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कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क

प्रारंभिक परीक्षा के लिए - जैव विविधता पर सम्मेलन (CBD), कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क
मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 - पर्यावरण संरक्षण

संदर्भ 

  • हाल ही में जैव विविधता पर सम्मेलन (CBD) के पक्षकारों के सम्मेलन (COP15) में कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (GBF) को अपनाया गया। 
  • यह एक वैश्विक समझौता है, जो 2030 तक जैव विविधता के लिए कार्रवाई और फंडिंग का मार्गदर्शन करेगा।

CBD

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क

  • कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (GBF) के अंतर्गत 23 लक्ष्यों को निर्धारित किया गया है, जिन्हें सदस्य देशों को 2030 तक प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • GBF के यह लक्ष्य, 2010 के आइची जैव विविधता लक्ष्यों (Aichi Biodiversity Targets) को प्रतिस्थापित करेंगे। 

लक्ष्य 

  • जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों और सेवाओं के लिए विशेष महत्व के क्षेत्रों पर बल देने के साथ विश्व की कम से कम 30% भूमि, अंतर्देशीय जल, तटीय क्षेत्रों और महासागरों का संरक्षण और प्रबंधन करना। 
    • वर्तमान में दुनिया के क्रमशः 17% और 10% स्थलीय और समुद्री क्षेत्र संरक्षण के अंतर्गत हैं।
  • उच्च पारिस्थितिक अखंडता के पारिस्थितिक तंत्र सहित उच्च जैव विविधता महत्व के क्षेत्रों के नुकसान को लगभग शून्य तक कम करना।
  • वैश्विक खाद्य अपशिष्ट को आधा करना तथा अपशिष्ट उत्पादन को महत्वपूर्ण रूप से कम करना।
  • अतिरिक्त पोषक तत्वों और कीटनाशकों एवं अत्यधिक खतरनाक रसायनों द्वारा उत्पन्न समग्र जोखिम को 50% तक कम करना।
  • सार्वजनिक और निजी, सभी स्रोतों से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता से संबंधित वित्त पोषण के लिए प्रति वर्ष कम से कम 200 बिलियन डॉलर प्राप्त करना।
  • अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रवाह को, विकसित से विकासशील देशों, विशेष रूप से कम विकसित देशों, छोटे द्वीप विकासशील राज्यों, और संक्रमणकालीन अर्थव्यवस्था वाले देशों में 2025 तक कम से कम 20 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष और 2030 तक कम से कम 30 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष तक बढ़ाना । 
  • प्राथमिक आक्रामक विदेशी प्रजातियों की शुरूआत को रोकना, और अन्य ज्ञात या संभावित आक्रामक विदेशी प्रजातियों की शुरूआत और स्थापना को 50% तक कम करना, तथा द्वीपों और अन्य प्राथमिकता वाले स्थलों पर आक्रामक विदेशी प्रजातियों का उन्मूलन या नियंत्रण करना।
  • संचयी प्रभावों पर विचार करते हुए, 2030 तक सभी स्रोतों से होने वाले प्रदूषण के जोखिमों और प्रदूषण के नकारात्मक प्रभाव को उस स्तर तक कम करना जो जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों और सेवाओं के लिए हानिकारक नहीं हैं।
  • खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, विज्ञान आधारित एकीकृत कीट प्रबंधन के माध्यम से कीटनाशकों और अत्यधिक खतरनाक रसायनों से होने वाले समग्र जोखिम को 50% तक कम करना। 
  • प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने, कम करने और समाप्त करने की दिशा में कार्य करना।
  • जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन और समुद्र के अम्लीकरण के प्रभाव को कम करना। 
  • कृषि, जलीय कृषि, मत्स्य पालन और वानिकी के क्षेत्रों को, जैव विविधता के सतत उपयोग के माध्यम से प्रबंधित करना। 
  • उत्पादन प्रणालियों के लचीलेपन एवं दीर्घकालिक दक्षता और उत्पादकता तथा खाद्य सुरक्षा के लिए प्रकृति के योगदान को बनाए रखना।
  • आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग और आनुवंशिक संसाधनों पर डिजिटल अनुक्रम सूचना के साथ-साथ पारंपरिक ज्ञान से उत्पन्न होने वाले लाभों का उचित और समान साझाकरण सुनिश्चित करने के लिए सभी स्तरों पर प्रभावी कानूनी, नीतिगत, प्रशासनिक और क्षमता-निर्माण के उपाय करना। 
  • जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभावों को उत्तरोत्तर कम करने, सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाने तथा व्यापार और वित्तीय संस्थानों के लिए जैव विविधता से संबंधित जोखिमों को कम करने और उत्पादन के स्थायी पैटर्न को सुनिश्चित करने के प्रावधानों को बढ़ावा देना। 
  • जैव विविधता पर सम्मेलन (CBD) के अनुच्छेद 8(जी) में निर्धारित जैव सुरक्षा उपायों के लिए सभी देशों में क्षमता स्थापित करना।
  • लैंगिक-उत्तरदायी दृष्टिकोण के माध्यम से कार्यान्वयन में लैंगिक समानता सुनिश्चित करना, जहां सभी महिलाओं और लड़कियों के पास समान अधिकार और भूमि और प्राकृतिक संसाधनों तक पहुंच और उनके समान अधिकारों को मान्यता प्राप्त हो। 

दीर्घकालिक लक्ष्य

जैव विविधता के लिए 2050 विजन से संबंधित ढांचे में 2050 के लिए चार दीर्घकालिक लक्ष्य भी निर्धारित किये गए हैं -

1. 2050 तक प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के क्षेत्र में वृद्धि करते हुए, सभी पारिस्थितिक तंत्रों की अखंडता, कनेक्टिविटी और लचीलेपन को बनाए रखना या बढ़ाना।

  • ज्ञात खतरे वाली प्रजातियों के मानव प्रेरित विलुप्त होने को रोकना तथा 2050 तक, प्रजातियों की विलुप्त होने की दर और जोखिम को दस गुना तक कम करना।
  • स्वस्थाने और बाह्यस्थाने संरक्षण और टिकाऊ प्रबंधन प्रथाओं के माध्यम से जंगली और पालतू प्रजातियों की अनुवांशिक विविधता को बनाए रखना।  

2. 2050 तक, वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लाभ के लिए जैव विविधता का निरंतर उपयोग और प्रबंधन करना तथा पारिस्थितिकी तंत्र कार्यों और सेवाओं सहित लोगों के लिए प्रकृति के योगदान के महत्व को बनाए रखना और बढ़ाना।

3. आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से मौद्रिक और गैर-मौद्रिक लाभ और आनुवंशिक संसाधनों पर डिजिटल अनुक्रम की जानकारी तथा आनुवंशिक संसाधनों से जुड़े पारंपरिक ज्ञान से प्राप्त लाभ को स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों के साथ उचित और समान रूप से साझाकरण को 2050 तक लगातार बढ़ाना। 

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमत, पहुंच और लाभ-साझाकरण उपकरणों के अनुसार, जैव विविधता के संरक्षण और स्थायी उपयोग में योगदान देना, जिससे आनुवंशिक संसाधनों से जुड़े पारंपरिक ज्ञान का उचित रूप से संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।

4. कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (जीबीएफ) में वैश्विक जैव विविधता ढांचे को पूरी तरह से लागू करने के लिए वित्तीय संसाधनों, क्षमता-निर्माण, तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग, और प्रौद्योगिकी तक पहुंच और हस्तांतरण सहित कार्यान्वयन के पर्याप्त साधन सुरक्षित करना, जो सभी पक्षों, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए भी समान रूप से सुलभ हों।

जीबीएफ फंड 

  • कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (जीबीएफ) के कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिए ग्लोबल एनवायरनमेंट फैसिलिटी(GEF) द्वारा एक विशेष ट्रस्ट फंड की स्थापना की जाएगी। 
  • प्रतिनिधियों ने GBF के भीतर आनुवंशिक संसाधनों (DSI) पर डिजिटल अनुक्रम सूचना के प्रदाताओं और उपयोगकर्ताओं के बीच लाभों के समान बंटवारे के लिए एक बहुपक्षीय कोष स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की है, जिसे 2024 में में COP16 में अंतिम रूप प्रदान किया जाएगा।

जैव विविधता पर सम्मेलन (CBD)

  • जैव विविधता पर सम्मेलन (CBD) 29 दिसंबर 1993 को लागू हुआ। इसके 3 मुख्य उद्देश्य हैं -
    • जैव विविधता का संरक्षण।
    • जैव विविधता के घटकों का सतत उपयोग।
    • आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों का उचित और न्यायसंगत बंटवारा।
  • बायोसेफ्टी पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल और एक्सेस और बेनिफिट-शेयरिंग पर नागोया प्रोटोकॉल, सीबीडी के पूरक समझौते हैं।
  • कार्टाजेना प्रोटोकॉल 11 सितंबर 2003 को लागू हुआ इसका उद्देश्य आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी से उत्पन्न संशोधित जीवों द्वारा उत्पन्न संभावित जोखिमों से जैव विविधता की रक्षा करना है।
  • आनुवंशिक संसाधनों तक पहुंच और उनके उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों के उचित और न्यायसंगत साझाकरण पर नागोया प्रोटोकॉल एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जिसका उद्देश्य आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों को निष्पक्ष और न्यायसंगत तरीके से साझा करना है।
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