चर्चा में क्यों?
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड (LVB) के डी.बी.एस. बैंक इंडिया लिमिटेड (DBIL) में विलय की योजना को मंजूरी प्रदान कर दी है।
मुख्य बिंदु
- जनता और हितधारकों से सुझाव तथा आपत्तियाँ आमंत्रित करने के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने विलय की योजना तैयार की है। तीव्रता से एल.वी.बी. का विलय और उसकी समस्या का समाधान स्वच्छ बैंकिंग व्यवस्था स्थापित करने की वचनबद्धता के अनुरूप है। साथ ही, यह जमाकर्ताओं व आम जनता के साथ-साथ वित्तीय प्रणाली के हित में भी है।
- आर.बी.आई. के अनुसार, एल.वी.बी. पर लगाए गए मोराटोरियम को अब हटा दिया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप जमाकर्ता बिना किसी सीमा के अपनी धनराशि को निकाल सकते हैं।
- उल्लेखनीय है कि जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा तथा वित्तीय एवं बैंकिंग स्थिरता के मद्देनज़र बैंकिंग विनियमन कानून,1949 के सेक्शन 45 के तहत आर.बी.आई. की सलाह पर कुछ समय पूर्व सरकार द्वारा एल.वी.बी. पर 30 दिनों के लिये मोराटोरियम लगा दिया गया था।
- हालाँकि, विलय के लिये घोषित योजना में इक्विटी शेयरधारकों (जिनके शेयरों को राइट-ऑफ़ कर दिया गया है) के लिये किसी प्रकार के बेलआउट की पेशकश नहीं की गई है। अब किसी भी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध इसके शेयर या डिबेंचर डी-लिस्टेड हो जाएंगे।
- इस प्रकार एल.वी.बी. जल्द ही डी.बी.आई.एल. के रूप में सामान्य परिचालन प्रारम्भ कर देगा।
डी.बी.एस. बैंक इंडिया लिमिटेड (DBIL)
- डी.बी.आई.एल. एक बैंकिंग कम्पनी है जिसे आर.बी.आई. से लाइसेंस प्राप्त है। यह पूर्ण स्वामित्व वाले सहायक मॉडल पर भारत में परिचालन करती है और विलय के बाद इसकी शाखाओं की संख्या बढ़कर 600 हो जाएगी।
- डी.बी.एस. से सम्बद्ध होने के कारण डी.बी.आई.एल. अतिरिक्त लाभ की स्थिति में भी है। डी.बी.एस. एशिया का एक प्रमुख वित्तीय सेवा समूह है। इसका मुख्यालय सिंगापुर में है और वह सिंगापुर के शेयर बाज़ार में लिस्टेड भी है।
लक्ष्मी विलास बैंक (LVB)
- चेन्नई आधारित एल.वी.बी. का नेटवर्क दक्षिण भारत में केंद्रित है। इसकी तीन-चौथाई शाखाएँ तीन राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में स्थित हैं।
- पिछले तीन वर्षों से बैंक के लगातार घाटे में रहने के कारण इसकी शुद्ध सम्पति में गिरावट दर्ज की गई है।