प्रारंभिक परीक्षा – जर्नल क्लाइमेट चेंज की रिपोर्ट मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-3, पर्यावरण |
संदर्भ
जर्नल क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने से भारत को सूखा, बाढ़, जैव विविधता की हानि आदि जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है।
प्रमुख बिंदु
- इस अध्ययन के अनुसार यदि वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक युग से 3 डिग्री सेल्सियस की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर दिया जाए, तो भारत क्रमशः 70 प्रतिशत और 21 प्रतिशत तक मनुष्यों एवं कृषि भूमि पर सूखे के प्रभाव से बच सकता है।
- इस रिपोर्ट को यूके (UK) के ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय (यूईए) के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किया गया है।
प्रमुख निष्कर्ष:
- इसी तरह ग्लोबल वार्मिंग को 3 डिग्री सेल्सियस की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करके मानव गर्मी के कारण होने वाले जोखिम से80 प्रतिशत तक बचा सकता है।
- इस अध्ययन में कहा गया है कि अतिरिक्त तापमान बढ़ने से भारत नदियों में बाढ़, जैव विविधता को नुकसान और फसल की उपज में गिरावट आ सकती है।
- इस अध्ययन में यह प्रकाश डाला गया कि कैसे पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5ºC से 4ºC तक की अतिरिक्त तापमान वृद्धि भारत सहित ब्राजील, चीन, मिस्र, इथियोपिया और घाना जैसे पांच देशों को प्रभावित कर सकती है।
- इस रिपोर्ट से पता चलता है कि यदि तापमान पूर्व-औद्योगिक युग से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाता है, तो हिमालय क्षेत्र के 90 प्रतिशत हिस्से में एक वर्ष से अधिक समय तक सूखा पड़ सकता है।
- हिमालय के कुछ हिस्सों में बाढ़ की आवृत्ति में भी गिरावट हो सकती है।
- यदि तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाए तो भारत की नदी बेसिन का लगभग 92 प्रतिशत भाग प्रभावित हो सकते हैं।
- नदी में बाढ़ के कारण होने वाले आर्थिक प्रभावों से भारत को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर 898 मिलियन डॉलर और 3 डिग्री सेल्सियस तापमान पर 5,891 मिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है।
- तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने से फसल की पैदावार में आधे से अधिक की कमी से बचा जा सकता है।
- इसके अलावा ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने से भारत का अनुमानित 58 प्रतिशत हिस्सा पौधों के लिए सुरक्षित आश्रय के रूप में कार्य कर सकता है, जबकि 3 डिग्री सेल्सियस पर 17 प्रतिशत तापमान बढ़ सकता है।
- इस रिपोर्ट अध्ययन में कहा गया है कि भारत में कई क्षेत्र जो पादप रिफ्यूजिया के रूप में कार्य कर सकते हैं, वे पहले से ही कृषि उपयोग में हैं, लेकिन पश्चिमी घाट और हिमालय में अभी भी अप्रयुक्त हैं।
- अन्य देशों के लिए ग्लोबल वार्मिंग को 3 डिग्री सेल्सियस के बजाय 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने से ब्राजील में 65 प्रतिशत, चीन में 66 प्रतिशत, मिस्र में 20 प्रतिशत, इथियोपिया में 60 प्रतिशत और घाना में 80 प्रतिशत सूखे से मानव जोखिम में वृद्धि से बचा जा सकता है।
- मानव और प्राकृतिक दोनों प्रणालियों के लिए जोखिम में बड़ी वृद्धि से बचने के लिए जलवायु परिवर्तन शमन और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन दोनों पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है।
रिफ्यूजिया एक सूक्ष्म आवास है जो कीटों के प्राकृतिक शत्रुओं के लिए आश्रय प्रदान करता है और पारिस्थितिक तंत्र में जैविक संपर्क घटकों, जैसे परागणकों या परागण करने वाले कीड़ों का समर्थन करता है।
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प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- जर्नल क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने से भारत को सूखा, बाढ़, जैव विविधता की हानि आदि जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है।
- इस रिपोर्ट से पता चलता है कि यदि तापमान पूर्व-औद्योगिक युग से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाता है, तो हिमालय क्षेत्र के 90 प्रतिशत हिस्से में एक वर्ष से अधिक समय तक सूखा पड़ सकता है।
- तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने से फसल की पैदावार में आधे से अधिक की कमी से बचा जा सकता है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं ?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई भी नहीं
उत्तर: (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : जर्नल क्लाइमेट चेंज की रिपोर्ट के प्रमुख महत्त्व का उल्लेख कीजिए।
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स्रोत: डाउन टू अर्थ