संदर्भ
हाल ही में, भारत और चीन पैंगोंग झील पर पीछे हटने के लिये एक समझौते पर राज़ी हो गए हैं, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति की दिशा में एक आशाजनक शुरुआत है। पिछले वर्ष चीनी सैनिकों ने भारत को ‘फिंगर 8’तक पहुँचने से रोक दिया था, जिससे संकट पैदा हो गया था।
समझौते के मुख्य बिंदु
- रक्षामंत्री के अनुसार, दोनों पक्ष चरणबद्ध और समन्वित तरीके से झील के उत्तर और दक्षिण तट पर अपनी आगे की तैनाती को रोकेंगे।दोनों पक्षों ने झील के उत्तर और दक्षिण में विवादित क्षेत्रों में गश्त पर अस्थाई रोक लगाने पर सहमति व्यक्त की है।
- झील के उत्तर में, चीन के सैनिक फिंगर 8 के पूर्व में स्थित सिरिजाप (Sirijap) में अपने बेस पर लौट जाएंगे, जबकि भारत की सेनाएँ फिंगर 3 पर धनसिंह थापा पोस्ट में अपने स्थायी बेस पर लौट आएंगी।
- भारत पहले फ़िंगर 8 तक पैदल गश्त करता था। भारत की ओर से ‘फिंगर 4’के पूर्व के क्षेत्रों तक कोई सड़क मार्ग उपलब्ध नहीं है, जबकि चीन की ‘फिंगर 4’पर सशक्त उपस्थिति है, जहाँ पहले से ही सड़क का निर्माण हो चुका है और लॉजिस्टिक्स की पहुँच भी बेहतर है।
- फिंगर 4 से 8 तक एक बफर ज़ोन बन जाएगा और अप्रैल 2020 के बाद निर्मित सभी अस्थाई संरचना को हटा लिया जाएगा।
- इसी तरह, दोनों पक्ष झील के दक्षिण में अपने बेस पर लौट जाएंगे तथा भारत कब्ज़ा किये गए कैलाश श्रेणी को खाली कर देगा। इस श्रेणी पर कब्ज़े से भारत को वार्ता में लाभ मिला है।
अन्य मुद्दे
- गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में भी कुछ गतिरोध बना हुआ है। हालाँकि, यह अधिक चिंता का विषय नहीं है।
- डेपसांग के मैदानों में भी गतिरोध की कोईस्थिति या सैनिकों की भारी तैनाती नहीं है, लेकिन एल.ए.सी. पर लंबे समय से चल रहा विवाद और गश्तों को रोकना वर्तमान संकट को दर्शाता है और अभी तक यह अनसुलझा है।
- नई योजना की सफलता वस्तविकता में इसका पालन किये जाने पर निर्भर करेगी क्योंकी पिछले वर्ष की घटनाओं सेदोनों देशों के मध्य अत्यधिक अविश्वास पैदा हो गया है।