(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा: सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1; भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।) |
चर्चा में क्यों
काशी तमिल संगमम (के.टी.एस.) 3.0 का आयोजन 15 से 24 फरवरी, 2025 तक उत्तर प्रदेश के वाराणसी में किया गया।
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काशी तमिल संगमम 3.0 के बारे में
- क्या है: यह तमिलनाडु तथा काशी के बीच शाश्वत संबंधों का जश्न मनाने, सभ्यतागत संबंधों को मजबूत करने और एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रेरणादायक पहल का तीसरा संस्करण है।
- आयोजनकर्ता: शिक्षा मंत्रालय द्वारा विभिन्न मंत्रालयों एवं उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से
- प्रमुख उद्देश्य
- तमिलनाडु और काशी के बीच साहित्यिक, आध्यात्मिक और कलात्मक संबंधों को प्रदर्शित करना।
- दोनों क्षेत्रों के विद्वानों के बीच शैक्षणिक और शोध-आधारित संवाद को प्रोत्साहित करना।
- सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाव देने के लिए पारंपरिक कला रूपों, शिल्प और व्यंजनों का प्रदर्शन।
- तमिल छात्रों को काशी और उसके प्राचीन शैक्षणिक संस्थानों के ऐतिहासिक महत्त्व का पता लगाने के लिए एक मंच प्रदान करना।
विशेषताएँ
- यह भारतीय ज्ञान प्रणालियों की संपदा को ज्ञान की आधुनिक प्रणालियों के साथ एकीकृत करने पर बल देने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है।
- इस वर्ष सरकार ने पाँच श्रेणियों/समूहों के अंतर्गत तमिलनाडु से लगभग 1000 प्रतिनिधियों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया है:
- छात्र, शिक्षक और लेखक
- किसान एवं कारीगर (विश्वकर्मा श्रेणियाँ)
- पेशेवर और छोटे उद्यमी
- महिला स्वयं सहायता समूह, मुद्रा ऋण लाभार्थी, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभाप्रचारक
- स्टार्ट-अप, नवाचार, एडु-टेक, अनुसंधान
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ऋषि अगस्त्यर की विरासत का सम्मान
- इस वर्ष के आयोजन का मुख्य विषय सिद्ध चिकित्सा पद्धति एवं शास्त्रीय तमिल साहित्य में ऋषि अगस्त्य के महत्त्वपूर्ण योगदानों को प्रदर्शित करना और राष्ट्र की सांस्कृतिक एकता में उनके योगदान को उजागर करना है।
- ऋषि अगस्त्य को स्वास्थ्य, दर्शन, विज्ञान, भाषा विज्ञान, राजनीति और कला सहित विभिन्न क्षेत्रों में उनके अद्वितीय योगदान के लिए जाना जाता है।
- उन्हें दक्षिण भारत में तमिल भाषा के पहले व्याकरणविद के रूप में सम्मानित किया जाता है।
- उनका प्रभाव भारत से परे तक विस्तृत है, क्योंकि भारतीय संस्कृति के प्रचार में उनकी भूमिका के लिए जावा और सुमात्रा में भी उनकी पूजा की जाती है।
- के.टी.एस. 3.0 के दौरान काशी में ऋषि अगस्त्य को समर्पित एक प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी।
के.टी.एस. के पूर्व संस्करण
- के.टी.एस. 1.0 : 16 नवंबर से 16 दिसंबर 2022 तक
- के.टी.एस. 2.0 : 17 दिसंबर 2023 से 30 दिसंबर 2023 तक
निष्कर्ष
काशी तमिल संगमम 3.0 तमिलनाडु और काशी के बीच गहरे सांस्कृतिक एवं बौद्धिक संबंधों को बढ़ावा देता है। ऋषि अगस्त्य की विरासत को उजागर करके और विविध प्रतिनिधियों को एक साथ लाकर, यह पहल भारत की समृद्ध विरासत के बंधनों को मजबूत करने के साथ ही एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना में योगदान देती है।