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सामाजिक विसंगति को बढ़ाता ‘कालकाज़ुकिचूट्टू अनुष्ठान’

चर्चा में क्यों

हाल ही में, कोचीन देवस्वम बोर्ड (Cochin Devaswom Board) ने 'कालकाज़ुकिचूट्टू' (Kalkazhukichoottu) अनुष्ठान में सुधार का फैसला किया है।

कालकाज़ुकिचूट्टू अनुष्ठान और समाज 

  • 'कालकाज़ुकिचूट्टू' अनुष्ठान में ब्राह्मणों के पैर धोने के बाद उन्हें भोजन कराने, दक्षिणा देने और कपड़े भेंट करने की परंपरा है। यह अनुष्ठान दक्षिण भारत (विशेषकर केरल) में मंदिरों में संपन्न किया जाता है। ऐसा ऐसा माना जाता है कि इससे जाने-अनजाने में हुए सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है। 
  • यह अनुष्ठान जाति-धर्म के आधार पर समाज में विभाजन और सामाजिक विसंगति को बढ़ावा देता है। उल्लेखनीय है कि कुछ संगठनों और समितियों ने इसका विरोध किया है। 
  • इस अनुष्ठान का नाम बदलकर 'समाराधना' (Samaradhana) करने और इसमें सभी जाति के लोगों को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है।
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