मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में आदिवासियों के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, वनाधिकार, आजीविका के विषयों पर काम करने वाली स्पंदन समाज सेवा समिति ने कोरकू भाषा की 500 शब्दों वाला एक शब्दकोष तैयार किया है।
कोरकू भाषा (Korku language) के बारे में
- क्या है : कोरकू भाषा आस्ट्रो एशियाटिक मूल की भाषा है। इसे नार्थ मुंडा भाषा की श्रेणी में रखा जाता है और यह झारखंड की मुंडारी भाषा के लगभग समानार्थी है।
- पीपुल्स लैंग्वेजिस्टिक सर्वे आफ इंडिया ने कोरकू को भारत की विलुप्त होने वाली 196 भाषाओं में शामिल किया है।
- विस्तार : मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों में
- इसको बोलने वाले मुख्यत: मध्य प्रदेश के पूर्वी निमाड़, बैतूल, नर्मदापुरम के कुछ हिस्सों और महराष्ट्र के अमरावती, अकोला एवं वर्धा में पाए जाते हैं।
- लिपि : देवनागरी अथवा रोमन
कोरकू शब्द और उनका हिंदी अर्थ
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- अबा— दादा
- माय— मां
- डैई— बड़ा भाई
- सनीबोकजई— छोटी बहन
- धोनेज लंका— बहुत दूर
- गोमेज ओड— पूर्व दिशा
- ओटे— पृथ्वी
- उनड़ा— गर्मी का मौसम
- म्यॉ— एक
- अफई— तीन
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