चर्चा में क्यों
कोविड महामारी के कारण केरल सरकार ने प्रतिबंधित तरीके से कल्पथी रथ महोत्सव (कल्पथी राठोलस्वम) के आयोजन की अनुमति प्रदान की है। सरकार के इस निर्णय के बाद मंदिर प्रांगण में 100 एवं खुले स्थान पर 200 लोग ही एकत्रित हो सकेंगे।
क्या है
- इस महोत्सव का आयोजन केरल के पलक्कड़ ज़िले के कल्पथी गाँव में स्थित श्री विश्वनाथ स्वामी मंदिर (भगवान् विश्वनाथ/शिव को समर्पित) में किया जाता है। इस मंदिर के देवता भगवान शिव एवं पार्वती हैं।
- यह महोत्सव वैदिक तमिल संस्कृति पर आधारित है। इसका प्रमुख केंद्र विश्वनाथ स्वामी मंदिर है, परंतु इसके साथ ही नए कल्पथी, पुराने कल्पथी एवं छठपुरम गाँव में स्थित मंदिरों में भी इसका आयोजन होता है।
- यह महोत्सव 10 दिनों तक चलता है। यह ध्वजारोहण के साथ प्रारंभ होकर रथसंगम के साथ समाप्त होता है।
- महोत्सव के अंतिम दिनों में सजाए गए रथों को श्रद्धालुओं द्वारा खींचा जाता है। रथोत्सव के पहले दिन एक रथ, दूसरे दिन दो रथ और उत्सव के अंतिम दिन तीन रथ श्रद्धालुओं द्वारा खींचे जाते हैं।
- इस रथयात्रा में भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती तथा पुत्रों; गणेश एवं मुरुगन के साथ बाहर लाए जाते हैं।
अन्य तथ्य
- प्राचीन कथाओं के अनुसार लक्ष्मीम्मल नाम की एक ब्राह्मण विधवा ने बनारस (काशी) से लिंगम लाकर नीला भागीरथी नदी (भारतपुजा नदी) के दक्षिणी तट पर स्थापित किया था।
- इस स्थान पर मंदिर का निर्माण 1425 ई. में पलक्कड़ के राजा इट्टी कोम्बी आचन ने करवाया था। नदी के तट पर स्थित होने तथा मंदिर की सीढ़ियों के कारण यह काशी के विश्वनाथ मंदिर के समान प्रतीत होता है, अतः इसे ‘कसियल पाकुथी कल्पथी’ (आधी काशी) भी कहा जाता है।