का पता छोटानागपुर क्षेत्र से लगाते हैं।
- इस नृत्य में महिलाएँ मुख्य नर्तक एवं गायिकाएँ होती हैं जबकि पुरुष पारंपरिक वाद्ययंत्र, जैसे- मादल, ढोल, या ढाक (ड्रम), झांझ, बाँसुरी व शहनाई बजाते हैं।
- इस दौरान महिलाएँ विशेष रूप से लाल एवं सफेद साड़ियाँ पहनती हैं।
- नर्तक कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं और अपनी मूल भाषाओं- नागपुरी, खोरठा एवं कुरमाली में दोहे गाते हुए समन्वित पैटर्न में कदमताल करते हैं।
चाय बागान जनजाति/समुदाय
- ‘चाय जनजाति’ शब्द का अर्थ चाय बागानों के श्रमिकों और उनके वंशजों के बहु-सांस्कृतिक, बहु-जातीय समुदाय से है।
- ये लोग अंग्रेज़ों द्वारा स्थापित किए जा रहे चाय बागानों में काम करने के लिए मुख्य रूप से वर्तमान झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ एवं पश्चिम बंगाल से प्रवास करके 19वीं सदी में असम में बस गए थे।
- ये प्रवासी चाय बागानों में बहुत कम वेतन तथा बेहद खराब परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर थे।
- वर्तमान में इन्हें राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का दर्जा प्राप्त है। हालांकि, वे लंबे समय से अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
- असम में बड़े चाय बागान समुदाय में मुख्य रूप से शामिल मुंडा या संथाल जैसी जनजातियों को उनके मूल राज्यों में ST का दर्जा प्राप्त है।