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लिसु व्रेन बैबलर 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए – लिसु व्रेन बैबलर, व्रेन बैबलर, लिसु समुदाय

चर्चा में क्यों 

  • हाल ही में, अरुणाचल प्रदेश में व्रेन बैबलर की एक नई प्रजाति की खोज की गयी। 
  • इसका नाम, लिसु समुदाय के नाम पर लिसु व्रेन बैबलर रखा गया।

Babbler

महत्वपूर्ण तथ्य

  • लिसु व्रेन बैबलर शारीरिक रूप से ग्रे-बेल्ड व्रेन बैबलर जैसा दिखाई देता है, लेकिन इसकी आवाज ग्रे-बेल्ड व्रेन बैबलर से अलग है।
  • ग्रे-बेलिड व्रेन बैबलर मुख्य रूप से म्यांमार, चीन और थाईलैंड में पाया जाता है। 
  • भारत से ग्रे-बेल्ड व्रेन बैबलर को सिर्फ एक बार 1988 में देखा गया था।

व्रेन बैबलर 

  • व्रेन बैबलर, छोटे एशियाई पक्षियों की लगभग 20 प्रजातियों का एक समूह है।
  • ये 10 से 15 सेंटीमीटर (4 से 6 इंच) लंबे, छोटी पूंछ वाले पक्षी होते हैं,  इनकी चोंच छोटी और सीधी होती है।
  • व्रेन बैबलर, मुख्य रूप से दक्षिणी एशिया में पाये जाते हैं।

लिसु समुदाय

  • लिसु, एक टिबेटो-बर्मन जातीय समूह है जो म्यांमार (बर्मा), दक्षिण-पश्चिम चीन, थाईलैंड और अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करता है ।
  • इनके घर लकड़ी और बांस के होते हैं और ये पहाड़ी चावल एवं मक्का की खेती करते हैं।
  • भारत में लिसु लोगों को "योबिन" कहा जाता है।
  • 1980 के दशक की शुरुआत में, भारत में रहने वाले लिसु लोगों के पास भारतीय नागरिकता नहीं थी, क्योंकि उन्हें म्यांमार से आये शरणार्थी माना जाता था।
  • 1994 में, इन्हें भारतीय नागरिकता दी गई।
  • लिसु अपना इतिहास, गीतों के रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्थानांतरित करते हैं।
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