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भारत में कालाजार

प्रारंभिक परीक्षा 

(सामान्य विज्ञान)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ

  • अक्तूबर 2024 में बांग्लादेश कालाजार उन्मूलन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) प्रमाणन प्राप्त करने वाला पहला देश बन गया है। भारत भी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में कालाजार को समाप्त करने के निकट पहुंच सकता है। 
  • भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के मानकों के अनुसार इसके उन्मूलन के लिए लगातार दो वर्षों से इसके मामलों की संख्या प्रति 10,000 पर एक से कम रखने में सफलता प्राप्त की है। यदि यह स्थिति एक और वर्ष तक जारी रहती है तो भारत कालाजार उन्मूलन के लिए WHO प्रमाणन प्राप्त कर सकता है।

कालाजार के बारे में 

  • कालाजार को विसरल लीशमैनियासिस (Visceral leishmaniasis : VL) भी कहा जाता है। कालाजार शब्द को भारत में उन्नीसवीं सदी के अंत में गढ़ा गया था, जिसका अर्थ है ‘काला रोग’ है। 
    • इस संक्रमण के दौरान त्वचा का रंग भूरा या काला और मलिन हो जाता है। 
  • कारक : यह लीशमैनिया जीनस (वंश) का हिस्सा प्रोटोजोआ परजीवी लीशमैनिया डोनोवानी के कारण होता है।
  • प्रभावित अंग : मुख्यत: रेटिकुलोएंडोथेलियल सिस्टम (Reticuloendothelial System) (प्लीहा, यकृत एवं अस्थि मज्जा जैसे प्रतिरक्षा प्रणाली अंग) को प्रभावित करता है।
  • संचरण : संक्रमित मादा सैंडफ्लाई (Female Sandfly) के काटने से इसका संचरण होता है जो इसका वाहक है।
    • भारत में संचरण के लिए जिम्मेदार प्राथमिक प्रजाति मुख्यत: फ्लेबोटोमस अर्जेंटिप्स (Phlebotomus Argentipes) है। 
  • प्रेरक कारक : कुपोषण, कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली (एचआईवी/एड्स, मधुमेह आदि से ग्रसित व्यक्ति), जनसंख्या विस्थापन व उच्च घनत्व, निम्न आवास सुविधा आदि। 
  • लक्षण : तेज बुखार, वजन घटना, हेपेटोसप्लेनोमेगाली (Hepatosplenomegaly) (यकृत एवं प्लीहा में सूज़न), एनीमिया, पेट में दर्द, दस्त एवं अस्वस्थता आदि। 
  • गंभीरता : अनुपचारित स्थिति में 95% से अधिक मामलों में घातक। 
  • निदान : नैदानिक निदान; परजीवी परीक्षण; सीरोलॉजिकल परीक्षण (जैसे- rK39 रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट), आणविक परीक्षण (जैसे- पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन : पी.सी.आर.) 
  • उपचार : निम्नलिखित एंटीपैरासिटिक दवाएँ- 
    • पेंटावेलेंट एंटीमोनियल्स (Pentavalent Antimonials), जैसे- सोडियम स्टिबोग्लुकोनेट (sodium stibogluconate)
    • एम्फोटेरिसिन बी (Amphotericin B)
    • मिल्टेफोसिन (Miltefosine)
    • पैरोमोमाइसिन (Paromomycin)
      • हालाँकि, वर्तमान में कालाजार के लिए कोई प्रभावी टीका मौजूद नहीं है।

कालाजार उन्मूलन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंड

  • किसी देश को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में कालाजार को समाप्त करने वाला तब माना जाता है जब प्रत्येक उप-जिले में इसकी घटना दर कम-से-कम तीन लगातार वर्षों तक प्रति 10,000 जनसंख्या पर 1 मामले से कम हो।
  • साथ ही, देश में यह सुनिश्चित करने के लिए भी व्यवस्था होनी चाहिए कि रोग फिर से न उभरे।

भारत में कालाजार संबंधित आँकड़े 

  • वर्ष 2023 में देश में कुल 595 मामले दर्ज किए गए और 4 मौतें हुईं। वर्ष 2024 में अब तक 339 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से अब तक केवल 1 मौत हुई है।
  • ऐतिहासिक रूप से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्से भारत में कालाजार के केंद्र रहे हैं। केवल बिहार में भारत के कुल कालाजार मामलों के 70% से अधिक मामले हैं।
  • इसके प्रसार का कारण कई ग्रामीण व अविकसित क्षेत्रों में स्वच्छता की कमी और जलवायु परिस्थितियाँ है क्योंकि मानसूनी बारिश व आर्द्रता आदि स्थितियां सैंडफ्लाई के प्रजनन के लिए अनुकूल हैं।

कालाजार उन्मूलन के भारत सरकार के प्रयास 

  • भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (2002) : इसमें वर्ष 2010 तक कालाजार को समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया था। हालाँकि, इसमें कई बार संशोधन किया गया और नया संशोधित लक्ष्य वर्ष 2015, 2017 और फिर 2020 कर दिया गया।
    • विभिन्न संशोधनों के बावजूद WHO के उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) रोडमैप के अनुसार, वर्ष 2020 तक यह लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सका।
  • नया लक्ष्य (वर्ष 2030) : WHO अब वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर कालाजार को समाप्त करने के प्रयासों में तेजी ला रहा है।

कालाजार नियंत्रण के लिए भारत की रणनीतियाँ

  • सक्रिय मामले का पता लगाना : लक्षणों के पूर्णतया विकसित होने से पहले ही मामलों की पहचान करना
  • सैंडफ्लाई की आबादी पर नियंत्रण : कीटनाशक से उपचारित जाल, अवशिष्ट छिड़काव एवं सैंडफ्लाई प्रजनन स्थलों को समाप्त करने के लिए पर्यावरण प्रबंधन आदि
  • सामुदायिक जागरूकताव : लोगों को लक्षणों, रोकथाम के तरीकों एवं त्वरित उपचार लेने के महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान शुरू करना
  • प्रारंभिक निदान एवं उपचार : मृत्यु दर को कम करने के लिए समय पर और सटीक निदान तथा पूर्ण उपचार प्रदान करने के महत्वपूर्ण प्रयास 
  • एकीकृत दृष्टिकोण : भारत सरकार ने केस प्रबंधन, वेक्टर प्रबंधन, निगरानी एवं सामाजिक लामबंदी को शामिल करते हुए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाना 
  • अंतर-क्षेत्रीय अभिसरण : स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों से निपटने के लिए विभिन्न क्षेत्रों (स्वास्थ्य, स्वच्छता, शिक्षा) के बीच समन्वय

कालाजार उन्मूलन में चुनौतियाँ 

  • गरीबी और स्वच्छता की खराब स्थिति 
  • अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना 
  • वेक्टर नियंत्रण में स्थिरता और निवेश की कमी 

सुझाव 

  • जोखिम वाले क्षेत्रों में प्रभावी निगरानी प्रणाली की व्यवस्था करना 
  • दूरदराज के क्षेत्रों में भी निदान एवं उपचार पहुँच सुनिश्चित करना 
  • स्वच्छता में दीर्घकालिक निवेश और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता 

इसे भी जानिए!

पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (PKDL) एक ऐसी स्थिति है जो तब विकसित होती है जब लीशमैनिया डोनोवानी त्वचा कोशिकाओं पर आक्रमण करता है और फैलता है। इससे त्वचा पर घाव, चकत्ते व गाँठ की समस्या हो जाती है। यह स्थिति प्रारंभिक कालाजार संक्रमण के उपचार के वर्षों बाद दिखाई दे सकती है।

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