(प्रारंभिक परीक्षा : भारत का इतिहास)
चर्चा में क्यों
24 नवंबर को अहोम सेनापति लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती पर समारोह का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- 24 नवंबर, 1622 को जन्मे लचित बोरफुकन का पूरा नाम चाउ लचित फुकनलुंग था। वे अहोम साम्राज्य के एक सेनापति थे जिन्हें सन् 1671 के सराईघाट की लड़ाई में मुग़ल सेनाओं के विरुद्ध नेतृत्व क्षमता के लिये जाना जाता है।
- बोरफुकन ने अपनी नेतृत्व क्षमता से तत्कालीन मुगल बादशाह औरंगजेब के साम्राज्यवादी इरादों को असफल किया। इस कारण उन्हें ‘पूर्वोत्तर का शिवाजी’ भी कहा जाता है।
- उल्लेखनीय है कि बोरफुकन अहोम राज्य के पाँच पात्र मंत्रियों में से एक थे। इस पद का सृजन अहोम राजा स्वर्गदेव प्रताप सिंह ने किया था।
लच्छित दिवस
- लचित बोरफुकन की वीरता और सराईघाट के युद्ध में असमिया सेना की जीत के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 24 नवंबर को असम में लचित दिवस (लच्छित दिवस) मनाया जाता है।
- गौरतलब है कि यह पहल असम सरकार द्वारा बोरफुकन की 400वीं जयंती के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाले उत्सव से संबंधित हैं।
- लचित के नाम पर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में सर्वश्रेष्ठ कैडेट का स्वर्ण पदक दिया जाता है जिसे ‘लचित पदक’ भी कहा जाता है।