(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन) |
संदर्भ
विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान में ‘अंतिम अवसर पर्यटन’(Last Chance Tourism) की प्रवृत्ति में निरंतर वृद्धि से पर्यावरणीय विनाश के चक्र में तेज़ी आने का खतरा है।
क्या है अंतिम अवसर पर्यटन
- ‘अंतिम अवसर पर्यटन’ से तात्पर्य ऐसी प्रवृत्ति से है जिसमें पर्यटक जानबूझकर ऐसे गंतव्यों पर जाने का चयन करते हैं जो पर्यावरणीय क्षरण विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण खतरे में हैं।
- यह प्रवृत्ति हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी है क्योंकि अपने सांस्कृतिक या प्राकृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध गंतव्य स्थल ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरणीय गिरावट के कारण विलुप्त होने की कगार पर हैं।
- ‘अंतिम अवसर पर्यटन’ के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन के प्रति सुभेद्य ग्लेशियर, प्रवाल भित्तियाँ और द्वीपसमूह जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
- इन स्थलों पर पर्यटन प्राय: मीडिया कवरेज, पर्यावरण संबंधी रिपोर्ट और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में बढ़ती जन जागरूकता के कारण और बढ़ जाता है जो जिज्ञासा, तत्परता और इन स्थानों को देखने की इच्छा के मिश्रण से प्रेरित है।
प्रभाव
- पर्यटकों द्वारा पिघलते ग्लेशियरों और लुप्त होते जंगलों को जल्द से जल्द देखने के लिए जाने से ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में वृद्धि के कारण इन स्थलों की सुभेद्यता में और वृद्धि होती है।
- विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद द्वारा प्रकाशित एक शोध के अनुसार दुनिया के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 8 से 11 % केवल पर्यटन के कारण होता है।
- इस प्रकार के पर्यटन के परिणामस्वरूप अन्य नकारात्मक प्रभावों में शामिल हैं :
- आवास विखंडन
- परिवहन से उत्पन्न प्रदूषण
- पर्यटकों द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट
- संवेदनशील क्षेत्रों में यातायात के कारण मिट्टी का कटाव
- आक्रामक प्रजातियों का आगमन
- IPCC की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक 90% से अधिक प्रवाल भित्तियाँ नष्ट हो जाएंगी।
अंतिम अवसर पर्यटन के संवेदनशील गंतव्य स्थल
आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्र
जलवायु परिवर्तन से ध्रुवीय क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। इस क्षेत्र में बर्फ की टोपियां अप्रत्याशित दर से पिघल रही हैं, जिससे ध्रुवीय भालू और पेंगुइन जैसे स्थानीय वन्यजीवों के आवास की क्षति होने के साथ ही पर्यटकों को आकर्षित करने वाले बर्फीले परिदृश्य कम हो रहे हैं।
ग्रेट बैरियर रीफ, ऑस्ट्रेलिया
- समुद्र के बढ़ते तापमान और अम्लीकरण के कारण प्रवाल भित्तियों में गंभीर विरंजन हो रहा है ।
- उदाहरण के लिए ग्रेट बैरियर रीफ ने वर्ष1995 से अपने आधे से अधिक प्रवाल खो दिए हैं। जिससे इसकी जैव विविधता कम हो गई है और गोताखोरों एवं समुद्री पर्यटकों के लिए इसका आकर्षण कम हो गया है।
वेनिस, इटली
- वेनिस अपनी ऐतिहासिक नहरों और वास्तुकला के लिए मशहूर है वर्तमान में बढ़ते समुद्री जलस्तर के कारण इस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
- बार-बार आने वाली बाढ़ ने इसकी वास्तुकला की अखंडता को ख़तरे में डाल दिया है।
मालदीव
- अपने खूबसूरत एटोल और जीवंत समुद्री जीवन के लिए मशहूर यह द्वीपीय राष्ट्र वर्तमान में बढ़ते समुद्री जलस्तर के कारण खतरे का सामना कर रहा है।
- समुद्र तल से सिर्फ़ 1 मीटर की औसत ऊंचाई के साथ यह जलवायु परिवर्तन के लिए दुनिया के सबसे संवेदनशील देशों में से एक बन गया है।
हिमालय (नेपाल/तिब्बत)
- पैदल यात्रियों और खोजकर्ताओं के लिए हिमालय दुनिया की कुछ सबसे ऊंची चोटियों का घर है, जिसमें माउंट एवरेस्ट भी शामिल है ।
- वर्तमान में जलवायु परिवर्तन इस क्षेत्र की प्राकृतिक विशेषताओं और सांस्कृतिक विरासत को बदल रहे हैं।
मृत सागर (जॉर्डन और इज़राइल)
- खारे जल के लिए प्रसिद्ध यह सागर वर्तमान में जॉर्डन नदी के जल के बहाव को मोड़ने के कारण इसके जल स्तर में तेज़ी से गिरावट आई है।
- इसके परिणामस्वरूप तीव्र हटी से संकुचन के कारण यह लुप्त हो रहा है।
आर्थिक निर्भरता बनाम दीर्घकालिक स्थिरता
- अपनी प्राकृतिक सुंदरता या अनूठी सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध कई क्षेत्र अपने आर्थिक अस्तित्व के लिए पर्यटन पर निर्भर हैं।
- उदाहरण के लिए मालदीव देश अपने राजस्व के लिए मुख्यतः पर्यटन पर निर्भर है। इससे स्थानीय रोजगार और सेवाओं को भी बढ़ावा मिलता है।
- पर्यटकों की अत्यधिक आवक के साथ ही जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण क्षरण से पर्यटकों को आकर्षित करने वाले संसाधन कम होते जाएँगे जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्थाएँ प्रभावित होंगी।
- इस संदर्भ में चुनौती आर्थिक लाभों को पर्यावरणीय लागतों के साथ संतुलित करने में है। पर्यटन में वृद्धि, आर्थिक लाभ तो प्रदान करती है लेकिन पारिस्थितिक क्षरण को भी बढ़ावा देती है।
- आर्कटिक क्षेत्र में पर्यटकों की उपस्थिति से वहाँ का वन्यजीवन प्रभावित हो रहा है जो संभावित रूप से उनके प्रवास पैटर्न और प्रजनन व्यवहार को बदल सकते हैं।
सुझाव
- संवेदनशील पर्यटन स्थलों की सुरक्षा और पर्यटकों तथा संवेदनशील स्थल के अस्तित्व के बीच संतुलन बनाने के लिए टिकाऊ पर्यटन रणनीतियों को अपनाना महत्वपूर्ण है।
- इस संदर्भ में ऐसी पर्यटन प्रथाओं को विकसित करना शामिल हैं जो पर्यावरणीय प्रभावों को कम करते हुए आर्थिक लाभ सुनिश्चित करते हैं।
- टिकाऊ पर्यटन नीतियों में मुख्य रूप से शामिल हैं :
- संवेदनशील स्थलों में पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए पर्यटकों की संख्या सीमित करना।
- पर्यटकों और पर्यटन व्यवसायों के संबंध में पर्यावरण संरक्षण कानून का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित करना।
- पारिस्थितिकी पर्यटन एवं समुदाय आधारित पर्यटन के विकास को प्रोत्साहित करना, जिससे स्थानीय आबादी को सीधे लाभ पहुंचे और संरक्षण को बढ़ावा मिले
- पर्यटन में उतार-चढ़ाव और पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रति संवेदनशीलता को कम करने के लिए पर्यटन से परे स्थानीय अर्थव्यवस्था में विविधता लाना।
- टिकाऊ बुनियादी ढाँचे (जैसे नवीकरणीय ऊर्जा, अपशिष्ट पुनर्चक्रण प्रणालियां और पर्यावरण अनुकूल परिवहन विकल्प) में निवेश करने से भी अत्यधिक पर्यटन के प्रतिकूल प्रभावों को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।