प्रारम्भिक परीक्षा – 'कांगड़ी' , विलो वृक्ष ( Willow Tree) मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर- 3 |
चर्चा में क्यों
- कश्मीर घाटी में ऊंचे इलाकों के साथ-साथ मैदानी इलाकों में भी भारी बर्फबारी के कारण इस वर्ष घाटी में कांगड़ी की बिक्री में वृद्धि हुई है।
प्रमुख बिंदु
- कांगड़ी : यह विकर की टोकरी है जिसमे एक कोयला जालित एक मिट्टी का बर्तन रखा जाता है।
- यह एक पोर्टेबल और चल हीटर की तरह है जिसे कश्मीरी लोग ठंड में खुद को गर्म रखने के लिए अपने गर्म ऊनी लबादे/कपड़े में रखते हैं।
- यह कश्मीरी लोगों के द्वारा ठंड से बचने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक पारंपरिक तरीका रहा है।
विशेषता
- यह कड़ाके की ठंड से बचने के लिए सबसे उन्नत प्रकार के उपकरणों में से एक है।
- यह एक ऐसा उपकरण है जिसे कहीं पर भी लेकर जाया जा सकता है इसलिए इसका महत्व अत्यधिक है।
- इनका उपयोग पूरे जनवरी और फरवरी में किया जाता है।
महत्व
- बाजार में कई आधुनिक हीटिंग गैजेट उपलब्ध हैं, लेकिन कांगड़ी का अपना एक विशेष महत्व है। क्योंकि बिजली हर समय उपलब्ध नहीं हो सकती है, इसलिए कश्मीरी लोग ठंड से बचने के लिए कांगड़ी का उपयोग करते हैं।
- कश्मीर घाटी में कांगड़ी के बिना जीवित रहना संभव नहीं है।
- यह कश्मीरी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो घाटी की विशिष्ट पहचान का प्रतिनिधित्व करता है।
कांगड़ी का निर्माण
- कांगड़ी का निर्माण जम्मू-कश्मीर के सभी क्षेत्रों में लोगों की जरूरतों के अनुसार किया जाता है।
- कांगड़ी विलो पेड़ों की सूखी टहनियों से बनाई जाती है, जिसके अंदर लकड़ी का कोयला रखने के लिए एक गोल मिट्टी का बर्तन लगाया जाता है जो गर्मी प्रदान करता है।
विलो वृक्ष ( Willow Tree):
- यह सेलिक्स प्रजाति का वृक्ष है जिसे सैलोज़ और ओसियर्स भी कहा जाता है।
- यह शुष्क एवं समशीतोष्ण क्षेत्रों में नम मिट्टी पर पाए जाते हैं।
- विश्व में इस पर्णपाती पेड़ों और झाड़ियों की लगभग 350 प्रजातियां पायी जाती हैं।
- इनमे दो प्रकार की प्रजाति प्रसिद्ध है कश्मीर विलो और इंगलिश विलो।
- इंगलिश विलो वृक्ष को इंग्लैंड में उगाया जाता है और कश्मीर विलो वृक्ष को कश्मीर में।
- कश्मीर विलो के वृक्ष को पूरी तरह से बड़े होने में 15 से 20 साल लगते हैं।
- कश्मीर विलो पर्णपाती पेड़ों और झाड़ियों की एक प्रजाति है।
- इस वृक्ष की लंबाई 10 से 30 मीटर तक की होती है और इसके तने का व्यास लगभग 1 मीटर का होता है।
- इस वृक्ष की लकड़ी अन्य वृक्षों की तुलना में हल्के होते है।
- इसके लकड़ी और ताना/झाड़ी अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
उपयोग
- इस वृक्ष की लकड़ी और तना/झाड़ी का उपयोग क्रिकेट बैट बनाने में ,संदूक, कांगड़ी ,टोकरी, झाड़ू आदि बनाने में किया जाता है।
- चिकित्सा में उपयोग :विलो छाल में सैलिसिन नामक रसायन पाया जाता है, जो एस्पिरिन के समान होता है।
- कश्मीर विलो छाल सूजन कम करने में, रक्त के थक्के बढ़ने से रोकने के लिए उच्च रक्तचाप को कम करने में, शरीर दर्द ,बुखार आदि में किया जाता है।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न:- विलो के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह विकर की टोकरी है जिसमे एक कोयला जालित एक मिट्टी का बर्तन रखा जाता है।
- इसका उपयोग कश्मीरी लोगों के द्वारा ठंड से बचने के लिए किया जाता है।
- इसका निर्माण देवदार वृक्ष की सूखी टहनियों से किया जाता है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) कोई भी नहीं
उत्तर - ( b)
मुख्य परीक्षा प्रश्न:- कांगड़ी क्या है? इसके सामाजिक एकं आर्थित महत्व की विवेचना कीजिए।
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