चर्चा में क्यों
ओडिशा के मयूरभंज ज़िले की ‘काई चटनी’ को भौगोलिक संकेतक (GI Tag) देने की माँग की जा रही है। यह चटनी लाल बुनकर चींटियों से बनी होती है।
प्रमुख बिंदु
- लाल बुनकर चींटियों (Red Weaver Ants) का वैज्ञानिक नाम ‘ओकोफिला स्मार्गडीना’ (Oecophylla Smaragdina) है। मयूरभंज ज़िले में बहुतायत से पाई जाने वाली ये चींटियाँ पेड़ों की पत्तियों से घोंसला बनाती हैं।
- बुनकर चींटियाँ ओडिशा के मयूरभंज जिले में अधिकांश जनजातियों के बीच लोकप्रिय हैं, जो ‘काई चटनी’ के रूप में इनका उपयोग करते हैं।
- इस चटनी को मसालों के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है और आदिवासियों द्वारा इसे स्थानीय बाजारों में बेचा जाता है। इसे जी.आई. टैग मिलने से इसके मूल्य में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय लोगों को आजीविका में मदद मिलेगी।
औषधीय गुण
- यह चटनी प्रोटीन, कैल्शियम, जिंक, विटामिन बी-12, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, सोडियम, कॉपर, फाइबर तथा 18 अमीनो अम्ल से भरपूर होती है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को मज़बूत करती है।
- काई चटनी का प्रयोग खाने के अलावा औषधीय रूपों में भी किया जाता है। इसका उपयोग पीलिया, सामान्य जुखाम, जोड़ों के दर्द और काली खाँसी के उपचार तथा भूख बढ़ाने, स्वस्थ मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के विकास आदि के लिये किया जाता है।