प्रारम्भिक परीक्षा – कदलुंडी मडफ्लैट मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1और 3 |
चर्चा में क्यों
- केरल के अंतर-ज्वारीय कदलुंडी मडफ्लैट वर्तमान में, प्राकृतिक और मानवजनित दोनों कारकों के कारण से गायब होने के कगार पर है।
प्रमुख बिंदु
- केरल के दक्षिण-पश्चिमी तट पर कदलुंडी में वर्ष 2000 के दशक में लगभग 8 हेक्टेयर पोषक तत्वों से भरपूर अंतर-ज्वारीय मडफ्लैट थे। जो वर्तमान में कदलुंडीपुझा नदी के मुहाने में मिट्टी के मैदानों का विस्तार घटकर लगभग 1 हेक्टेयर रह गया है।
- ये मडफ्लैट भारत के पश्चिमी तट पर प्रवासी तटीय पक्षियों के लिए सबसे समृद्ध चारागाहों में से एक है।
विशेषता
- इस मडफ्लैट में पॉलीचैटेस और क्रस्टेशियंस जैसे शिकार की प्रचुरता है जिस कारण से साइबेरिया, लद्दाख, मंगोलिया और स्कॉटलैंड जैसे स्थानों से यहाँ विभिन्न प्रकार के प्रवासी समुद्री पक्षी आते हैं।
- एक शोध के अनुसार, वर्ष 2005 में यहाँ पर लेसर सैंड प्लोवर, ग्रेटर सैंड प्लोवर, कॉमन सैंडपाइपर, व्हिम्ब्रेल, यूरेशियन कर्लेव, कॉमन रेडशैंक, कॉमन ग्रीनशैंक, केंटिश प्लोवर, टेरेक सैंडपाइपर, डनलिन जैसी प्रवासी प्रजातियों के बड़े समूह देखे जाते थे।
मडफ्लैट समाप्त होने का कारण:
- इस मडफ्लैट में स्थित कदलुंडी-वल्लिकुन्नु सामुदायिक रिजर्व (KVCR) को इकोटूरिज्म या पर्यावरण-पर्यटन क्षेत्र बनाने के लिए इसे रेत से ढका जा रहा है तथा मैंग्रोव वन का विस्तार किया जा रहा है।
- इससे हजारों तटीय पक्षी शिकार से वंचित हो रहे हैं, जो सर्दियों में ठंडे इलाकों से कोझिकोड जिले के कदलुंडी गांव में प्रवास करते हैं।
प्रभाव
- मडफ्लैट पर रेत के जमाव से न केवल वहां शिकार की मात्रा में कमी आ रही है बल्कि मैंग्रोव को आसानी से फैलने में भी मदद मिल रही है।
- विविपेरस मैंग्रोव आक्रामक होते हैं जो कम समय में अत्यधिक क्षेत्र में फ़ैल जाते हैं।
- ये मैंग्रोव अपने प्रसार के लिए कार्बन पृथक्करण को बढ़ावा देते हैं, जो पर्यावरण की दृष्टि से काफी हानि कारक है; क्योंकि मिट्टी और कीचड़ में उपस्थित कार्बन वायुमंडल, वनस्पति और जानवरों के संयोजन की तुलना में लगभग दोगुनी मात्रा में पाए जाते हैं जो अन्य पौधों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
सुझाव
- इस क्षेत्र में मिट्टी के मैदानों को संरक्षित और बहाल नहीं किया गया, तो कुछ ही वर्षों में कदलुंडी प्रवासी समुद्री पक्षियों के एक प्रमुख गंतव्य के रूप में वैश्विक मानचित्र से गायब हो जाएगा।
- सरकार को कदलुंडी के मडफ्लैट पारिस्थितिकी तंत्र को रेत के किनारों और मैंग्रोव जैसे अन्य आक्रामक तत्वों से बचाने का कार्य किया जाना चाहिए।
मडफ्लैट्स या मड फ़्लैट्स :
- ये तटीय आर्द्रभूमि होते हैं जो अंतर्ज्वारीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- इनका निर्माण ज्वार या नदियों द्वारा लाये गये तलछट/गाद के जमा होने से होता है।
- इन्हें कई नामों से भी जाना जाता है जैसे -ज्वारीय फ़्लैट्स,आयरलैंड में स्लोब या स्लोब्स आर्द्रभूमि आदि।
महत्व
- आर्द्रभूमि और घास के मैदानों में कई प्रकार के जंगलों की तुलना में अधिक कार्बन सोखने की क्षमता होती है।
- ये क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं।यहाँ पर अंतर्ज्वारीय नमक दलदल और मैंग्रोव वन आदि पाए जाते हैं। जो वन्यजीवों तथा प्रवासी समुद्री पक्षियों एवं मछलियों, केकड़ों आदि के प्रजनन स्थलों के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।
- मडफ्लैट को जलीय कृषि और औद्योगिक विकास के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
- दलदल क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में जड़ी-बूटी वाले पौधे भी पाए जाते हैं।
- प्रचुर मात्रा में सड़ते पौधों के कारण दलदल क्षेत्र में कोयला/पीट परतें भी पायी जाती हैं।
खतरा
- इन स्थलों के विनाश का कारण मानव एवं प्राकृतिक दोनों हैं।उदाहरण ; समुद्र के जल स्तर में वृद्धि , विकास के लिए भूमि के रूप में परिवर्तित करना, शिपिंग उद्देश्यों के कारण ड्रेजिंग और रासायनिक प्रदूषण आदि हैं ।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- निम्नलिखित में से कदलुंडी-वल्लिकुन्नु सामुदायिक रिजर्व (KVCR) किस राज्य में स्थित है?
(a) गुजरात
(b) महारष्ट्र
(c) कर्नाटक
(d) केरल
उत्तर: (d)
मुख्य परीक्षा प्रश्न:- मैंग्रोव क्या है? इसके प्राकृतिक महत्व की व्याख्या कीजिए।
|
स्रोत : THE HINDU