(प्रारंभिक परीक्षा : जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे)
चर्चा में क्यों
भारत एवं फ्राँस के सहयोग से काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में संचालित काजीरंगा परियोजना ने हालिया वर्षों के दौरान वन्य जीवों के संरक्षण कार्यों को तेजी प्रदान की है।
प्रमुख बिंदु
- काजीरंगा परियोजना ‘वन एवं जैव विविधता संरक्षण पर असम परियोजना’ (APFBC) का एक हिस्सा है, जिसके तहत 10 वर्ष की अवधि (2014-2024) के दौरान एजेंस फ्रांसेइस डी डेवलपमेंट (AFD) ने 80.2 मिलियन यूरो का वित्तपोषण किया है।
- इस परियोजना के तहत वर्ष 2024 तक 33,500 हेक्टेयर भूमि का वनीकरण और वैकल्पिक आजीविका के रूप में 10,000 लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
- इस परियोजना में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 223 अवैध शिकार विरोधी शिविर को स्थापित किया गया है। विदित है कि शिविरों की सघनता उन क्षेत्रों में अधिक है जहाँ पारंपरिक रूप से अवैध शिकार किया जाता है।
- राष्ट्रीय उद्यान के चारों ओर विभिन्न क्षेत्रों में छह-सात फुट ऊँचे 35 तटबंधों या उच्चभूमियों का निर्माण किया गया है, जिन्हें कृत्रिम उच्चभूमि (Artificial Highlands) कहा जाता है। इन उच्चभूमियों का निर्माण वार्षिक बाढ़ के दौरान वन्यजीवों के शरण के लिये किया गया हैं।
- परियोजना के तहत इन्फ्रारेड-आधारित प्रारंभिक चेतावनी तंत्र को भी विकसित किया गया है जो हाथियों के झुंडों को मानव आवास से दूर भगाने और ग्रामीणों को चेतावनी देती है।
वन और जैव विविधता संरक्षण पर असम परियोजना
- यह परियोजना असम सरकार द्वारा सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक विशेष प्रयोजन साधन (SPV) के रूप में शुरू की गई थी जो जून 2012 में अस्तित्व में आई।
- यह आय सृजन और वन आश्रित समुदायों की आजीविका सुरक्षा पर विशेष बल देने के साथ स्थायी वन प्रबंधन की परिकल्पना करती है।