New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124 GS Foundation (P+M) - Delhi: 26 Feb, 11:00 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 15 Feb, 10:30 AM Call Our Course Coordinator: 9555124124

लेडी जस्टिस

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सर्वोच्च न्यायालय के पुस्तकालय में ‘लेडी जस्टिस’ की एक नई प्रतिमा का अनावरण किया है। लेडी जस्टिस या न्याय की देवी को दुनिया भर में कानूनी व्यवहार में निष्पक्षता का पर्याय माना जाता है।

लेडी जस्टिस की पृष्ठभूमि

  • यूनानी कवि हेसियोड (लगभग 700 ई. पू.) के अनुसार, थीमिस (Themis) को न्याय एवं बुद्धि की देवी के रूप में जाना जाता है।
  • प्रथम रोमन सम्राट ऑगस्टस (27 ई.पू.-14 ई.) ने न्याय की पूजा एक देवी के रूप में शुरू की जिसे ‘जस्टिटिया’ (Justitia) के नाम से जाना जाता है। 
  • भारत में सर्वप्रथम वर्ष 1872 में कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्माण के दौरान लेडी जस्टिस की छवियाँ उकेरी गई थीं।

प्रतिमा के बारे में

  • पुरानी प्रतिमा : पुरानी लेडी जस्टिस प्रतिमा में आंखों पर पट्टी बंधी एक महिला अपने एक हाथ में तराजू और दूसरे हाथ में तलवार लिए होती है।
  • नई प्रतिमा : न्यायाधीशों के पुस्तकालय में स्थापित नई 6 फुट ऊंची प्रतिमा साड़ी पहने एक महिला की है, जिसकी आंखों पर पट्टी नहीं है, वह एक हाथ में तराजू पकड़े हुए है और दूसरे हाथ में तलवार की जगह भारत के संविधान की एक प्रति है।
  • दोनों में अंतर : इस प्रतिमा को बनवाने वाले भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के अनुसार, पुरानी शास्त्रीय प्रतिमा में आंखों पर बंधी पट्टी ‘न्याय की निष्पक्षता’ का प्रतीक है, जबकि निर्बाध दृष्टि वाली नई प्रतिमा का उद्देश्य यह दर्शाना है कि ‘कानून अंधा नहीं है; यह सभी को समान रूप से देखता है’।
  • डिजाइन : दिल्ली के भित्ति-चित्रकार विनोद गोस्वामी द्वारा। 
  • नई प्रतिमा का उद्देश्य : इस प्रतिमा का नया रूप नए आपराधिक संहिताओं जैसे कानूनी सुधारों और भारत में कानूनी ढांचे को ‘उपनिवेशवाद से मुक्त’ करने के घोषित उद्देश्य से बनाया गया है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR