कर्नाटक में क्यासनूर फॉरेस्ट डिजीज (KFD) से इस वर्ष पहली मौत हुई है और इससे संक्रमण के कई मामले सामने आए हैं।

क्यासनूर फॉरेस्ट डिजीज के बारे में
- क्या है : कीट-जनित (Tick-borne) वायरल संक्रमण वाला रक्तस्रावी बुखार (Haemorrhagic Fever)
- अन्य नाम : मंकी फीवर (Monkey Fever)
- कारण : फ़्लैविविरिडे (Flaviviridae) कुल से संबंधित क्यासानूर फॉरेस्ट डिज़ीज़ वायरस (KFDV) के कारण
- इसकी पहचान वर्ष 1957 में सर्वप्रथम कर्नाटक के क्यासनूर वन में हुई थी। इस क्षेत्र के नाम पर इसका नामकरण किया गया है।
- वाहक : संक्रमित हार्ड टिक्स (हेमाफिसेलिस स्पिनिगेरा) के माध्यम से
- इसके संपर्क में आने वाले प्राइमेट एवं अन्य जानवर इस बीमारी से संक्रमित हो जाते हैं।
- संक्रमण : मनुष्यों में इसका संक्रमण मुख्यतः टिक के काटने या संक्रमित पशु (विशेषकर बीमार या मृत बंदर) के संपर्क में आने से
- हालाँकि, अभी तक व्यक्ति-से-व्यक्ति के संचरण की पुष्टि नहीं हुई है।
- लक्षण :
- प्रारंभिक लक्षण : तेज बुखार के साथ सिर में दर्द, ठंड लगना, मांसपेशियों में तेज दर्द, उल्टी व जठरांत्र संबंधी अन्य समस्याएँ
- प्रारंभिक लक्षण शुरू होने के 3-4 दिन बाद रक्तस्राव की समस्या
- निम्न रक्तचाप तथा प्लेटलेट्स, लाल रक्त कोशिकाओं व श्वेत रक्त कोशिकाओं की संख्या में भी कमी।
- निदान : आरंभिक चरण में पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) द्वारा आणविक पहचान या रक्त से वायरस को अलग (Virus Isolation) करके
- एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट परीक्षण (ELISA) का उपयोग करके सीरोलॉजिक परीक्षण किया जा सकता है।
- उपचार : किसी भी विशिष्ट उपचार का उपलब्ध नहीं
- केवल सहायक चिकित्सा देखभाल, जैसे- जल का संतुलन, ऑक्सीजन की उपलब्धता, रक्तचाप प्रबंधन व अतिरिक्त संक्रमणों का उपचार आदि महत्वपूर्ण है।