(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1 : सामाजिक सशक्तीकरण,सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 4 - अंतर्राष्ट्रीय संबंध तथा नैतिक मुद्दे)
संदर्भ
हाल ही में, अर्जेंटीना ने गर्भपात संबंधी नियमों में संशोधन करते हुए अब गर्भपात को वैध घोषित कर दिया है। अभी तक अर्जेंटीना में गर्भपात से संबंधित कानून अत्यंत कड़े थे। ऐसे में यह एक परिवर्तनकारी निर्णय है।
पृष्ठभूमि
- इस विधेयक के पारित होने से पहले, अर्जेंटीना में केवल दो स्थितियों में ही गर्भपात की अनुमति थी, पहला बलात्कार के मामले में तथा दूसरा, जब किसी गर्भवती महिला के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो।
- वर्ष 1921 से अस्तित्व में रहे इस कानून में संशोधन की माँग कर रहे कार्यकर्ता वर्षों से गर्भपात की वैधता के लिये अभियान चला रहे थे।
- कैथोलिक चर्च और इंजील समुदाय का अर्जेंटीना में अधिक प्रभाव था, इनकी मान्यताओं के अनुसार गर्भपात करवाना गलत है, यहाँ तक कि इन मान्यताओं के कारण गर्भ निरोधकों की बिक्री भी देश में प्रतिबंधित थी। यही कारण था कि इस बिल का कैथोलिक चर्च और इंजील समुदाय द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा था।
- दो वर्ष पूर्व, अर्जेंटीना की सरकार ने गर्भपात के संदर्भ में एक बिल पारित करने का प्रयास किया था, परंतु वह बिल बहुत कम वोटों के अंतर से पारित होने से रह गया था।
- वर्तमान बिल के अनुसार गर्भाधारण के 14 वें सप्ताह तक गर्भपात को वैध घोषित किया गया है।
यह बिल ऐतिहासिक क्यों है?
- इस बिल से पूर्व, अर्जेंटीना में गर्भपात करवाना अवैध था जिस कारण महिलाओं एवं लड़कियों को असुरक्षित तथा अवैध तरीके से गर्भपात करवाना पड़ता था। इससे कई बार महिलाओं एवं लड़कियों की मृत्यु भी हो जाती थी।
- सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि की लड़कियों और महिलाओं के लिये, गर्भपात हेतु सुरक्षित चिकित्सा प्रक्रियाओं तक पहुँच का दायरा और भी संकीर्ण था।
- ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार असुरक्षित गर्भपात के कारण देश में मातृ मृत्यु दर तुलनात्मक रूप से अधिक थी।
- यह बिल अब महिलाओं को उनके शरीर पर अधिक स्वायत्तता प्रदान करता है और गर्भवती महिलाओं तथा युवा माताओं के लिये बेहतर स्वास्थ्य सेवा भी प्रावधान करता है।
- इस कानून के पारित होने से लैटिन अमेरिका के अन्य देश भी गर्भपात को वैध घोषित करने की दिशा में विचार करेंगे। वर्तमान में, निकारागुआ, अल सल्वाडोर और डोमिनिकन गणराज्य में गर्भपात अवैध है।
- उरुग्वे, क्यूबा, गुयाना और मैक्सिको के कुछ हिस्सों में, महिलाएं गर्भपात के लिये अनुरोध कर सकती हैं, लेकिन केवल विशेष मामलों में ही। साथ ही, इन सभी देशों में गर्भाधारण के हफ्तों के आधार पर गर्भपात से संबंधित अलग-अलग कानून हैं।
- राष्ट्रपति के अनुसार, यह बिल एक बेहतर समाज में महिलाओं के अधिकारों को व्यापक बनाता है और उन्हें स्वास्थ्य की गारंटी देता है।
विधि-निर्माताओं का पक्ष
- यह बिल एक मैराथन सत्र में पारित हुआ जहाँ 38 सीनेटरों ने बिल के पक्ष में मतदान किया, जबकि 29 ने इसके विरुद्ध मतदान किया।
- यह बिल राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज़ के चुनावी वादों में से एक था। उन्होंने वर्ष 2018 में बिल के अस्वीकृत होने के बाद इसे फिर से शुरू करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था "मैं कैथोलिक हूं लेकिन मुझे सभी के लिये कानून बनाना होगा।"
- इस बिल के विरुद्ध मतदान करने वाले सांसदों ने इसे एक त्रासदी तथा ‘एक अपरिपक्व जीवन का अंत करने वाला’ बताया।
आगे की राह
- अर्जेंटीना में नए कानून के बावजूद, महिला अधिकारों के क्षेत्र में अभी अनेक सुधार होने बाकि हैं।
- यहाँ के गर्भपात विरोधी समूहों और उनके धार्मिक एवं राजनीतिक समर्थकों ने इस कानून को पारित होने से रोकने के भरसक प्रयास किये, जो कि उनकी संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है।
- हाल ही में, ब्राजील के रूढ़िवादी राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो ने देश में किसी भी गर्भपात समर्थक बिल को वीटो करने की कसम खाई थी।
- महिलाओं के अधिकारों के प्रति इस प्रकार का नजरिया निश्चित ही चिंता उत्पन्न करने वाला है। वर्तमान के आधुनिक युग में यह आवश्यक हो गया है कि विश्व भर में ऐसी मान्यताओं को नकारा जाए जो महिलाओं के स्वास्थ्य और उनकी गरिमा के विरुद्ध हैं।
भारत में गर्भपात के लिये कानूनी प्रावधान
- भारत में गर्भपात कानूनी रूप से वैध है। ‘मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971’ के अंतर्गत महिलाओं को गर्भपात और उनकी प्रजनन स्वायत्तता को नियंत्रित करने संबंधी अधिकार दिये गए हैं
- इस अधिनियम के अंतर्गत गर्भधारण के केवल 20 सप्ताह तक (या 12 सप्ताह तक, जैसा भी मामला हो) ही गर्भपात कराया जा सकता है, अधिनियम की धारा 3 के तहत निम्नलिखित परिस्थितियों में गर्भपात करवाया जा सकता है-
- यदि गर्भावस्था की निरंतरता से गर्भवती महिला के जीवन को खतरा हो या इस बात की संभावना हो कि महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य पर इसके गंभीर प्रभाव होंगे।
- यदि गर्भावस्था, बलात्कार का परिणाम है।
- यदि यह सम्भावना हो कि जन्म लेने वाला बच्चा गंभीर शारीरिक या मानसिक दोष के साथ पैदा होगा।
- यदि गर्भनिरोधक विफल रहा है।
- वर्तमान में, 12 सप्ताह के गर्भाधान के गर्भपात के लिये एक डॉक्टर की राय की आवश्यकता होती है और यदि यह गर्भाधान 12 से 20 सप्ताह के बीच किया जाता है तो इसके लिये दो डॉक्टरों की राय आवश्यक है।
- वर्ष 2003 में स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, गर्भपात केवल एक पंजीकृत स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ द्वारा ही किया जा सकता है।
- मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) एक्ट, 2019 में भ्रूण की असामान्यताओं के मामलों में 24 सप्ताह के बाद गर्भावस्था को समाप्त किया जा सकता है या नहीं, यह तय करने के लिये राज्य स्तर के मेडिकल बोर्ड के गठन का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है।
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