संदर्भ
हाल ही में, पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक (सीजीपीडीटीएम) ने गुजरात के कच्छ क्षेत्र से आने वाले 'कच्छ अजरख' के पारंपरिक कारीगरों को भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाण पत्र प्रदान किया है।
कच्छ अजरख के बारे में
- अजरख कपड़े पर रंगाई की एक शिल्पकला है, इसका गुजरात के सिंध, बाड़मेर और कच्छ के क्षेत्रों में विशेष सांस्कृतिक महत्त्व है, जहाँ इसकी विरासत सहस्राब्दियों से फैली हुई है।
- अजरख कच्छ के स्थानीय समुदायों के लिए एक प्राचीन प्रतीक है।
- रबारी, मालधारी और अहीर जैसे खानाबदोश पशुपालक और कृषि समुदाय अजरख मुद्रित कपड़े को पगड़ी, लुंगी या स्टोल के रूप में पहनते हैं।
- अजराख का नामकरण 'अजरक' से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है नील (indigo)। इसका उपयोग अक्सर नीले रंग का प्रभाव प्राप्त करने के लिए एक शक्तिशाली रंग के रूप में किया जाता है।
- अजरख वस्त्रों में चटक रंगों का उपयोग किया जाता है। इसमें पारंपरिक रूप से तीन रंग शामिल होते हैं:
- नीला जो आकाश को दर्शाता है
- लाल जो भूमि और अग्नि को दर्शाता है
- सफेद जो सितारों को दर्शाता है
- इस शिल्प को इस क्षेत्र में 400 साल पहले सिंध के मुसलमानों द्वारा पेश किया गया था।