17 जनवरी, 2025 को पंजाब के मलेरकोटला (पंजाब) में नामधारी शहीद स्मारक पर कूका शहीद दिवस का आयोजन किया गया।
कूका शहीद दिवस के बारे में
- क्या है : कूका नाम से प्रसिद्ध 66 नामधारी सिखों की वर्ष 1872 में दी गई शहादत की स्मृति में प्रतिवर्ष 17 एवं 18 जनवरी को आयोजित किया जाने वाला दिवस है।
- ऐतिहासिक घटनाक्रम
- 13 जनवरी, 1872 को कूका हीरा सिंह और लहना सिंह के नेतृत्व में नामधारियों का एक समूह गोहत्या की घटना के बाद मलेरकोटला में गोहत्या प्रतिबंध के लिए आंदोलन शुरू किया।
- 15 जनवरी, 1872 को कूकाओं की सरकारी अधिकारियों से झड़प हुई। लुधियाना जिले के डिप्टी कमिश्नर जॉन लैम्बर्ट कोवान ने 17 जनवरी व 18 जनवरी को क्रमश: 49 एवं 17 कूकाओं को फांसी देने का आदेश दिया।
- कूकाओं को तोपों के सामने खड़ा कर हज़ारों लोगों के सामने खुले मैदान में उड़ा दिया गया।
इसे भी जानिए!
नामधारी सिख संप्रदाय के बारे में
- स्थापना : 12 अप्रैल, 1857 को लुधियाना में
- संस्थापक : सतगुरु राम सिंह
- कूका नाम : गुरबानी सुनाने की विशिष्ट उच्च आवाज़ की शैली के कारण
- पंजाबी में कूक का अर्थ है ‘चीखना’ या ‘रोना’
- विशेषताएँ
- यह 20वीं सदी की शुरुआत के स्वदेशी एवं असहयोग आंदोलनों का पूर्ववर्ती आंदोलन था।
- सतगुरु राम सिंह ने पंजाब में सामाजिक यथास्थिति को चुनौती दी और विभिन्न सामाजिक बुराइयों, विशेषकर शराब व मांस के सेवन के खिलाफ प्रचार किया।
- इन्होंने समर्थकों से विदेशी वस्तुओं, ब्रिटिश सेवाओं व शैक्षणिक संस्थानों के अलावा अन्य चीजों के बहिष्कार का आह्वान किया।
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