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प्रयोगशाला रसायन

प्रारंभिक परीक्षा :

(राष्ट्रीय घटनाक्रम, सामान्य विज्ञान) 

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव)

संदर्भ

वित्त मंत्रालय ने बजट में प्रस्तावित आयातित प्रयोगशाला रसायनों (Laboratory Chemicals) पर सीमा शुल्क बढ़ोतरी के फैसले को वापस ले लिया है। भारत एक प्रमुख दवा एवं रसायन निर्माता होने के साथ-साथ जटिल रसायनों का निर्यातक भी है।

संबंधित प्रमुख बिंदु 

  • 23 जुलाई, 2024 को जारी बजट में प्रयोगशाला रसायनों पर मूल सीमा शुल्क (BCD) को मौजूदा 10% से बढ़ाकर 150% कर दिया गया था।
    • इसके अलावा, प्रयोगशाला उपयोग के लिए आयातित प्लास्टिक घटकों पर भी 25% की वृद्धि की गई थी।
  • वित्त मंत्रालय के सीमा शुल्क विभाग ने यह वृद्धि इसलिए की थी क्योंकि वह इथेनॉल पर 150% के सीमा शुल्क से बचने के लिए 'प्रयोगशाला रसायनों' के रूप में लाए जा रहे इथेनॉल के आयात पर नियंत्रण चाहता था।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान एवं परीक्षणों की लागत में वृद्धि और चिकित्सा क्षेत्र व अन्य उत्पादों के मूल्यों में वृद्धि के कारण इस निर्णय का विरोध किया जा रहा था। 

क्या हैं प्रयोगशाला रसायन 

  • सीमा शुल्क विभाग प्रयोगशाला रसायन को इस प्रकार परिभाषित करता है ’कार्बनिक या अकार्बनिक, रासायनिक रूप से परिभाषित या अपरिभाषित ऐसे सभी रसायन जो 500 ग्राम या 500 मिलीलीटर से अधिक की पैकिंग में आयात नहीं किए जाते हैं और जिनकी पहचान शुद्धता, निर्माण या अन्य विशेषताओं के संदर्भ में इस प्रकार की जा सकती हो, जिससे पता चलता है कि वे केवल प्रयोगशाला रसायनों के रूप में उपयोग के लिए हैं’।
  • आयातित रसायन, अभिकर्मक (Reagent) व एंजाइम प्रयोगशाला रसायनों की श्रेणी में आते हैं। इनमें ऑक्सीकारक, संक्षारक अम्ल एवं संपीड़ित गैस शामिल हैं।
    • इन रसायनों का उपयोग फ़नल, बीकर, टेस्ट ट्यूब एवं बर्नर जैसे उपकरणों में किया जाता है।
  • इन रासायनिक यौगिकों में विभिन्न गुण होते हैं और ये संभवत: खतरनाक होते हैं। ऐसे अधिकांश रसायन विशिष्ट उत्पाद होने के कारण अधिक महंगे हो सकते हैं। 
    • अतः इन्हें विनियमित किया जाता है और इनके आयात की जांच की जाती है। 

प्रयोगशाला रसायनों का उपयोग 

  • अधिक जटिल रसायनों को संश्लेषित करने के लिए मूल सामग्री के रूप में 
  • शोधकर्ताओं द्वारा प्रयोग करने के साथ-साथ नए उत्पादों के निर्माण में
  • प्रयोगशाला परीक्षणों एवं प्रयोगों में
  • दवा उद्योग में और चिकित्सा निदान उद्योग में 
  • रासायनिक एवं चिकित्सा उपकरणों के निर्माण में  

इसे भी जानिए!

आमतौर पर इथेनॉल दो प्रकार के होते हैं। अनाज से प्राप्त भिन्न-भिन्न ग्रेड के इथेनॉल का प्रयोग शराब निर्माण में किया जाता हैं। योजकों (Additives) के साथ मिश्रित इथेनॉल को ‘विरूपित इथेनॉल’ (Denatured Ethanol) कहते हैं जो उपभोग के लिए अनुपयुक्त होता है। विरूपित इथेनॉल भी ग्रेड में आता है किंतु इसका उपयोग प्रयोगशालाओं एवं वाणिज्यिक अनुप्रयोगों में किया जाता है।

भारत का रसायन क्षेत्र का बाज़ार

बाजार मूल्य 

  • भारत के रसायन बाजार का मूल्य वर्ष 2023 में 220 बिलियन अमेरिकी डॉलर है जिसके वर्ष 2030 तक बढ़कर 383 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है। 
    • यह वृद्धि वर्ष 2021 से वर्ष 2030 तक 8.1% प्रत्याशित चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) पर आधारित है। 
  • विशेष रसायन, कृषि रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स में वर्ष 2027 तक क्रमशः 11.5%, 8.3% एवं 11% की सी.ए.जी.आर. की वृद्धि की उम्मीद है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 

  • रासायनिक बिक्री के मामले में विश्व स्तर पर छठे सबसे बड़े देश के रूप में भारत ने महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित किया है। 
  • अप्रैल 2000 से सितंबर 2023 तक इस क्षेत्र में संचयी FDI प्रवाह 21.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है।
    • वस्तुतः स्वचालित मार्ग के तहत 100% FDI से इस क्षेत्र को लाभ होता है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ता है और विकास को बढ़ावा मिलता है। 

निर्यात योगदान  

रसायन क्षेत्र भारत के कुल निर्यात में 12% का योगदान देता है, जो वैश्विक बाजार में इसके महत्व को उजागर करता है।

उद्यम एवं रोजगार 

  • वर्ष 2024 तक इस बाजार में काम करने वाले उद्यमों की संख्या 15,730 तक पहुंचने की उम्मीद है। 
    • वर्ष 2029 तक यह वृद्धि प्रति 100,000 आबादी पर 11 उद्यमों के साथ उच्च उद्यम घनत्व में तब्दील हो जाएगी।
  • रसायन क्षेत्र में रोजगार की संख्या वर्ष 2024 के अंत तक तक 1 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।

रसायन बाजार में मांग कारक 

  • बढ़ती घरेलू खपत, पैकेजिंग एवं ऑटोमोटिव जैसे अंतिम-उपयोग उद्योगों की मांग के साथ इस बाजार में वृद्धि हो रही है। 
  • अनुकूल सरकारी नीतियां, बुनियादी ढांचे में सुधार और प्रतिस्पर्धी लागत पर कुशल श्रम की उपलब्धता इस क्षेत्र के प्रति आकर्षण को बढ़ाती है।
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