प्रत्येक वर्ष, 1 मई को मज़दूर दिवस के रूप में मनाया जाता है।
वर्ष 1884 में अमेरिका और कनाडा की ट्रेड यूनियनों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनाइज़्ड ट्रेड्स एंड लेबर यूनियन ने घोषित किया कि मज़दूर 1 मई, 1886 के बाद प्रतिदिन 8 घंटे से ज़्यादा काम नहीं करेंगे।
1 मई 1886 को मज़दूरों ने काम के घंटे को निर्धारित करने के लिए अमेरिका के शिकागो शहर में हे मार्केट आन्दोलन किया।
हे मार्केट में श्रमिकों के समर्थन में एक शांतिपूर्ण रैली निकली गयी, जिसमें पुलिस के साथ हिंसक झड़प के बाद कई मजदूरों की मृत्यु हो गयी।
जुलाई 1889 में यूरोप में ‘इंटरनेशनल कॉन्ग्रेस ऑफ़ सोशलिस्ट पार्टीज़’ द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस/मई दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की गयी।
इसके बाद 1 मई, 1890 को पहला मज़दूर दिवस मनाया गया।
भारत में पहली बारमज़दूर दिवसवर्ष 1923 में चेन्नई में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा मनाया गया था