(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : द्विपक्षीय, क्षेत्रीय व वैश्विक समूह तथा भारत से सम्बंधित और भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, प्रवासी भारतीय)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, लीबिया में प्रतिद्वंदी दलों ने ऐतिहासिक संघर्ष विराम की घोषणा की। यह घोषणा जिनेवा में ‘5+5’ लीबिया संयुक्त सैन्य आयोग (JMC) की पांच दिनों की वार्ता के बाद की गई है।
लीबिया की वर्तमान स्थिति
- मुअम्मर गद्दाफी को सत्ता से बेदखल किये जाने के बाद से उत्तर अफ्रीकी राष्ट्र लीबिया लम्बे समय से कई गुटों के बीच सत्ता के संघर्ष में उलझा हुआ है। मुअम्मर गद्दाफी को नाटो समर्थित बलों द्वारा सत्ता से बेदखल कर दिया गया था।
- गद्दाफी ने वर्ष 1969 में सैन्य तख्तापलट द्वारा राजा इदरीस को सत्ता से बेदखल कर दिया था। अक्टूबर 2011 में गद्दाफी को मार दिया गया।
- गद्दाफी के बाद शासन पर नियंत्रण स्थापित करने के लिये विभिन्न सरदारों के नेतृत्व में संघर्ष प्रारम्भ हो गया। युद्धरत् गुटों के बीच विवाद के प्रमुख मुद्दों में तेल अवसंरचना, प्रशासन, राष्ट्रीय वित्त और सैन्य नियंत्रण शामिल है।
लीबिया संघर्ष और अन्य देश
- संयुक्त राष्ट्र समर्थित अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सरकार का नेतृत्व फ़याज़ अल-सर्राज़ द्वारा किया जा रहा है। इस सरकार को ‘राष्ट्रीय समझौता सरकार’ (Government of National Accord : GNA) कहा जाता है, जिसे सहयोगी देशों (कतर और तुर्की) का समर्थन प्राप्त है।
- लीबिया के पूर्वी भाग को ‘लीबियन राष्ट्रीय सेना’ (LNA) के अधीन विद्रोही सशस्त्र बलों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो रूसी सैन्य गुटों द्वारा समर्थित हैं। वर्ष 2014 से 2019 के बीच LNA ने पूर्व में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ सैन्य अभियान भी चलाया था।
- इस्लामिक स्टेट के प्रसार ने स्थिति को और जटिल कर दिया है तथा यह अमेरिका द्वारा हस्तक्षेप का एक कारण भी है।
लीबिया में गृह युद्ध का प्रभाव
- विदेशी सम्बंध परिषद् के ‘ग्लोबल कॉन्फ्लिक्ट ट्रैकर’ के अनुसार, लीबिया में गृह युद्ध से 50,000 से अधिक शरणार्थी तथा 268,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।
- एक कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सी.आर.एस.) की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2019 के बाद से सैकड़ों असैनिकों सहित 2,600 से अधिक लीबियाइ मारे गए हैं।
नया युद्ध विराम समझौता
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा समर्थित इस नए समझौते के अनुसार, सभी विदेशी लड़ाकुओं, सैनिकों और सशस्त्र बलों को अगले 90 दिनों के भीतर लीबिया से निकलना होगा। साथ ही, इस समझौते में शामिल दलों ने यह भी सहमति व्यक्त की है कि संघर्ष विराम के किसी भी उल्लंघन को एक एकीकृत कमान के तहत संयुक्त सैन्य बल द्वारा निपटाया जाएगा।
- हालाँकि, यह युद्धविराम संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूहों पर लागू नहीं होता है।
- समझौते द्वारा एक ‘संयुक्त पुलिस संचालन कक्ष’ भी स्थापित किया गया है, जो सैन्य इकाइयों और सशस्त्र समूहों से मुक्त होने वाले क्षेत्रों को सुरक्षित करने के लिये विशेष व्यवस्था को प्रस्तावित और लागू करेगा।
- इसके अलावा, ‘5+5’ ने विभिन्न क्षेत्रों और लीबिया के शहरों को जोड़ने के लिये भूमि और वायु मार्गों को खोलने पर भी सहमति व्यक्त की है।
- गौरतलब है कि लीबिया अफ्रीका का सबसे बड़ा तेल और गैस भण्डार वाला देश है। तेल उत्पादन के सम्बंध में विभिन्न दलों की सहमति के अनुसार पूर्व और पश्चिम के पेट्रोलियम सुविधाओं के कमांडर, नेशनल ऑयल कॉर्पोरेशन द्वारा नियुक्त एक प्रतिनिधि के साथ सीधे कार्य करेंगे।
- यह एक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम है क्योंकि तेल अवसंरचना का नियंत्रण GNA और LNA के बीच प्रतिस्पर्धा का मूल कारण है।
निष्कर्ष
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के विशेष कार्यवाहक दूत स्टेफ़नी विलियम्स ने कहा कि इस समझौते के महत्त्व को लीबिया की भावी पीढ़ियों द्वारा पहचाना जाएगा। यह महत्त्वपूर्ण और साहसी कदम लम्बे समय से चले आ रहे लीबिया संकट के व्यापक समाधान का मार्ग प्रशस्त करेगा। तेल अवसंरचना के नियंत्रण सम्बंधी समझौते से इस सम्भावना को बल मिला है कि लम्बे समय से जारी संघर्ष समाप्त हो सकता है।