यूनेस्को एवं विश्व खाद्य कार्यक्रम के नेतृत्व में डच (नीदरलैंड) सरकार द्वारा वित्तपोषित 10-वर्षीय शोध परियोजना के प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, अफ्रीका की चौथी सबसे बड़ी झील ‘तुर्काना’ में मत्स्ययन की प्रचुर संभावनाएं हैं।
हालाँकि, इस झील के अर्ध-लवणीय जल, उच्च वाष्पीकरण दर और झील के स्तर में प्रति दशक 8 मीटर तक उतार-चढ़ाव के कारण इसके सतत विकास पहल में बाधा आती है।
तुर्काना झील के बारे में
अवस्थिति :उत्तरी केन्या में पूर्वी भ्रंश घाटी में गर्म, शुष्क व सुदूर क्षेत्र में स्थित
पूर्वी अफ्रीक में स्थित इस झील का सुदूर उत्तरी छोर इथियोपिया तक विस्तृत है।
निर्माण :लगभग 4.3 मिलियन वर्ष पूर्व
विशेषता :अफ्रीका की चौथी सबसे बड़ी झील और दुनिया की सबसे बड़ी स्थायी रेगिस्तानी झील (Permanent Desert Lake) एवं क्षारीय झील
महत्व :अनूठी जैव-विविधता एवं सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण
तुर्काना राष्ट्रीय उद्यान स्थल को वर्ष 1997 में यूनेस्को के विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था।
ओमो नदी तुर्काना झील के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
ओमो नदी की मौसमी बाढ़ इसके 90% से अधिक जल प्रवाह का निर्माण करती है और लिम्नोलॉजी, पारिस्थितिकी और मत्स्य पालन को प्रभावित करती है।
झीलों एवं ताजे पानी के अन्य निकायों की जैविक, रासायनिक व भौतिक विशेषताओं के अध्ययन को लिम्नोलॉजी (Limnology) कहते हैं।
इस झील में नील नदी के मगरमच्छों की सबसे अधिक संख्या पाई जाती है। यह एकमात्र झील है जो नील नदी के दो अलग-अलग जलग्रहण क्षेत्रों से जल ग्रहण करती है।