(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, समान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : बुनियादी ढांचा, सूचना प्रौद्योगिकी एवं कंप्यूटर)
संदर्भ
01 अक्टूबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 5जी सेवाओं का शुभारंभ किया। साथ ही, प्रधानमंत्री ने छठी इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) का भी उद्घाटन किया।
प्रमुख बिंदु
- प्रारंभ में 5जी सुविधा देश के 8 शहरों- अहमदाबाद, बैंगलोर, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली, गाँधीनगर, गुरुग्राम और हैदराबाद में प्रदान की जाएगी।
- धीरे-धीरे देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसका विस्तार किया जाएगा। संचार राज्य मंत्री के अनुसार, भारत में 6जी सेवाओं की शुरुआत भी इसी दशक में की जाएगी।
- भारत पर 5जी का संचयी आर्थिक प्रभाव वर्ष 2035 तक 450 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
- इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने डिजिटल इंडिया के लिये उठाए गए चार क़दमों को रेखांकित किया, जो निम्नलिखित हैं-
- डिवाइस की कीमत
- डिजिटल कनेक्टिविटी
- डाटा की कीमत
- डिजिटल फर्स्ट की सोच
भारत में 5जी की स्थापना
- वर्ष 2017 में सरकार ने 5जी के रोडमैप के लिये स्टेंफोर्ड विश्विद्यालय के प्रोफेसर ए. जे. पॉलराज की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय मंच स्थापित किया था।
- वर्ष 2019 में दूरसंचार विभाग और क्षेत्र नियामक ट्राई ने स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण पर विचार-विमर्श शुरू किया गया था।
- अगस्त 2022 में इन सेवाओं को शुरू करने की दिशा में 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी प्रक्रिया संपन्न की गयी। रिलायंस जियो ने सर्वाधिक स्पेक्ट्रम (50% से अधिक) खरीदा है।
- स्पेक्ट्रम खरीद में भारती एयरटेल और वोडाफ़ोन-आइडिया क्रमश: दूसरे व तीसरे स्थान पर है। अदानी डाटा नेटवर्क लिमिटेड ने भी स्पेक्ट्रम खरीद में हिस्सा लिया है।
5जी और 4जी सेवाओं में प्रमुख अंतर
- 4जी की तुलना में 5जी में इंटरनेट स्पीड और प्रवाह क्षमता (Throughput) अधिक होती है जबकि लेटेंसी दर (Latency Rate) कम होती है।
- 5जी सेवाओं में अधिकतम इंटरनेट स्पीड 10 गीगाबाइट प्रति सेकंड (Gbps) होटी है जबकि 4जी सेवाओं में यह अधिकतम 10 मेगाबाइट प्रति सेकंड (Mbps) है।
क्या होता है लेटेंसी रेट एवं थ्रूपुट
- लेटेंसी से तात्पर्य डाटा ट्रान्सफर की शुरुआत से पहले नेटवर्क द्वारा लिये गए समय से होता है। दूसरे शब्दों में लेटेंसी किसी डिवाइस को डाटा के पैकेट भेजने और प्रतिक्रिया प्राप्त करने में लगने वाले समय से है।
- थ्रूपुट का मतलब होता है कि एक तय समय में एक नेटवर्क कितनी सूचनाओं को प्रोसेस कर पाता है।
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- 4जी में लेटेंसी दर 10 से 100 मिलीसेकंड के मध्य है जबकि 5जी में यह दर 1 मिलीसेकंड या उससे भी कम है। अर्थात क्लिक करने के बाद डिवाइस की स्क्रीन पर पेज 1 मिलीसेकंड में खुल जाएगा।
- 5जी की थ्रूपुट (Throughput) अत्यधिक है। 5जी 10 गीगाबाइट प्रति सेकंड की गति से डाटा को प्रोसेस (Process) कर सकता है और एक साथ कई कनेक्शन पर कार्य कर सकता है। यही कारण है कि 5जी की डाटा स्पीड 4जी से 100 गुना अधिक होती है।
- 4जी की तुलना में 5जी में ऊर्जा की खपत में कमी की भी संभावना है। 4जी की तुलना 5जी में कम टावरों की आवश्यकता होती है।
5जी तकनीक
पक्ष
- निर्बाध कवरेज, उच्च डाटा दर, कम लेटेंसी और अत्यधिक विश्वसनीय संचार
- ऊर्जा की खपत में कमी, स्पेक्ट्रम दक्षता और नेटवर्क दक्षता में वृद्धि
- अधिक संख्या में इंटरनेट ऑफ थिंग्स उपकरणों को जोड़ने में सहायक
- लोगों के बीच टेलीसर्जरी और ऑटोमेटिक कारों जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं की डिलीवरी में सहायक
- आपदाओं की तत्काल निगरानी, सटीक कृषि और खतरनाक औद्योगिक कार्यों, जैसे- गहरी खदानों, अपतटीय गतिविधियों आदि में मनुष्यों की भूमिका कम करने में मददगार
- यह अधिक बैंडविड्थ में वृद्धि करता है जो डाटा को जल्द से जल्द स्थानांतरित करने में मदद करता है
- ड्रोन, सेंसर, वर्चुअल रियलिटी आदि तकनीकों का बेहतर प्रयोग
विपक्ष
- सीमित वैश्विक कवरेज और केवल विशिष्ट स्थानों में इन सेवाओं की उपलब्धता।
- टावर नेटवर्क स्थापित करने के लिये अत्यधिक खर्च।
- ऊंची इमारटन, वृक्षों एवं वर्षा द्वारा नेटवर्क की आवृत्ति में रूकावट की संभावना
- बेहतर बैटरी तकनीक की आवश्यकता और हीटिंग की अधिक संभावना
- असुरक्षित डाटाबेस एवं साइबर अपराध की पूर्ण संभावना
5जी तकनीक के प्रकार
- 5जी नेटवर्क मुख्यतः दो प्रणाली (Mode) अर्थात स्टैंडअलोन और नॉन-स्टैंडअलोन के माध्यम से संचालित किया जाता है।
- दोनों प्रणालियों के अपने लाभ और हानियाँ हैं। ऑपरेटर द्वारा किसी प्रणाली का चयन मुख्यत: बाजार के बारे में उसके दृष्टिकोण और प्रारंभिक रणनीति को दर्शाता है।
- जियो ने स्टैंडअलोन मोड का चुनाव किया है। इसमें 5जी नेटवर्क समर्पित उपकरणों के साथ काम करता है और मौजूदा 4जी नेटवर्क के समानांतर चलता है।
- भारती एयरटेल ने नॉन-स्टैंडअलोन मोड का चुनाव किया है। इसमें 5जी नेटवर्क 4जी के कोर इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा समर्थित होता है। चूँकि ये नेटवर्क 4जी के मौजूदा बुनियादी ढांचे पर निर्मित किये जाते हैं अत: इनकी प्रारंभिक लागत और इसे प्रारंभ करने में लगने वाला समय काफी कम होता है।
- नॉन-स्टैंडअलोन मोड में अपेक्षाकृत कम निवेश की आवश्यकता होती है और मौजूदा नेटवर्क बुनियादी ढांचे का अधिकतम उपयोग किया जाता है।
- दोनों प्रणालियों में सबसे बड़ा विभेद मौजूदा डिवाइस इकोसिस्टम के साथ
अनुकूलता को लेकर है। वर्तमान में अधिकांश स्मार्टफ़ोन में नॉन-स्टैंडअलोन 5जी नेटवर्क से जुड़ने की क्षमता है और उन्हें स्टैंडअलोन नेटवर्क से जुड़ने में सक्षम होने के लिये उनके ओईएम (OEM) द्वारा सॉफ़्टवेयर अपडेट की आवश्यकता होगी।
डिजिटल इंडिया के लिये उठाए गए क़दम
डिवाइस की कीमत
- आत्मनिर्भरता के माध्यम से ही उपकरणों की लागत कम हो सकती है। आठ वर्ष पूर्व तक भारत में केवल दो मोबाइल निर्माण इकाइयां थी, जबकि वर्तमान में इनकी संख्या 200 हो गई है।
- साथ ही, वर्ष 2014 में मोबाइल के शून्य निर्यात की अपेक्षा वर्तमान में हजारों करोड़ के मोबाइल फ़ोन निर्यात किये जा रहे हैं।
डिजिटल कनेक्टिविटी
- इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या वर्ष 2014 में 6 करोड़ से बढ़कर वर्तमान में 80 करोड़ हो गई है। सरकार इंटरनेट फॉर ऑल के लक्ष्य पर कार्यरत है।
- वर्ष 2014 में 100 से भी कम पंचायत ऑप्टिकल फाइबर से जुड़े थे किंतु अब इनकी संख्या बढ़कर 1.7 लाख पंचायतों तक पहुंच गई है।
डाटा की कीमत
- उद्योग को दिये गए कई प्रोत्साहनों से 4जी जैसी तकनीकों को नीतिगत समर्थन प्राप्त हुआ। इससे डाटा की कीमत में कमी आई और देश में डाटा क्रांति की शुरुआत हुई।
- देश में डाटा की लागत दुनिया में सबसे कम है। यह 300 रुपए प्रति जीबी से घटकर करीब 10 रुपए प्रति जीबी हो गई है।
डिजिटल फर्स्ट की सोच
इससे डिजिटल समावेशन में वृद्धि हुई है। डिजिटल माध्यमों के प्रयोग में आर्थिक रूप से उच्च वर्ग से निम्न वर्ग में प्रसार हुआ है।
इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC)
- ‘इंडिया मोबाइल कांग्रेस’ के छठे संस्करण का आयोजन 1 से 4 अक्टूबर तक दिल्ली के प्रगति मैदान में किया गया। इसकी थीम ‘नया डिजिटल विश्व’ है।
- यह एशिया का सबसे बड़ा दूरसंचार, मीडिया और प्रौद्योगिकी मंच है। इसका आयोजन दूरसंचार विभाग (DoT) और सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।
- यह प्रमुख विचारकों, उद्यमियों, नवोन्मेषकों और सरकारी अधिकारियों को एक साथ लाने तथा डिजिटल प्रौद्योगिकी के तेजी से अपनाने एवं प्रसार से उभरने वाले अद्वितीय अवसरों पर चर्चा करने वाला मंच है।
- इंडिया मोबाइल कांग्रेस मंच का उद्देश्य-
- स्थानीय स्तर पर विनिर्माण को बढ़ावा
- अंतर्राष्ट्रीय-क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना
- प्रेरक समावेशी और सतत विकास
- उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा देना
- विदेशी स्थानीय निवेश को बढ़ावा देना
- अधिक संख्या में प्रौद्योगिकी निर्यात पर जोर देना
- सहायक नियामक और नीति ढांचे को सुगम बनाना
- दूरसंचार और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करना
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