New
IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

केन-बेतवा लिंक परियोजना

(प्रारंभिक परीक्षा- भारत का भूगोल, आर्थिक और सामाजिक विकास, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 व 3 : भौगोलिक विशेषताएँ और सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली)

संदर्भ

22 मार्च को विश्व जल दिवस के अवसर पर ‘केन-बेतवा लिंक परियोजना’ (KBLP) को साकार करने के लिये केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।

क्या हैकेन बेतवा लिंक परियोजना

  • ‘केन-बेतवा लिंक परियोजना’, नदियों को आपस में जोड़ने के लिये‘राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्ययोजना’के तहत पहली परियोजना है। यह परियोजना दो चरणों में पूर्ण की जाएगी।
  • इसके तहत केन नदी के जल को बेतवा में स्थानांतरित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि ये दोनों नदियाँ यमुना की सहायक नदियाँ है।

लाभ

  • केन-बेतवा लिंक परियोजना को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में विस्तृत बुंदेलखंड में कार्यान्वित किया जाना है, जोएक सूखा-प्रवण क्षेत्र है। इस परियोजना से मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर व सागर के साथ-साथ दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन ज़िलों को विशेष लाभ होगा। इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश के बाँदा, महोबा, झाँसी और ललितपुर ज़िले भी इससे लाभांवित होंगे।
  • साथ ही, इस परियोजना से 62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की वार्षिक सिंचाई, लगभग 62 लाख लोगों को पेयजल आपूर्ति और 103 मेगावाट जल विद्युत उत्पादन की उम्मीद है। हालाँकि, इससे पन्ना बाघ संरक्षण क्षेत्र के प्रभावित होने का भी खतरा है।
  • इससे देश में अन्य नदी-जोड़ो परियोजनाओं का मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे देश में जल संसाधन का समुचित वितरण सुनिश्चित किया जाएगा।

भारत में रिवर-लिंक के पिछले उदाहरण

  • पूर्व में भी कई नदी-जोड़ो परियोजनाओं को शुरू किया जा चुका है। उदाहरण स्वरूप,पेरियार परियोजना के तहत, पेरियार बेसिन से वैगाई (वैगी) बेसिन तक पानी के स्थानांतरण की परिकल्पना की गई,इस परियोजना को वर्ष 1895 में कमीशन किया गया था।
  • इसी तरह कुछ अन्य परियोजनाएँ भी शुरू की गई थीं, जैसे- परम्बिकुलम अलियार, कुर्नूल कुडप्पा नहर, तेलुगु गंगा परियोजनाऔर रवि-ब्यास-सतलज।

भारत में नदी-जोड़ने के हालिया प्रयास

  • 1970 के दशक में एक नदी के अतिरिक्त जल को पानी की कमी वाले क्षेत्रों में स्थित अन्य नदियों में स्थानांतरित करने के विचार को तत्कालीन केंद्रीय सिंचाई मंत्री (वर्तमान में जल शक्ति मंत्रालय) डॉ. के. एल. राव द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
  • उन्होंने जल-समृद्ध क्षेत्रों से पानी की कमी वाले क्षेत्रों में जल स्थानांतरित करने के लिये एक राष्ट्रीय जल ग्रिड के निर्माण का सुझाव दिया था।
  • इसके अतिरिक्त, एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में पानी के पुनर्वितरण के लिये गारलैंड (मालानुमा या गोलाकार) नहर परियोजना को भी प्रस्तावित किया जा चुका है। हालाँकि, सरकार ने इन दोनों विचारों को आगे नहीं बढ़ाया।

राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (National Perspective Plan: NPP)

  • अगस्त1980 में सिंचाई मंत्रालय ने देश में अंतर-बेसिन जल स्थानांतरण की परिकल्पना करते हुए जल संसाधन विकास के लिये एक ‘राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना’ तैयार की।
  • एन.पी.पी. में दो घटक शामिल हैं- (i) हिमालयी नदियों का विकास(ii) प्रायद्वीपीय नदियों का विकास।
  • एन.पी.पी. के आधार पर‘राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण’ने 30 नदी-लिंक की पहचान की है, जिनमें से 16 प्रायद्वीपीय घटक के अंतर्गत और 14 हिमालयी घटक के अंतर्गत थीं। केन-बेतवा लिंक परियोजना प्रायद्वीपीय घटक के तहत 16 नदी-जोड़ो परियोजनाओं में से एक है।

नदी-जोड़ो परियोजना के लिये आवश्यक मंजूरियाँ

सामान्यत: नदी-जोड़ो परियोजनाओं के लिये 4 से 5 प्रकार की मंजूरियों की आवश्यकता होती है। इन मंजूरियों और इसको प्रदान करने वाली संस्थाओं का विवरण निम्नलिखित है-

क्रमांक

आवश्यक मंजूरियाँ

संबंधित संस्थान

1.    

तकनीकी और आर्थिक मंजूरी

केंद्रीय जल आयोग

2.    

वन एवं पर्यावरण मंजूरी

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

3.    

आदिवासी जनसंख्या की पुनर्वास योजना

जनजातीय कार्य मंत्रालय

4.    

वन्यजीव मंजूरी

केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR