(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
संदर्भ
हाल ही में, भारत में ‘भारत-ओमान संयुक्त सैन्य सहयोग समिति’ (Joint Military Cooperation Committee- JMCC) की बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक से दोनों देशों के मध्य रक्षा क्षेत्र में व्यापक सहयोग का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
संयुक्त सैन्य सहयोग समिति
- यह समिति भारत और ओमान के मध्य रक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग हेतु एक सर्वोच्च मंच है जो दोनों पक्षों के मध्य रक्षा क्षेत्र में आदान-प्रदान के समग्र ढाँचे का मूल्यांकन और मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- इस समिति की यह दसवीं बैठक है, जिसका आयोजन तीन वर्षों के अंतराल के पश्चात् किया गया है। इससे पूर्व 2018 में ओमान में 9वीं बैठक आयोजित हुई थी।
परस्पर रक्षा और सामरिक सहयोग
- ओमान खाड़ी क्षेत्र में भारत का सबसे करीबी रक्षा साझेदार होने के साथ ही रक्षा और सामरिक हितों के लिये एक महत्त्वपूर्ण देश है।
- ओमान पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले नेता सुल्तान काबूस (मृत्यु वर्ष 2020) का भारत से घनिष्ठ संबंध था। वर्ष 2018 में भारतीय प्रधानमंत्री और सुल्तान काबूस के मध्य हुई बैठक में दोनों देशों के मध्य रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण दुकम (Duqm) बंदरगाह का उपयोग करने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था।
- इसके अलावा, दोनों देशों के बीच रक्षा आदान-प्रदान के लिये समझौता ज्ञापन को वर्ष 2021 में नवीनीकृत भी किया गया।
ओमान का रक्षा और सामरिक दृष्टि से महत्त्व
- ओमान खाड़ी क्षेत्र का एकमात्र देश है जिसके साथ भारत की तीनों सशस्त्र सेनाएँ नियमित रूप से द्विपक्षीय अभ्यास आयोजित करती हैं जैसे- अल-नागाह (संयुक्त सैन्य अभ्यास) और नसीम-अल-बहर (द्विवार्षिक संयुक्त नौसेना अभ्यास)।
- दोनों देशों की सेनाओं के मध्य द्विपक्षीय प्रशिक्षण सहयोग की सेवा भी उपलब्ध है। ओमानी सेना नियमित रूप से भारत में पेशेवर और उच्च कमान स्तर (Higher Command Level) पर प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में भाग लेती है।
- भारतीय सशस्त्र बल भी ओमान में आयोजित स्टाफ और कमांड पाठ्यक्रमों में भाग लेते हैं। इसके अतिरिक्त, ओमान हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी (Indian Ocean Naval Symposium) में भी सक्रिय रूप से भाग लेता है।
दुकम बंदरगाह का सामरिक महत्व
- दुकम बंदरगाह ओमान के दक्षिण-पूर्वी समुद्र तट पर स्थित है, जो अरब सागर में अवस्थित है। यह रणनीतिक रूप से ईरान के चाबहार बंदरगाह के निकट स्थित है। मॉरीशस में अगालेगा द्वीप और सेशेल्स में असेम्प्शन द्वीप (Assumption Island) के साथ, दुकम बंदरगाह भारत के सक्रिय समुद्री सुरक्षा रोडमैप का प्रमुख बिंदु है।
- हाल के वर्षों में, भारत ने पश्चिमी अरब सागर के इस बंदरगाह पर शिशुमार श्रेणी (Shishumar-class) की पनडुब्बी, नौसेना जहाज आई.एन.एस मुंबई और दो पी-8आई लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान को तैनात किया है।
- इस बंदरगाह का उपयोग करने के लिये ओमान ने 2017 में यूनाइटेड किंगडम के साथ भी एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है।
- यह बंदरगाह एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone) भी है, जहाँ भारतीय कंपनियों द्वारा लगभग 1.8 अरब डॉलर का निवेश किया जा रहा है। अदानी समूह ने हाल के वर्षों में इस बंदरगाह के अधिकारियों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है।
निष्कर्ष
स्पष्ट है कि हिंद महासागरीय क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामक गतिविधियों का सामना करने के लिए ओमान के साथ भारत के प्रगाढ़ होते सामरिक एवं रणनीतिक संबंध अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। ओमान का दुकम बंदरगाह भारत की समुद्री रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।