प्रारम्भिक परीक्षा – पर्यावरण संरक्षण मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन पेपर-3 |
संदर्भ
- कोले वेटलैंड्स, उच्च मूल्य वाली जैव विविधता का एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण रामसर स्थल, विदेशी आक्रामक प्रजातियों के खतरे का सामना कर रहा है।
प्रमुख बिंदु
काबोम्बा फुरकुटा फूल
- काबोम्बा फुरकुटा, जिसे इसके विशाल फूलों के कारण लोकप्रिय रूप से पिंक ब्लूम कहा जाता है, जलकुंभी और साल्विनिया मोलेस्टा के अतिरिक्त, कोले खेतों के लिए एक नया खतरा बन गया है।
- इस पौधे का मूल निवास स्थल मध्य और दक्षिण अमेरिका है।
- केरल वन अनुसंधान संस्थान (केएफआरआई) के अनुसार, काबोम्बा फुरकुटा को केरल में एक मछलीघर पौधे के रूप में लाया गया था।
- यह विदेशी पौधा एक आक्रामक प्रजाति का पौधा है जो स्थलीय प्रणाली के साथ-साथ जलीय परिदृश्य दोनों में जैव विविधता के लिए एक बड़ा खतरा है।
- काबोम्बा फुरकुटा फूल धान के खेतों के लिए अधिक खतरा है।इससे पहले जलकुंभी और साल्विनिया मोलेस्टा कोले के खेतों में सबसे अधिक प्रभाव डालने वाली प्रजातियाँ थीं।
लाभ
पर्यटकों के आकर्षण केंद्र
- कोविड काल के दौरान गुलाबी फूल एक पर्यटक आकर्षण के रूप में उभरा था। लाल काबोम्बा अपने विशाल फूलों के कारण लोगों को आकर्षित करता है, जो पूरे जल क्षेत्र को गुलाबी रंग में बदल देता है।
हानि
काबोम्बा फुरकुटा फूल से उत्त्पन्न खतरा
- यह फूल ताजे जल निकायों के लिए एक बड़ा खतरा है। क्योंकि यह जलमग्न बारहमासी जलीय पौधा स्थिर या धीमी गति से बहने वाले मीठे पानी में उगता है और तेजी से बढ़ने लगता है।
- इसके तने के सक्रिय प्रसार के कारण यह जल निकायों में फैलने लगते हैं जिससे पानी में प्रकाश के प्रवेश करने में बाधा उत्पन्न होती है।
- इस फूल को अपनी वृद्धि के लिए बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, जिसकी पूर्ति के लिए यह जल निकायों और नहरों को अवरुद्ध कर देता है। जिससे देशी जलीय पौधों की विविधता में गिरावट आने लगती है।
- यह फूल मीठे पानी की मछलियों की उपज को प्रभावित करके आर्थिक नुकसान का कारण भी बनता है।
काबोम्बा फुरकुटा फूल को नियंत्रित करने के उपाय
- इन प्रजातियों को नियंत्रित करने के लिए इन्हें यांत्रिक रूप से जलाशय से निकालना और स्थलीय स्थानों में सुखाना है।
कोले वेटलैंड्स
- कोले वेटलैंड्स भारत के केरल में त्रिशूर और मलप्पुरम जिलों में स्थित एक आर्द्रभूमि है।
- इसे अंतरराष्ट्रीय महत्व का रामसर साइट 2002 में घोषित किया गया था।
- यह केरल में चावल की लगभग 40 प्रतिशत आवश्यकता को पूरा करता है तथा पोन्नानी शहर, त्रिशूर जिले और मलप्पुरम जिले के लिए प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली के रूप में कार्य करता है।
- कोले वेटलैंड्स मध्य एशियाई फ्लाईवे प्रवासी पक्षियों के लिए विख्यात है।
- यह क्षेत्र दक्षिण में चलाकुडी नदी से लेकर उत्तर में भरतप्पुझा नदी और पोन्नानी तालुक तक विस्तृत है।
- कोले वेटलैंड्स नहरों और तालाबों के एक नेटवर्क के माध्यम से त्रिशूर शहर और त्रिशूर जिले के लिए प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली के रूप में कार्य करता है।
- कोले वेटलैंड्स केरल में स्थित बंजर भूमि के विभिन्न हिस्सों को केरल की सबसे छोटी नदी एनामावु नदी, कैनोली नहर और चेट्टुवा नदी को अरब सागर से जोड़ता है।
- कोले वेटलैंड्स मध्य एशियाई फ्लाईवे प्रवासी पक्षियों तथा स्थानीय पक्षियों की संख्या के मामले में, उड़ीसा की चिल्का झील और गुजरात की अमीपुर टैंक के बाद भारत में तीसरा सबसे बड़ा स्थान है।
- इसे बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा भारत के महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- एक अध्ययन के अनुसार, इस वेटलैंड्स में स्पॉट-बिल्ड पेलिकन, डार्टर, ओरिएंटल डार्टर, ब्लैक-हेडेड आइबिस, पेंटेड स्टॉर्क, ब्लैक-बेलिड टर्न, सिनेरियस गिद्ध और ग्रेटर स्पॉटेड ईगल जैसी पक्षियों की 241 प्रजातियाँ हैं।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : हल ही में काबोम्बा फुरकुटा समाचारों में था। यह क्या है?
(a) यह एक मैंग्रोव प्रजाति का पौधा है।
(b) यह एक पक्षी की प्रजाति है।
(c) यह एक आक्रामक जलीय पौधा है।
(d) यह एक दुर्लभ मछली की प्रजाति है।
उत्तर (c)
मुख्य परीक्षा प्रश्न: रामसर स्थल से आशय क्या है तथा इनके संरक्षण के लिए किये जा रहे कार्यों की व्याख्या कीजिए।
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