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कुष्ठ रोग उन्मूलन

(प्रारंभिक परीक्षा : )
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 : सामाजिक न्याय : स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय)

संदर्भ 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कुष्ठ रोग दिवस के अवसर पर विभिन्न देशों की सरकारों से कुष्ठ रोग उन्मूलन को प्राथमिकता देने तथा नीतिनिर्माण प्रक्रिया में कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों को भी शामिल करने का आह्वान किया है।

विश्व कुष्ठ रोग दिवस 2025

  • आयोजन : प्रतिवर्ष जनवरी के अंतिम रविवार को 
    • वर्ष 2025 में विश्व कुष्ठ दिवस 26 जनवरी को मनाया गया।
    • भारत में यह प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के साथ मनाया जाता है।
  • उद्देश्य : कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना, इससे प्रभावित व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करना तथा इसे खत्म करने के लिए सहयोगात्मक कार्रवाई को प्रेरित करना 
  • वर्ष 2025 के लिए थीम : एकजुट होना, कार्य करना, कुष्ठ रोग को समाप्त करना : एक वैश्विक अनिवार्यता (Unite, Act, Eliminate Leprosy: A Global Imperative)
  • आरंभ : इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 1954 में फ़्रांसीसी लेखक और परोपकारी राउल फ़ोलेरो द्वारा की गयी। 
  • महत्व : यह अंतर्राष्ट्रीय दिवस कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों का सम्मान करने, रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा कुष्ठ रोग से संबंधित कलंक और भेदभाव को समाप्त करने का आह्वान करने का महत्वपूर्ण अवसर है।

कुष्ठ रोग के बारे में 

  • क्या है : यह एक दीर्घकालिक संक्रामक रोग है। 
    • इसे हैनसेन रोग (Hansen's disease) के नाम से भी जाना जाता है।  
  • कारक : माइकोबैक्टीरियम लेप्री (Mycobacterium leprae) और माइकोबैक्टीरियम लेप्रोमैटोसिस (Mycobacterium lepromatosis) नामक बैक्टीरिया के कारण 
  • संचरण : यद्यपि कुष्ठ रोग इतना संक्रामक नहीं है किंतु अनुपचारित (Untreated) कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति के नाक और मुंह से निकले कणों के बार-बार संपर्क में आने से यह रोग फैल सकता है। 

कुष्ठ रोग का प्रभाव 

  • संवेदी तंत्रिका क्षति (Sensory Nerve Damage) : जब संवेदी तंत्रिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो वे दर्द को महसूस नहीं कर पाती हैं। इससे हाथ व पैर के किनारे जलने और चोट के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे हाथ एवं पैर की उंगलियां नष्ट हो सकती हैं। 
  • आँख की तंत्रिका क्षति (Eye Nerve Damage) : कुष्ठ रोग आंखों को प्रभावित कर सकता है, जिससे ऑप्टिक तंत्रिका को क्षति पहुंचने या आइरिस में सूजन के कारण अंधापन हो सकता है। 
  • मोटर तंत्रिका क्षति (Motor Nerve Damage) : मोटर तंत्रिकाओं की क्षति से पक्षाघात जैसी स्थिति हो जाती है। 
  • पेरिफेरल तंत्रिका तंत्र (Peripheral nervous system) : पेरिफेरल तंत्रिका तंत्र की क्षति होने से शरीर में रक्तचाप, पाचन और आदि क्रियाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।  

उपचार

  • इस रोग का इलाज मल्टी-ड्रग थेरेपी (MDT) द्वारा किया जाता है जिसमें एंटीबायोटिक दवाओं का संयोजन होता है। 
    • वर्तमान में अनुशंसित उपचार में तीन दवाएँ (डेप्सोन, रिफैम्पिसिन और क्लोफ़ाज़िमाइन) शामिल हैं।  

भारत में कुष्ठ रोग की स्थिति 

  • वैश्विक कुष्ठ रोग के लगभग 53% मामले भारत में हैं। भारत के 700 से अधिक जिलों में से 125 जिलों में अभी भी बड़ी संख्या में कुष्ठ रोग के मामले सामने आते हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 तक ‘जीरो लेपोरेसी’ है। हालांकि, भारत सरकार का लक्ष्य एसडीजी से तीन साल पहले वर्ष 2027 तक ‘कुष्ठ मुक्त भारत’ बनाना है।
  • आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत में अभी भी 750 कुष्ठ बस्तियाँ हैं जो मुख्यधारा के समाज से अलग-थलग हैं।  
  • सुझाव : विशेषज्ञों ने कुष्ठ रोग से जुड़े कलंक और भेदभाव को खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया। 
    • इस भेदभाव को खत्म करने और प्रभावित व्यक्तियों की सहायता करने के लिए समुदाय आधारित पुनर्वास स्थापित करना महत्वपूर्ण है। 

भारत में कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम

  • राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम : यह कार्यक्रम वर्ष 1983 में शुरू किया गया था। इसकी रणनीति जनसंख्या में कुष्ठ के संक्रमण को कम करके और संचरण श्रृंखला को तोड़कर रोग को नियंत्रित करने पर केंद्रित है।
    • विजन: "कुष्ठ मुक्त भारत" 
    • मिशन: एकीकृत स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के माध्यम से आबादी के सभी वर्गों को निःशुल्क गुणवत्तापूर्ण कुष्ठ सेवाएं प्रदान करना तथा बीमारी के इलाज के बाद विकलांगता की देखभाल करना 
  • कुष्ठ रोग उन्मूलन लक्ष्य 2027 : सरकार द्वारा वर्ष 2023 में विभिन्न विकास भागीदारों के साथ मिलकर पांच वर्षों में कुष्ठ रोग के नए मामलों की संख्या में 50% की कमी लाने का लक्ष्य रखा है। 
    • यह रणनीति, राष्ट्रीय रणनीतिक योजना और कुष्ठ रोग रोडमैप 2023-2027 (एनएसपी) को प्राथमिकता देने के लिए दिशा प्रदान करती है जिन्हें सभी हितधारकों द्वारा लागू करने की आवश्यकता है। 
  • निकुष्ठ 2.0 : कुष्ठ रोग से संबंधित मामले का पता लगाने और मजबूत निगरानी प्रणाली बनाए रखने के लिए 
  • इसके अलावा, कुष्ठ रोग में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) निगरानी के लिए राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों की शुरूआत इस रोग को खत्म करने के लिए देश की प्रतिबद्धता को उजागर करती है।

इसे भी जानिए 

वैश्विक कुष्ठ रोग रणनीति 2021-2030

  • क्या है : वैश्विक कुष्ठ रोग रणनीति विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का एक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य कुष्ठ रोग को समाप्त करना है। 
    • यह कुष्ठ रोग के प्रसार को रोकने, मामलों का शीघ्र पता लगाने तथा रोगियों का शीघ्र उपचार करने पर केंद्रित है। 
  • लक्ष्य : इसका लक्ष्य कुष्ठ रोग से जुड़ी विकलांगता और कलंक को कम करना तथा कुष्ठ रोग मुक्त विश्व का निर्माण करना है।   
  • रणनीति के प्रमुख स्तंभ :    
    • देश-स्वामित्व वाले रोडमैप : कुष्ठ रोग को समाप्त करने के लिए देश-विशिष्ट योजनाएं बनाना और उन्हे लागू करना 
    • रोकथाम और मामले का पता लगाना : कुष्ठ रोग की रोकथाम और मामलों का शीघ्र पता लगाना 
    • उपचार और प्रबंधन : कुष्ठ रोग और उसकी जटिलताओं का प्रबंधन करना तथा नई विकलांगता को रोकना
    • कलंक में कमी :  कलंक से लड़ना और सुनिश्चित करना कि मानवाधिकारों का सम्मान किया जाए।
  •  ‘जॉर्डन’ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए सत्यापित और मान्यता प्राप्त पहला देश बन गया।
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