प्रारम्भिक परीक्षा : लेटर ऑफ कम्फर्ट, गारंटी पत्र मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 - भारतीय अर्थव्यवस्था : संसाधनों को जुटाने से संबंधित विषय |
सन्दर्भ
- हाल ही में, वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की फर्मों (CPSUs) को लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी करने की अनुमति दी है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- वित्त मंत्रालय ने कहा कि CPSUs को लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी करने से पहले स्पष्ट रूप से यह बताना होगा, कि ऐसे पत्रों से उत्पन्न होने वाले किसी भी परिणाम के लिए भारत सरकार उत्तरदायी नहीं होगी।
लेटर ऑफ कम्फर्ट
- लेटर ऑफ कम्फर्ट एक उधारकर्ता को जारी किया गया एक समर्थन दस्तावेज है।
- इसे लेन-देन में किसी तीसरे पक्ष या हितधारक द्वारा जारी किया जाता है।
- उदाहरण के लिए, एक होल्डिंग कंपनी अपनी सहायक कंपनी की ओर से लेटर ऑफ कम्फर्ट दे सकती है या सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के लिए लेटर ऑफ कम्फर्ट जारी कर सकती है।
- लेटर ऑफ कम्फर्ट बैंकों, एनबीएफसी और लेखा परीक्षकों द्वारा भी जारी किया जा सकता है।
लेटर ऑफ कम्फर्ट की दायित्व स्थिति
- लेटर ऑफ कम्फर्ट कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होता है, यह नैतिक दायित्व है ना कि कानूनी।
- यह केवल उधार देने वाली संस्था को आश्वासन देता है, कि मूल कंपनी सहायक कंपनी द्वारा मांगी जा रही ऋण सुविधा से अवगत है और उसके निर्णय का समर्थन करती है।
- यह वित्तीय संस्थान को छोटी अवधि या लंबी अवधि के लिए धन उधार देने में कुछ सुविधा प्रदान करता है।
- होल्डिंग कंपनियाँ आमतौर पर लेटर ऑफ कम्फर्ट तब जारी करती हैं, जब वे गारंटी पत्र देने में असमर्थ या अनिच्छुक होती हैं।
गारंटी पत्र
- गारंटी पत्र ऋणदाता के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में कार्य करता है, कि जारी करने वाली कंपनी पुनर्भुगतान की ज़िम्मेदारी ले रही है।
- यह कानूनी रूप से बाध्यकारी होता है।
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