(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिकघटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र -3: विषय – कृषि, सिंचाई एवं बुनियादी ढाँचा)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ समिति ने निचले ओर्र/ओर बांध (Orr Dam) के लिये पर्यावरण मज़ूरी को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है और समिति ने इस बांध तथा नदियों से जुड़े नए आँकड़ों (विगत 18 माह के अंदर के आँकड़े)को प्रस्तुत करने की बात कही है। ध्यातव्य है कि ओर्र बांध, केन-बेतवा इंटरलिंकिंग परियोजना का एक हिस्सा है।
मुख्य बिंदु
- ओर्र/ओर नदी (Orr river) पर प्रस्तावित बांध, राष्ट्रीय परियोजना के रूप में पहचानी जाने वाली केन-बेतवा इंटरलिंकिंग परियोजना का हिस्सा है।
- मध्य प्रदेश के अशोकनगर ज़िले के डिडौनी गाँव के पास ओर्र नदी पर लगभग 30.65 अरब रुपए की अनुमानित लागत से 45 मीटर ऊँचे और 2,218 मीटर लम्बे बांध का निर्माण किया जाना है।
- इस बांध के निर्माण के लिये 3,730 हेक्टेयर भूमि की ज़रुरत है, जिसमें से 968.24 हेक्टेयर वन भूमि है। इस बांध के निर्माण से सात गाँव पूर्ण रूप से एवं पाँच गाँव आंशिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही, लगभग 2,723.70 हेक्टेयर क्षेत्र के जलमग्न होने की आशंका भी है। अतः न सिर्फ स्थानीय निवासियों द्वारा बल्कि पर्यावरणविदों द्वारा भी इस बांध के निर्माण पर कड़ी आपत्ति जताई जा रही है।
- गौरतलब है कि पर्यावरण प्रभाव आंकलन के निर्दिष्ट नियमों के अनुसार किसी भी बांध/जल विद्युत परियोजना के निर्माण के लिये आवश्यक पर्यावरण मंज़ूरी में 18 महीने से पहले के आँकड़ों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिये लेकिन ओर्र बांध निर्माण के लिये जिन आँकड़ों को आधार बनाया गया है वे आँकड़े 18 महीने से अधिक पुराने थे। अतः विशेषज्ञ समिति द्वारा केन-बेतवा नदी इंटरलिंकिंग परियोजना के अंतर्गत ओर्र नदी (Orr river) पर प्रस्तावित बांध के लिये पर्यावरण मंज़ूरी के स्थगन का आदेश दिया है।
केन-बेतवा इंटरलिंकिंग परियोजना
- केन-बेतवा इंटरलिंकिंग परियोजना, अंतरराज्यीय नदी स्थानांतरण मिशन हेतु एक मॉडल परियोजना है, जिसे दो-भागों में पूरा किया जाना है। यह देश की पहली नदी इंटरलिंकिंग परियोजना है।
- इस परियोजना का उद्देश्य,सूखे से प्रभावित बुन्देलखण्ड क्षेत्र (झांसी, बांदा, ललितपुर और महोबा आदि ज़िलों के लगभग 2.65 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र) में सिंचाई और पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये मध्य प्रदेश की केन नदी के अधिशेष जल को उत्तर प्रदेश की बेतवा नदी में स्थानांतरित करना है। इसके अलावा इस इंटरलिंकिंग के द्वारा मध्य प्रदेश के टीकमगढ़, पन्ना और छतरपुर ज़िलों (लगभग 3.96 लाख हेक्टेयरक्षेत्र) में भी सिंचाई की व्यवस्था सुचारू रूप से की जा सकेगी।
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में तैयार की गई यह परियोजना, ‘नदी जोड़ो योजना’ का हिस्सा है, जिसमें तीस प्रमुख नदियों को जोड़ने के प्रयास किये जाएंगे।
- मध्य प्रदेश की कैमूर की पहाड़ियों से निकलने वाली केन नदी उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले में यमुना से मिलती है। वहीं मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले से निकलने वाली बेतवा उत्तर प्रदेश के हमीरपुर ज़िले में यमुना में मिल जाती है। ध्यातव्य है कि पन्ना बाघ अभयारण्य केन नदी पर ही अवस्थित है।
- नदी जल का समुचित उपयोग के लिये, कृषि व सिंचाई को बढ़ावा देने के लिये, आपदा न्यूनीकरण के लिये एवं जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिये नदियों का इंटरलिंकिंग आवश्यक है।
‘नदी जोड़ो योजना’
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश की नदियों को आपस में जोड़ने की इस महत्वाकांक्षी योजना की परिकल्पना की थी। इस योजना में हिमालय से निकलने वाली 16 नदियों और प्रायद्वीपीय क्षेत्र से निकलने वाली 14 नदियों को शामिल किया गया है।
- प्रस्तावित ‘नदी जोड़ो योजना’ के तहत सम्बंधित राज्यों की सहमति के आधार पर चार प्राथमिक इंटरलिंकिंग प्रारूपों, जैसे केन-बेतवा लिंकिंग परियोजना (KBLP) चरण-। और ।।, दमनगंगा-पिंजाल लिंकिंग परियोजना, पार-तापी-नर्मदा लिंकिंग परियोजना और महानदी-गोदावरी लिंकिंग परियोजनाओं की पहचान की गई थी। इसके साथ ही कावेरी-वैगई-गुंडार नदियों को लिंक करने की योजना, गोदावरी नदी के पानी को कावेरी बेसिन से जोड़ने का वैकल्पिक प्रस्ताव, मानस-संकोश-तीस्ता-गंगा नदीयों को लिंक करने परियोजना आदि पर भी सरकार के द्वारा कार्य किया जा रहा है।